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पं.रविशंकर शुक्ल विवि 20 साल बाद मौजूदा सत्र में केंद्रीय मूल्यांकन करवा रहा है। उत्तरपुस्तिका में गोल-मोल जवाब देने वाले छात्रों की संख्या में इस बार भी कोई कमी नहीं आई है। 

रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विवि की वार्षिक परीक्षाएं जारी हैं। परीक्षाएं प्रारंभ होने के कुछ दिनों के ही अंतराल में रविवि ने उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी प्रारंभ कर दिया था। रविविः 20 साल बाद मौजूदा सत्र में केंद्रीय मूल्यांकन करवा रहा है। उत्तरपुस्तिका में गोल-मोल जवाब देने वाले छात्रों की संख्या में इस बार भी कोई कमी नहीं आई है। छात्र प्रश्नपत्र को ही उत्तरपुस्तिका में चार से पांच बार लिख रहे हैं।

वहीं कोविड काल में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान राइटिंग खराब होने की शिकायत आई थी इसमें अब भी विशेष सुधार नहीं हो सका है। इसके अलावा छात्रों की लेखन क्षमता भी पहले की तरह नहीं रह गई है। प्राध्यापकों के मुताबिक, पहले छात्र थोक में पूरक उत्तरपुस्तिकाएं लेते थे। अब ऐसी स्थिति नहीं है। 30 उत्तरपुस्तिकाओं के बंडल में 2-3 कॉपियों में ही पूरक उत्तरपुस्तिकाएं होती हैं।

इमोशनल ब्लैकमेलिंग के बदले तरीके

पहले छात्रों द्वारा शादी करा दिए जाने की बात कहकर मूल्यांकनकर्ताओं से उत्तीर्ण कराने की बात कही जाती थी, लेकिन अब छात्रों ने इमोशनल ब्लैकमेलिंग के तरीके भी बदल दिए हैं। एक छात्र ने अपनी कहानी बयां करते हुए लिखा, मैं ट्रक ड्राइवर हूं। ट्रक चलाने के साथ ही पढ़ाई भी करता हूं। मैंने जो पढ़ा था, वो आपने परीक्षा में नहीं पूछा। इस कारण जो याद करके आया हूं, उसे ही लिख रहा हूं। एक अन्य छात्र ने लिखा, मैं दिव्यांग हूं। पास कर दीजिए।

केस - 1 

कालीबाड़ी स्थित एक कॉलेज के इंग्लिश विषय के प्राध्यापक ने बताया, एक छात्र ने इंग्लिश विषय में। पूरी उत्तरपुस्तिका में सिर्फ पांच शब्द ही लिखे। ये शब्द थे-मछली जल की रानी है। छात्र ने पूरक उत्तरपुस्तिका भी ली थी। इसमें भी छात्र ने यही लिखा था। छात्र को शून्य अंक प्रदान किए गए हैं। छात्र ने हिंदी के इस वाक्य को इंग्लिश अल्फाबेट में लिखा था।

केस - 2

पुराने कांग्रेस भवन के समीप स्थित एक महाविद्यालय के प्राध्यापक हिंदी की कॉपियां जांच रहे हैं। उत्तरपुस्तिकाओं में कई छात्रों ने ऐसे-ऐसे वकायों का जिक्र किया है कि मूल्यांकनकर्ता भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वे कॉपियां जांचे या हंसें। एक छात्र ने लिखा, सर! पास कर देना यार, प्यार में धोखा मिला है। एक अन्य विद्यार्थी ने लिखा, पढ़ाई नहीं कर पाया हूं। अंतिम वर्ष है, पास कर दीजिए।

केस - 3 

एक अन्य निजी महाविद्यालय के प्राध्यापकों की ड्यूटी मूल्यांकन कार्य में लगी है। मालती जोशी की कहानी वसियत से संबंधित सवाल पूछा गया था। इसमें छात्र ने वसियत क्या होता होता है, कैसे होता है, इसे कैसे तैयार किया जाता है, यह सब लिख दिया। एक छात्र ने एसपी के फुल फॉर्म के जवाब में सुपर पुलिस लिख दिया। मूल्यांकनकर्ता ने सिर पकड़ लिया।

व्हॉट्सएप ने बिगाड़ दी इंग्लिश

उत्तरपुस्तिकाएं जांच रहे महाविद्यालय के प्राध्यापकों का कहना है कि छात्रों की इंग्लिश बहुत खराब हो चुकी है। इसकी वजह वे व्हॉट्सएप में इस्तेमाल की जा रही इंग्लिश को बता रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि छात्र व्हॉट्सएप में जिस तरह की इंग्लिश लिखते हैं, उसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हुए परीक्षाओं में भी उत्तर दे रहे हैं। कई छात्रों हिंदी में उत्तर लिख रहे हैं, लेकिन अल्फाबेट इंग्लिश का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोविड के बाद के वर्षों की तुलना में इस बार जवाब देने के पैटर्न में सुधार आया है, लेकिन छात्रों स्तर कोविड के पूर्व की तरह नहीं पहुंच पाया है।

हर साल की कहानी

महंत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी  ने बताया कि, लभगभ प्रत्येक वर्ष इस तरह की स्थिति बनती है। कई छात्र ऐसे होते हैं, जो इस तरह के जवाब देते हैं। पहले अन्य तरह के बहाने छात्र बनाते थे, अब उनका पैटर्न थोड़ा बदल गया है।

 

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