खौफ में नक्सली : अबूझमाड़ से भाग रहे, बड़े लीडर झारखंड और ओडिशा में बना रहे ठिकाना

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नक्सलियों को मौत का खौफ होने लगा है - प्रभाकर
नए साल में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। 40 साल तक नक्सली जीवन जीने वाले प्रभाकर ने कई चौंकाने वाली जानकारियां दी।

विजय पांडेय - कांकेर। 40 साल तक हार्डकोर नक्सली रहा प्रभाकर हमारे सामने था। देखकर हम तो क्या, कोई नहीं कह सकता कि उसके खिलाफ एक-दो नहीं, पूरे 76 मामले दर्ज हैं। प्रभाकर नक्सलियों की सबसे बड़ी कमेटी सेंट्रल कमेटी मेंबर गणपति का चचेरा भाई है। गणपति की हैसियत नक्सल संगठन में शीर्ष पर है। यह वह शख्स है, हाल ही में 12 दिनों तक पुलिस कस्टडी में रहा है और छत्तीसगढ़ के अलावा तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, एनआईए और कई राज्यों की पुलिस की पूछताछ का सामना करता रहा है। शनिवार को उसे कोर्ट में पेश किया गया। हमने उससे बदले हालात के संदर्भ में सवाल किए। कुछ जवाब खुलकर दिए, कुछ सवालों पर चुप्पी साध ली। इस बीच प्रभाकर ने बड़ा खुलासा किया, कहा- फोर्स जिस तरह लगातार एनकाउंटर कर रही है उससे अबूझमाड़ के नक्सलियों में खौफ है।

बड़े लीडर से कहा गया है कि, अगले दो साल तक वे सुरक्षित ठिकाने पर चले जाएं। अपनी जान बचाएं। उसके बाद अगली रणनीति बताई जाएगी। प्रभाकर ने कहा, मैं जिस दिन पकड़ा गया था, उस दिन तक मैं आरसीएम था यानी रीजनल कमेटी मेंबर के पद पर काम कर रहा था। कांकेर पुलिस के 23 दिसंबर को गिरफ्त में आया प्रभाकर का पूरा नाम बालमूरी नारायण राव उर्फ नारायण उर्फ वेकन्ना है। तेलंगाना राज्य के जिला जगित्याल के गांव बीरपुर का निवासी है। वर्ष 1984 से नक्सल संगठन में पार्टी सदस्य के रूप में भर्ती हुआ। वर्ष 1984 से 1994 तक अविभाजित राज्य आन्ध्रप्रदेश में, वर्ष 1995 से 1997 तक बालाघाट क्षेत्र (मध्यप्रदेश) में, वर्ष 1998 से 2005 तक उत्तर बस्तर, कोयलीबेड़ा क्षेत्र में सक्रिय रहा। 2005 से 2007 डीकेएसजेडसी सप्लाई टीम एवं अर्बन नेटवर्क का कार्य, 2008 से आज तक डीकेएसजेडसी सप्लाई एवं मोबाईल पॉलेटिकल स्कूल का प्रभारी था, परंतु उसने हरिभूमि को बताया कि मैं आरसीएम हूँ। लॉजिस्टिक सप्लाई एवं लॉजिस्टिक इंचार्ज होने के कारण ओड़िशा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ के शीर्ष माओवादी लीडरों का करीबी सहयोगी है।

प्रभाकर सेंट्रल कमेटी मेंबर गणपति का है चचेरा भाई

प्रभाकर सीसी मेंबर गणपति का चचेरा है और अभी वो जिंदा है। पुराना हार्डकोर नक्सली होने के नाते उसे भी सेंट्रल कमेटी मेंबर बन जाना चाहिए था, परंतु संगठन ने एक संगीन मामले में दोषी मानते हुए सीसी कमेटी ने प्रभाकर का डिमोशन कर दिया था, उसके बाद इसे कभी भी एक्टिव टीम में नहीं रखा गया। लॉजिस्टिक इंचार्ज बनाकर रखा। सीसी मेंबरों के इस व्यवहार के चलते हार्डकोर नक्सली गणपति की पत्नी और सीसी मेंबर कोसा से बहुत चिढ़ता था। उसका मानना है कि इन दोनों के कारण ही मेरा प्रमोशन नहीं हुआ।

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कांकेर जिले में दर्ज है 76 मामले

कांकेर जिले में सबसे ज्यादा समय तक सक्रिय रहा और इसके अपराध के आंकड़ों को खंगालने पर पुलिस को पता चला कि कांकेर जिला में ही इसके खिलाफ 50 मामले दर्ज हैं और 76 वारंट हैं। एनआईए के पास भी कई मामले इसके खिलाफ दर्ज है, इसके अलावा अन्य राज्यों में भी मामले दर्ज हैं। पुलिस ने इन 50 मामलों को लेकर हार्डकोर प्रभाकर से बातचीत किया है, ज्यादा कुछ कबूल नहीं किया। हरिभूमि ने भी इस पर प्रश्न दागा तो कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।

रायपुर के सिटी और मैग्नेटो मॉल में कई बार घूम चुका है प्रभाकर

शहरी नेटवर्क का प्रभारी होने के नाते हार्डकोर नक्सली प्रभाकर रायपुर के मैग्नेटो व सिटी मॉल कई बार गया है और वहाँ से खरीदी करके ले जाता था। रायपुर अधिकतम बार मोटर सायकल से ही गया है। इसके अलावा गणपति की पत्नी का ईलाज करवाने के लिए कई बार दुर्ग भी गया है। रायपुर व दुर्ग में कई लोगो से हार्डकोर प्रभाकर का सीधा संपर्क है।

अबूझमाड़ से भागने का हुआ फरमान

पुलिस के बढ़ते हुए दबाव और लगातार हो रही मुठभेड़ को * देखकर सीसी मेंबर और एसजेडसी ने फरमान सुनाया है कि मार्च 2026 तक जिसे जहाँ सेफ जोन मिलता है, उधर निकल जाएं। अबूझमाड़ में रहने वाले अधिकतम सीसी मेंबर भी नए ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं। नक्सलियों के बड़े कैडर सेफ जोन के ठिकाने की तलाश कर रहे है। प्रभाकर की मानें तो नक्सलियों के लिए वर्तमान में सेफ जोन उड़ीसा व झारखंड राज्य हैं और इन राज्यों में किराए का मकान लेकर मार्च 2026 तक छिपे रखेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे।

मैंने कहा था कि अबूझमाड़ में बैठकर दिल्ली नहीं जीत सकते

हार्डकोर नक्सली प्रभाकर ने अबूझमाड़ में एक बैठक में सीसी मेंबर से कहा था कि अबूझमाड़ में छिपकर हम दिल्ली में सरकार नहीं बना सकते। इसके लिए हमें बाहर निकलना होगा। शहरी नेटवर्क बढ़ाना होगा और शहरी लोगों को साथ में लेकर काम करना होगा। अबूझमाड़ में छिपकर बैठने से कुछ होने वाला नहीं है। प्रभाकर के इस व्यवहार से सीसी मेंबर नाराज भी हुए थे।

बिहार से छत्तीसगढ़ लाता था हथियार

सप्लाई टीम का प्रभारी रहने के नाते पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, आंध प्रदेश, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों का लगातार भ्रमण करता था। छत्तीसगढ़ में हथियार की सप्लाई बिहार से होती थी, यहां तक कई बार बिहार से श्री नाट श्री भी लेकर सप्लाई किया है। बिहार से ही ज्यादा हथियार छत्तीसगढ़ आते थे। छत्तीसगढ़ में जितने भी माओवादियों के पास हथियार है, अधिकतम बिहार से लाए गए हथियार है।

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