समाजशास्त्र पर सेमिनार : समापन समारोह में वैश्वीकरण और भारतीय परिवार विषय हुई चर्चा

National Seminar, Sociology, Government Dudhdhari Bajrang Mahila Mahavidyalaya, concluded
X
राष्ट्रीय सेमिनार समापन समारोह
शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। 23 अक्टूबर, बुधवार को सेमिनार का समापन हुआ।

रायपुर। शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया था। 23 अक्टूबर, बुधवार को सेमिनार का समापन हुआ। समाजशास्त्र विभाग और छत्तीसगढ़ समाजशास्त्रीय परिषद द्वारा संयुक्त रूप से 22 और 23 अक्टूबर को वैश्वीकरण और भारतीय परिवार, बदलते परिदृश्य और उभरती चुनौतियां विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया था।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ किरण गजपाल ने कहा कि, वैश्वीकरण का परिवार पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा है। हमें विवेक के अनुसार उसका प्रयोग परिवारों को जोड़ने के लिए करना चाहिए। द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर जीपी शर्मा सेवानिवृत्त प्राध्यापक साइंस कॉलेज दुर्ग मौजूद रहे। उन्होंने वैश्वीकरण की अवधारणा, विभिन्न आयाम, भारतीय समाज पर पड़ने वाले प्रभाव आदि का विश्लेषण किया। उन्होंने विकसित देशों का उदाहरण देकर भारतीय समाज पर पड़ने वाले कॉरपोरेट जगत के प्रभाव को बताया। तलाक, मैरिटल रेप, घरेलू शोषण आदि विषयों पर उन्होंने विस्तार पूर्वक व्याख्यान दिया। आज उनका समाजशास्त्र विभाग और छत्तीसगढ़ समाजशास्त्रीय परिषद की ओर से शॉल, श्रीफल स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया।

principal

सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया

प्राचार्य डॉ किरण गजपाल और विशिष्ट अतिथि डॉ भूपसिंह गौड़, डॉ महेश शुक्ला, डॉ एल एस गजपाल ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया। संयोजक डॉ प्रीति शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि, सभी वक्ताओं और शोध पत्रों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि, वैश्वीकरण का प्रभाव अवश्य परिवारों पर पड़ा है लेकिन इस चुनौती को हमें स्वीकारना होगा और अपने परिवार की मूल संरचना को बचाए रखना होगा।

वैश्वीकरण के खतरों से बचना होगा- डॉ मनीषा महापात्र

सह संयोजक डॉ मनीषा महापात्र ने कहा कि, आज जब पूरा विश्व परिवार के महत्व को स्वीकार रहा है और भारत की ओर देख रहा है तो पारंपरिक परिवारों के मूल्य को समझ कर वैश्वीकरण के खतरों से बचना होगा। पूर्व प्राध्यापक डॉ श्रद्धा गिरोलकर भी इस आयोजन में मौजूद रहीं।

संयुक्त परिवार को संरक्षित रखने की जरूरत है- डॉ महेश शुक्ला

डॉ महेश शुक्ला ने कहा कि, भारतीय संस्कृति और संयुक्त परिवार को संरक्षित रखते हुए भावात्मक रूप से जुड़े रहने की आवश्यकता है। तकनीकी सत्र में डॉक्टर सुनीता सत्संगी और डॉक्टर मंजू झा ने सत्र की अध्यक्षता की और प्रतिवेदन डॉक्टर सुनीता अग्रवाल द्वारा बनाया गया।

सेमिनार में कुल 50 शोधपत्र आए

मंच संचालन डॉ प्रमिला नागवंशी ने किया। तकनीकी सत्र का संचालन स्नेहा थवाईत द्वारा किया गया। सेमिनार में कुल 50 शोधपत्र आए जिनमें से कुछ का वाचन प्राध्यापकों और शोधार्थियों द्वारा किया गया। महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक विभिन्न महाविद्यालय से आए प्राध्यापक शोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्राएं सम्मिलित हुई। विघ्नेश्वर सिंह और ललित ने फीडबैक दिया।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story