मनरेगा में फर्जीवाड़ा : 10 वर्षों से गांव में नहीं, ऐसे श्रमिकों के नाम भुगतान

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मनरेगा
मनरेगा के तहत फर्जी श्रमिकों के नाम पर भुगतान किए जाने की शिकायत जनपद पंचायत से लेकर जिला पंचायत एवं कलेक्टोरेट के जनदर्शन में की थी। 

रायपुर। रायपुर जिले के आरंग क्षेत्र अंतर्गत ग्राम देवदा जनपद पंचायत में मनरेगा के तहत श्रमिकों को किए गए मजदूरी भुगतान में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। रोजगार सहायक ने ऐसे श्रमिकों के नाम पर भी भुगतान कर दिया है, जो 10 वर्षों से गांव में ही नहीं रहते हैं, वहीं कई श्रमिक ऐसे भी है जो एक दिन भी मनरेगा का काम करने पहुंचे नहीं थे। इस तरह मस्टररोल में फर्जी श्रमिकों के नाम शो करके करीब 90 हजार रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया है।

इस मामले की शिकायत के बाद जिला पंचायत रायपुर ने जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की जांच में शिकायत सहीं पाई गई। इधर जांच के बाद जिला पंचायत ने इस मामले में रोजगार सहायक के खिलाफ केस दर्ज नहीं करते हुए फर्जीवाड़ा की गई राशि की रिकवरी के लिए सिर्फ नोटिस जारी किया है।

88 हजार 751 रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया

जांच में पता चला कि सहायक रोजगार ने मनरेगा के तहत कार्य करने वाले 5 श्रमिकों के नाम पर मस्टररोल बनाया था। इनमें आशीष बघेल एवं उसकी पत्नी तुकेश्वरी बघेल जो पिछले 10 वर्ष से गांव में ही नहीं रहते है। इन दोनों के नाम पर 57045 रुपए का भुगतान किया है। आशीष के पिता धनाजी बघेल ने जांच कमेटी को अपने बयान में इसकी जानकारी दी है। इसके अलावा करण डहरिया के नाम पर 10391 रुपए, राकेश डहरिया 7381 रुपए एवं अरूण डहिरया के नाम पर 13934 रुपए का भुगतान किया गया है। इस तरह रोजगार सहायक ने कुल 88 हजार 751 रुपए का फर्जी तरीके से भुगतान किया है।

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पूर्व सरपंच की शिकायत पर की गई कार्रवाई

गांव के पूर्व सरपंच रोशन मिश्रा ने मनरेगा के तहत फर्जी श्रमिकों के नाम पर भुगतान किए जाने की शिकायत जनपद पंचायत से लेकर जिला पंचायत एवं कलेक्टोरेट के जनदर्शन में की थी। इस शिकायत के बाद जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जांच के निर्देश देते हुए कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी हरिकृष्ण जोशी, उप संचालक प्रभारी पंचायत आशीष सिंह, अनुविभागीय अधिकारी लक्ष्मीकांत गजेंद्र सिन्हा, मनरेगा के समन्वयक शिकायत निवारण मोहम्मद इश्त्याक सिद्धीकी को शामिल किया गया था। कमेटी ने जांच के दौरान गांव के सरपंच सहित अन्य पदाधिकारियों के अलावा मनरेगा में कार्य करने वाले ग्रामीणों से भी बातचीत कर सभी के बयान लिए। इन बयान के आधार पर शिकायत सही पाई गई।

रिकवरी के लिए नोटिस जारी

समन्वयक शिकायत निवारण मनरेगा व जांच कमेटी सदस्य मोहम्मद इश्त्याक सिद्धीकी ने बताया कि, मनरेगा के कार्य में फर्जी श्रमिकों के नाम पर मस्टररोल बनाकर 80 हजार 751 रुपए का भुगतान किया है। कमेटी की जांच में शिकायत सहीं पाई गई है। इस मामले में सहायक रोजगार को पैसों के रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया है।

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