महाशिवरात्रि विशेष :  गुप्तेश्वर पहाड़ी की गुफा में विशालकाय शिवलिंग की महिमा निराली 

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गुप्तेश्वर पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर विशालकाय शिवलिंग
गुप्तेश्वर पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर विशालकाय शिवलिंग और उस पर पहाड़ी की छत से टपकती पाताल गंगा की निर्मल जलराशि से मन किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता है। 

अनिल सामंत -जगदलपुर। यदि आप धार्मिक यात्रा में एडवेंचर और इको टूरिज्म का भी लुत्फ उठाना चाहते हैं तो गुप्तेश्वर से बेहतर जगह शायद ही मिले। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और ओडिशा के कोरापुट जिले के सरहद पर रामगिरी पर्वत श्रृंखला के गुप्तेश्वर पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर विशालकाय शिवलिंग और उस पर पहाड़ी की छत से टपकती पाताल गंगा की निर्मल जलराशि से मन किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता है। सफर की पूरी थकान दूर हो जाती है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 300 किमी दूर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से करीब 85 किमी की पड़ोसी प्रांत ओडिसा के कोरापुट जिला अन्तर्गत सब डिवीजन जैपुर से लगभग 60 किमी दूरी पर स्थित गुप्तेश्वर का सफर बेहद ही रोमांच से भरा हुआ है। दूसरा मार्ग बेहद ही रोमकांचकारी भरा है जो बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से मात्र 57 किमी दूरी पर तिरिया रेंज के अंतर्गत सघन वन क्षेत्र ग्राम तिरिया से लगभग डेढ़ किमी खोलाब नदी के ऊपर बने बांस की छटाई के पुल से होकर गुप्तेश्वर मंदिर पहुंचा जाता है। जगदलपुर-विशाखापटनम हाइवे पर 22 किमी दूर धनपुंजी गांव के पास यहां जाने के लिए कच्ची सड़क गुजरती है।

चट्टानों पर चिंघाड़ती दहाड़ती शबरी नदी

इस मार्ग पर करीब 35 किमी दूर वनग्राम तिरिया पहुंचने के बाद रोमांचक सफर शुरू हो जाता है। यहां वन विभाग का नाका व विश्राम भवन है। जहां पंजीयन के बाद ही श्रद्धालु आगे बढ़ सकते हैं। सर्पिली धूल भरी जंगल की सड़क, रास्ते के दोनों ओर साल-सागौन के ऐसे घने जंगल की सूर्य की रोशनी भी छन के नहीं आती, वीरान 17 किमी के एडवेंचर फॉरेस्ट के सफर के बाद चट्टानों पर चिंघाड़ती दहाड़ती शबरी नदी आती है। यहां तक ही चार पहियों वाहनों से पहुंचा जा सकता है।

शिवरात्रि में लगता है विशाल मेला

गुप्तेश्वर में वैसे तो साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है पर सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के दौरान यहां लंबी कतार लगती है। शिवरात्रि में मेला एक सप्ताह तक लगता है। ओडिशा, छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र तथा अन्य राज्यों से भी यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं प्राकृतिक शिवालय की वास्तुकारी भी बेजोड़ है जि विश्वकर्मा द्वारा बनाए जाने की मान्यता है

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