जोगी बंगला जर्जर घोषित : तोड़ने की तैयारी, बेशकीमती जमीन के उपयोग पर मंथन

Jogi Bungalow
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जोगी निवास जर्जर
कांग्रेस सरकार में कमर्शियल व रेसीडेंशियल कांप्लेक्स बनाने की योजना थी। व्यावसायिक उपयोग कर विभाग ने अपनी आय बढ़ाने की योजना तैयार की थी।

रायपुर। जोगी निवास के नाम से जाना जाने वाला सागौन बंगला लगभग 50 साल पुराना है, वह अब जर्जर हो चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का परिवार यहां पर करीब 20 साल तक रहा। अब जर्जर बंगले की श्रेणी में आने के कारण इसे तोड़ने पर विचार किया जा रहा है। सागौन बंगले का पूरा क्षेत्र लगभग दो एकड़ से अधिक क्षेत्र में स्थित है। आसपास के इलाके को मिलाकर यहां का पूरा परिसर 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला है। पूर्ववर्ती सरकार के समय पायलट प्रोजेक्ट के तहत कटोरा तालाब में पुराने दफ्तरों, आवास को तोड़कर वहां पर कांप्लेक्स बनाने की योजना थी। नई सरकार आने के बाद यहां की जमीन के उपयोग के बारे में निर्णय लिया जाना है।

उल्लेखनीय है कि, कांग्रेस सरकार के समय पीडब्ल्यूडी की राजधानी में सैकड़ों एकड़ जगह खाली पड़ी है या उसमें ऐसा निर्माण है, जो अनुपयोगी हो चुका है। इनका व्यावसायिक उपयोग कर विभाग ने अपनी आय बढ़ाने की योजना तैयार की थी। रायपुर के प्रोजेक्ट में सागौन बंगला भी शामिल था। सरकारी संपत्ति का उपयोग आमदनी के लिए कटोरातालाब और सिविल लाइंस के बीच की बेशकीमती सरकारी जमीन पर जल्दी ही कमर्शियल और रेसीडेंशियल कांप्लेक्स बनाने की योजना बनी थी। सागौन बंगला से लगे पीडब्ल्यूडी के दफ्तर और पुराने क्वार्टर वगैरह हैं, जिन्हें तोड़कर साढ़े 5 एकड़ का प्लाट निकाल कर और उसमें निर्माण शुरू करना था। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले कटोरातालाब वाले परिसर में कमर्शियल व रेसीडेंशियल कांप्लेक्स बनाने की योजना थी।

जर्जर घोषित, नहीं होगा आवंटन

जोगी परिवार द्वारा सागौन बंगला खाली करने के बाद संपदा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा सागौन बंगले को जर्जर घोषित किए जाने के बाद इसका आवंटन नहीं किया जाएगा। अब यह बंगला खाली होने के बाद बंद कर दिया गया है।

जल्द निर्णय ले सकती है सरकार

सागौन बंगले से लगे क्षेत्र के सामने के हिस्से पर बड़े पेड़ लगे हैं, यह गार्डन की तरह उपयोग किया जाता था। यही हिस्सा करीब डेढ़ एकड़ का होगा। यहां पर व्यावसायिक कांपलेक्स बनाया जा सकता है। बेशकीमती जमीन हजारों करोड़ की है। अब नई सरकार को यह निर्णय लेना है कि यहां की जमीन का क्या उपयोग किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में शांति नगर योजना को इस सरकार ने हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से फिर लांच किया है, इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बेशकीमती जमीन का व्यावसायिक उपयोग करने पर निर्णय जल्द लिया जाएगा।

दफ्तर की शिफ्टिंग

सागौन बंगले के पीछे और आसपास स्थित पीडब्ल्यूडी के तीन उपसंभाग दफ्तरों को खाली कर पुराने ईएनसी दफ्तर (सिरपुर भवन) परिसर में शिफ्ट भी किया जा चुका है। पुराने स्टाफ क्वार्टर और परिसर में रहने वाले चतुर्थ श्रेणी के पूर्व कर्मचारियों के परिवार के लोगों को जगह खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया है।

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