गांव छोड़ पहाड़ चढ़ गए कमार : सरकार ने पानी, बिजली, टॉवर, पक्की सड़क से सजा कर दिया था गांव, आदिवासियों को रास नहीं आया

हसन खान - मैनपुर। विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के लोगों को जंगलों शहरी इलाके के नजदीक बसाने की सरकारी योजना सफल नहीं हो पाई है। दुर्गम पहाड़ी के ऊपर बसे इन ग्रामीणों के लिए करोड़ों रुपए खर्च करते हुए सरकार ने सुविधाजनक नया ताराझर गांव बसाकर दिया था। इसमें बकायदा सभी परिवारों के लिए पक्का मकान, बेहतर पेयजल पानी की सुविधा, तालाब, बिजली, सीसी रोड, मोबाइल टावर व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। इसके बावजूद भी ग्रामीणों यह गांव रास नहीं आया, और वे वापस पहाड़ों की ओर लौट गए।
जानकारी के अनुसार, गरियाबंद जिले के तहसील मुख्यालय मैनपुर से करीब 18 किलोमीटर दूर घने जंगल के भीतर ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट है। इस पंचायत की कुल आबादी 1476 है, जिसमें 139 कमार परिवारों के लगभग 413 लोग पहाड़ी के ऊपर बसे है और इनका रहनवास 8 दशक पुराना है। बताया जा रहा है कि पिछले 10 सालों में 16 परिवार पहाड़ी से नीचे उतरकर बस गए, लेकिन अब भी ज्यादातर पहाड़ी के ऊपर बसे हुए है, जहां कोई भी सुविधाएं नहीं है।
रमन सरकार ने बनाई थी योजना
10-12 वर्ष पूर्व रमन सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण योजना बनाकर पहाड़ी के ऊपर बसे कमार जनजाति परिवारों को पहाड़ी के नीचे नया गांव ताराझर बनाकर बसाने की योजना बनाई गई। 2014-15 में भाजपा सरकार के दौरान तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 07 किलोमीटर दूर धारपानी और नेशनल हाईवे के किनारे बकायदा नया ताराझर गांव बसाया गया। इस गांव में 32 पक्का मकान इंदिरा आवास का निर्माण किया गया, तीन प्रधानमंत्री आवास का निर्माण बाद में किया गया। नए बसाए गए गांव में बकायदा बिजली लगाई, दो तालाब का निर्माण किया गया, पानी की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सौर सुजला योजना के तहत 24 घंटे पानी उपलब्ध कराई गई। पहाड़ी के ऊपर निवास करने वाले विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के 32 परिवारों को बकायदा नया ताराझर में लाकर बसाया गया। उस दौरान सरकार द्वारा बकायदा इन परिवारों को मूलभूत सुविधाए उपलब्ध कराते हुए उनके पुस्तैनी व्यवसाय बांस बर्तन बनाने के लिए बांस की जंगल भी उपलब्ध कराया गया। यहां निवास करने वाले ग्रामीणों को खेती किसानी के लिए जमीन उपलब्ध कराने का वायदा भी किया गया था।
जन-मन योजना के तहत सुविधा उपलब्ध कराने से एक बार फिर जगी उम्मीद
केन्द्र के नरेन्द्र मोदी एवं राज्य के विष्णुदेव सरकार द्वारा जन-मन योजना के तहत विशेष पिछड़ी कमार जनजातियों के विकास के लिए अनेक योजना संचालित किए जा रहे हैं। जिससे एक बार फिर उम्मीद जगी है कि कमार जनजाति के लोगों को जीविका के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराया जाए तो पहाड़ी के नीचे नया ताराझर गांव में बसाया जा सकता है।
सरकार बदलते ही योजना पर नहीं हुआ ठीक से काम
वर्ष 2018 में छत्तीसगढ में छत्तीसगढ में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस की सरकार बनी, यहां के ग्रामीणों को खेती किसानी दिलाने का जो वायदा किया गया था, उसे कांग्रेस सरकार भूल गई और ग्रामीणों को खेती किसानी व संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए । जिसके कारण यहां पहाड़ी के ऊपर से उतरकर निवास कर रहे 32 परिवार बकायदा 06-07 वर्षों तक इस नया ताराझर में निवास भी किए और उन्हे खेती किसानी व जीविकोपार्जन में दिक्कत होने के कारण यहां के ग्रामीण वापस अपने गांव पहाड़ी के ऊपर फिर चले गए।
पहाड़ी से लौटे ग्रामीणों ने यह बताई पीड़ा
यहां रहने वाले ग्रामीण जयसिंह, चरणसिंह कमार, जगनाथ कमार, अभिसिंह कमार, हरिसिंह कमार, धनीराम, सीताराम ने चर्चा में बताया कि वे पहाड़ी से उतरकर नया ताराझर में निवास कर रहे थे। जहां भले ही सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा थी, लेकिन उनके जीविकोपार्जन के लिए कोई ठोस योजना नहीं थी, जो खेत मिला था वह पथरीला था, जिसके कारण फसल नहीं होती और बांस बर्तन बनाने के लिए बांस भी नहीं मिल रहे थे। उस समय तत्कालीन अफसरों द्वारा अनेक सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी, लेकिन कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। ग्रामीणों ने कहां भले पहाड़ी में कोई सुविधा न मिले, लेकिन जीवन जीने के लिए पर्याप्त बांस बर्तन बनाने के लिए साधन है।