ईडी ने पूछे चार सवाल : कांग्रेस को बताना होगा कहां से आया पैसा, किसने बनाया भवन 

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कांग्रेस भवन सुकमा कोंटा के निर्माण के संबंध में चार बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। इसमें निर्माण करने वाले ठेकेदार और वित्तीय ब्योरा की जानकारी मांगी गई है। 

रायपुर। प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद सभी जिलों में कांग्रेस भवन बनाने और पुराने कांग्रेस भवन का जीर्णोद्धार करने का निर्णय लिया गया था। इसके तहत ही सुकमा-कोंटा में कांग्रेस भवन तैयार किया गया था। शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के ठिकानों से जब्त किए गए दास्तावेजों के आधार पर ईडी द्वारा कांग्रेस भवन सुकमा कोंटा के निर्माण के संबंध में चार बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। इसमें निर्माण करने वाले ठेकेदार और वित्तीय ब्योरा की जानकारी मांगी गई है। कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैंदू गुरुवार को सुबह 10.30 बजे ईडी कार्यालय पहुंच कर जानकारी देंगे।

ईडी का समन मिलने के बाद नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के बंगले में कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई। बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, सीनियर एडवोकेट फैजल रिजवी, पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर, शिव डहरिया, उमेश पटेल, धनेन्द्र साहू, विकास उपाध्याय और संगठन महामंत्री मलकीत सिंह गैदू शामिल हुए। बैठक में प्रवर्तन निदेशालय के समन को लेकर चर्चा हुई और तय किया गया कि जांच एजेंसी को क्या जवाब देना है। बैठक में यह तय किया गया कि ईडी को सभी सवालों के जवाब दिए जाएंगे, लेकिन इसके लिए कुछ और समय मांगा जाएगा। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस कानूनी आधार पर अपना पक्ष मजबूती से रखने की तैयारी कर रही है।

ईडी ने मांगी यह जानकारी

शराब घोटाले में कवासी लखमा का नाम आने के बाद कोंटा और सुकमा में बने कांग्रेस भवन के संबंध में समन जारी कर कांग्रेस मुख्यालय से सुकमा-कोटा में बने कांग्रेस कार्यालय भवन को लेकर पूछा है कि भवन के लिए फंड कहां से आया? निर्माण कब शुरू हुआ और इसका ठेकेदार कौन है? साथ ही इसका पूरा वित्तीय ब्योरा भी मांगा है।

संतोषजनक जानकारी न मिलने पर होगी कुर्की

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इसको लेकर संतोषजनक जानकारी नहीं मिलती है, तो राजीव भवन और कवासी लखमा के बेटे हरीश लखमा के मकान को कुर्क किया जा सकता है। यह पूरा मामला शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है। ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के रायपुर के धर्मपुरा स्थित बंगले पर 28 दिसंबर को छापेमारी की थी।

सभी जिलों में कांग्रेस कार्यालय बनाने की योजना

कांग्रेस सरकार आने के बाद करीब एक दर्जन जिलों में कांग्रेस का स्थायी कार्यालय नहीं था। इनमें कवर्धा, बिलासपुर, धमतरी, दुर्ग, सुकमा, अंबिकापुर, कोरिया और सरगुजा में राजीव भवन कार्यालय बन गया है, इसका लोकार्पण भी किया जा चुका है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद कांग्रेस भवन के लिए सरकारी जमीन का आवंटन कई जिलों में हुआ। वहीं कुछ नए जिले और तहसील कार्यालयों में विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस भवन बनाने का प्रस्ताव शामिल किया गया। सभी कांग्रेस भवन की डिजाइन एक समान रखी गई और उसे राजीव भवन का नाम दिया गया। यह भवन जन सहयोग से मिली राशि से तैयार करने पर सहमति बनी। प्रदेश में पर सहमति बनी। प्रदेश में सत्ता रहने के दौरान क्षेत्र के प्रभारी मंत्री और विधायकों को कांग्रेस भवन निर्माण की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

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