Logo
election banner
आंबेडकर अस्पताल में मरीजों को छोटी-मोटी जांच के लिए भी निराश होना पड़ रहा है। मसलन बदलते मौसम की वजह से होने वाली बीमारी का पता लगाने वाले टेस्ट भी नहीं किए जा रहे हैं।

रायपुर। राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल आंबेडकर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की टाइफाइड, लिपिड प्रोफाइल, थायरायड, रक्त से संबंधित विभिन्न तरह की जांच बंद कर दी गई है। इससे जाहिर होता है कि मरीजों का इलाज करने वाला यह अस्पताल खुद बीमार हो गया है। आंबेडकर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले 50 फीसदी मरीजों को मर्ज का पता लगाने के लिए पैथालॉजी, बायोकेमेस्ट्री और माइक्रोबॉयलाजी संबंधित जांच से गुजरना पड़ता है। इसके लिए उनके ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जाते हैं और रिपोर्ट मिलने के बाद इलाज की प्रक्रिया शुरू होती है।

अभी महीनेभर से मरीजों को इस तरह की जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इन विभागों ने री-एजेंट नहीं होने की वजह से जांच के लिए सैंपल ही लेना बंद कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि आंबेडकर अस्पताल आने वाले मरीजों को छोटी-मोटी जांच के लिए भी निराश होना पड़ रहा है। मसलन बदलते मौसम की वजह से होने वाली बीमारी का पता लगाने वाले टेस्ट भी नहीं किए जा रहे हैं। मरीजों को आवश्यकता होने पर निजी लैब से जाकर इस तरह का टेस्ट कराना पड़ता है अथवा दूसरे अस्पताल जाकर अपना इलाज कराना होता है।

आए दिन यही समस्या

सूत्रों के अनुसार, मेडिकल कॉलेजों के विभिन्न तरह की बीमारियों से संबंधित जांच किट की सप्लाई की जिम्मेदारी सीजीएमएसी की है। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन की ओर से चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के माध्यम से डिमांड की जाती है. दवा कॉपोरेशन इसके बाद संबंधित किट अथवा अन्य सामग्री की खरीदी प्रक्रिया कर सप्लाई करता है। कॉलेज से संबंधित खरीदी के लिए कुछ अधिकार डीन और डीएमई स्तर पर दिए जाने की योजना थी, मगर इस पर काम पूरा नहीं हो पाया है।

एनओसी देने कहा गया

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल  ने बताया कि, मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की डिमांड को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता के हिसाब से खरीदी करने के लिए सीजीएमएससी को एनओसी देने कहा गया है। उनकी ओर क्या प्रक्रिया अपनाई गई है, इस बारे में जानकारी ली जाएगी। 

कैंसर समेत कई तरह की जांच प्रभावित

सूत्रों के अनुसार तीनों विभाग मिलाकर अभी यूरिया, बिलीरुबीन, एएसटी, एएलटी, सोडियम, पोटेशियम, कोलेस्ट्राल, एचबीएल, लिपिड प्रोफाइल, थायरायड फंक्शनल, हार्मोन्स से संबंधित टेस्ट, प्रोटीन, यूरिक एसिड, सीबीसी, मलेरिया, हीमोग्लोबिन एचसीबी, वायरल मार्कर तथा कैंसर मरीजों के ट्यूमर मार्कर से संबंधित जांच नहीं की जा रही है। पैथालॉजी विभाग कुछ टेस्ट मैनुअली तरीके से करता है, मगर इसकी प्रक्रिया काफी लंबी और धीमी होती है।

एकमात्र वजह री-एजेंट की दिक्कत

अस्पताल प्रबंधन से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जांच नहीं होने की एकमात्र वजह री-एजेंट की दिक्कत है। इस तरह की जांच किट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सीजीएमएससी की है। उन्हें इसकी डिमांड भेजी जा चुकी है, मगर सप्लाई की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है, और न ही खरीदी के लिए किसी तरह के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए सरकार प्रक्रिया पूरी होने के साथ आचार संहिता के सिस्टम का हवाला भी दिया जा रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि व्यवस्था सामान्य होने के लिए अभी महीनेभर और इंतजार करना पड़ सकता है।

5379487