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अबूझमाड़ के ग्रामीण अब राजधानी रायपुर तक का सफर कर सकते हैं। 2006 के बाद से माओवादियों के डर से यहां के ग्रामीण राजधानी रायपुर से कट से गए थे।

जीवानंद हलधर-जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित अबूझमाड़ के ग्रामीण अब राजधानी रायपुर तक का सफर कर सकते हैं। 2006 के बाद से माओवादियों के डर से यहां के ग्रामीण राजधानी रायपुर से कट से गए थे। हालांकि अब यह यात्रा उनके विकास में भागीदारी निभाने वाली होगी। क्योंकि 18 साल बाद अबूझमाड़ के ग्रामीण अब राजधनी तक का सफर करने जा रहे हैं। यह सेवा उन्हें बैलाडीला से निकलने वाली पायल बस से मिल रही है।

बता दें, 2006 के बाद नक्सलियों के खौफ के चलते कुछ मार्ग बंद हो गए थे और इन इलाकों में माओवादियों ने कब्जा किया था। लेकिन अब जवानों की मुस्तैदी से यह राह आसान हो गई और अबूझमाड़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों से ग्रामीण अब एक जगह से दूसरी जगहों में जा सकेंगे। 

नक्सलियों के टारगेट में रहता था नारायणपुर मार्ग 

18 साल बाद इस मार्ग में बस सेवा की शुरुआत की गई है और यह बस सुबह दक्षिण बस्तर बैलाडीला से निकल कर पल्ली, बारसूर होते हुए अबूझमाड़ के रास्तों से निकलते हुए राजधानी रायपुर पहुंचेगी। इससे पहले पल्ली बारसूर और नारायणपुर का मार्ग नक्सलियों के निशाने पर रहता था। हालांकि यहां पर लगातार जवानों ने नक्सल अभियान चलाया और यही कारण है कि अब ये रास्ते सुरक्षित माने जा रहे हैं।

जवानों ने सड़कों पर जाल बिछाया 

अबूझमाड़ के कुछ इलाकों को सुरक्षा बलों ने सुरक्षित रखा है और सुरक्षा जवानों की मुस्तैदी से सड़कों पर सुरक्षा का जाल भी बिछाया गया है। इधर 18 साल बाद शुरु हुई अबूझमाड़ मार्ग को लेकर ग्रामीणों को सड़क और बस की सुविधा मिलने से लोगो में काफी उत्साह दिख रहा है। वहीं बस्तर के लोगों का भी यही मानना है कि, अब बस्तर बदल रहा है। 

ग्रामीण देश-दुनिया से जुड़ने जा रहे हैं

बूझमाड़ के ग्रामीण बाहर निकलकर देश-दुनिया से जुड़ने जा रहे हैं। 2006 से बंद हुई बस सेवा शुरू होने से सुरक्षा से जुड़े जवानों को बधाई भी दी गई है और कहा है कि, नक्सल घटनाओं में सुरक्षा बलों के चलते कमी आई है और अब बस्तर विकास के लिए और बेहतर हो जाएगा।

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