डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : आर्थिक त्रासदियों का रहा वर्ष
कोरोना वायरस से निर्मित अप्रत्याशित आर्थिक चुनौतियों के कारण आजादी के बाद का सबसे बुरा आर्थिक वर्ष रहा है। यद्यपि वर्ष 2020 में देश की विकास दर में भारी गिरावट आई, रोजगार के अवसरों में कमी आई, लोगों की आमदनी घट गई, लेकिन फिर भी वर्ष 2020 के अंतिम छोर पर देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 की आर्थिक मुश्किलों से बाहर निकलती हुई दिखाई दी है।यह बात महत्पूर्ण रही कि सरकार की ओर से जून 2020 के बाद अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलने के साथ राजकोषीय और नीतिगत कदमों का अर्थव्यवस्था पर अनुकूल असर पड़ा। यद्यपि वर्ष 2020 में देश महामारी से नहीं उबरा, लेकिन अर्थव्यवस्था ने तेजी हासिल करने की क्षमता दिखाई।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी
डॉ. जयंतीलाल भंडारी
निस्संदेह वर्ष 2020 कोरोना वायरस से निर्मित अप्रत्याशित आर्थिक चुनौतियों के कारण आजादी के बाद का सबसे बुरा आर्थिक वर्ष रहा है। यद्यपि वर्ष 2020 में देश की विकास दर में भारी गिरावट आई, रोजगार के अवसरों में कमी आई, लोगों की आमदनी घट गई, लेकिन फिर भी वर्ष 2020 के अंतिम छोर पर देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 की आर्थिक मुश्किलों से बाहर निकलती हुई दिखाई दी है।
गौरतलब है कि जब वर्ष 2020 की शुरुआत हुई, तब जनवरी माह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), वर्ल्ड बैंक तथा दुनिया के अनेक वैश्विक संगठन यह कहते हुए दिखाई दे रहे थे कि वर्ष 2019 की आर्थिक निराशाओं को बदलते हुए वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन सुधरेगा और विकास दर तेजी से बढ़ेगी, लेकिन कोविड-19 के कारण ऐसी सब उम्मीदें धरी रह गई। कोरोना संक्रमण ने दुनिया के साथ-साथ देश के आर्थिक और सामाजिक जीवन में हाहाकार मचा दिया। देश में फरवरी 2020 के बाद जैसे-जैसे कोविड-19 की चुनौतियां बढ़ने लगी, वैसे-वैसे देश में अकल्पनीय आर्थिक निराशा का दौर बढ़ने लगा। देश के उद्योग-कारोबार मुश्किलों का सामना करते हुए दिखाई दिए और इनमें रोजगार चुनौतियां बढ़ गई।
निस्संदेह कोविड-19 के कारण वर्ष 2020 में देश में पहली बार प्रवासी श्रमिकों की अकल्पनीय पीड़ाएं देखी गई। खासतौर से जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्योग (एमएसएमई) पहले से ही मुश्किलों के दौर से आगे बढ़ रहे थे, कोरोना और लॉकडाउन के कारण इन उद्योगों के उद्यमियों और कारोबारियों के सामने उनके कर्मचारियों को वेतन और मजदूरी देने का संकट खड़ा हो गया| देश के करीब 45 करोड़ के वर्क फोर्स में से असंगठित क्षेत्र के 90 फ़ीसदी श्रमिकों और कर्मचारियों की रोजगार मुश्किलें बढ़ गई| देश के कोने-कोने में पैदल, ट्रकों और ट्रेनों से लाखों श्रमिक शहर छोड़कर अपने-अपने गांवों में जाते हुए दिखाई दिए। ये ऐसे श्रमिक थे जिनके पास सामाजिक सुरक्षा की कोई छतरी नहीं थी।
इन आर्थिक एवं रोजगार चुनौतियों के बीच कोविड-19 के संकट से चरमराती देश की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मनिर्भर अभियान के तहत वर्ष 2020 में मार्च से लगाकर नवंबर के बीच सरकार ने एक के बाद एक 29.87 लाख करोड़ की राहतों के एेलान किए। इन राहतों के तहत आत्मनिर्भर भारत अभियान-एक के तहत 11,02,650 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 1,92,800 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 82911 करोड़ रुपये आत्मनिर्भर भारत अभियान- दो के तहत 73,000 करोड़ रुपये, आरबीआई के उपायों से राहत के तहत 12,71,200 करोड़ रुपये तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान- तीन के तहत 2.65 लाख करोड़ की राहत शामिल हैं।
इन विभिन्न आर्थिक पैकेजों से देश के लिए आत्मनिर्भरता के पाँच स्तंभों को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया। इन पांच स्तंभों में तेजी से छलांग लगाती अर्थव्यवस्था, आधुनिक भारत की पहचान बनता बुनियादी ढांचा, नए जमाने की तकनीक केंद्रित व्यवस्थाओं पर चलता तंत्र, देश की ताकत बन रही आबादी और मांग एवं आपूर्ति चक्र को मजबूत बनाना शामिल है। यह बात महत्पूर्ण रही कि सरकार की ओर से जून 2020 के बाद अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलने के साथ राजकोषीय और नीतिगत कदमों का अर्थव्यवस्था पर अनुकूल असर पड़ा। यद्यपि वर्ष 2020 में देश महामारी से नहीं उबरा, लेकिन अर्थव्यवस्था ने तेजी हासिल करने की क्षमता दिखाई।
यदि हम अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 तक के विभिन्न औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र के आंकड़ों का मूल्यांकन करें तो यह पूरा परिदृश्य आशान्वित होने की नई संभावनाएं देता है। देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर, बिजली सेक्टर, रेलवे माल ढुलाई सेक्टर में सुधार तेज सुधार हुआ। इतना ही नहीं दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं, सूचना प्रौद्योगिकी, वाहन कलपुर्जा, फार्मा सेक्टर इस्पात और सीमेंट आदि क्षेत्रों का प्रदर्शन आशा से भी बेहतर दिखा। आईटी क्षेत्र की विभिन्न बड़ी कंपनियों की ओर से भी आशावादी अनुमान जारी हुए। ज्ञातव्य है कि कोरोना के कारण जून 2020 तक अर्थव्यवस्था में गहरी निराशा का दौर रहा। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2020 में जीडीपी में गिरावट 23.9 फीसदी थी। इसकी तुलना में दूसरी तिमाही में जीडीपी की गिरावट सुधरकर 7.5 फीसदी रह गई, लेकिन चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में तेज सुधार की उम्मीदों का परिदृश्य दिखाई दिया है। वर्ष 2020 के अंतिम छोर पर अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ है। दिसंबर 2020 में बीएसई सेसेंक्स 47 हजार के पार भी दिखाई दिया। विदेशी मुद्रा भंडार दिसंबर माह में 581 अरब डॉलर से भी ऊंचाई पर पहुंच गया।
निश्चित रूप से भारत ने वर्ष 2020 में कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों का सफल मुकाबला किया। एशियन डेवलपमेंट बैंक सहित विभिन्न वैश्विक संगठनों के मुताबिक कोविड-19 से जंग में भारत के रणनीतिक प्रयासों से कोविड-19 का अर्थव्यवस्था पर अन्य देशों की तुलना में कम प्रभाव पड़ा। सरकार के गरीबों और किसानों के जन-धन खातों तक सीधी राहत पहुंचाने से कोविड-19 के आर्थिक दुष्प्रभावों से बहुत कुछ बचा जा सका है। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के बीच भारत ने आपदा को अवसर में भी बदलने का पूरा प्रयास किया है। भारत ने दुनिया के कई देशों को दवाई, स्वास्थ्य और कृषि उत्पादों जैसी कई वस्तुओं का निर्यात करके उन्हें कोरोना की चुनौतियों से राहत भी पहुंचाई है। निस्संदेह कोरोना से जंग में सरकार के द्वारा उठाए गए रणनीतिक कदमों से वर्ष 2020 के अंतिम सोपान पर अर्थव्यवस्था विकास की डगर पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दी है। कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों के बीच वैश्विक प्रबंधन सलाहकार फर्म मैकिंजी, एसेंचर कंज्यूमर पल्स, डेलाइट और फिच सॉल्यूशंस के द्वारा वर्ष 2020 में प्रकाशित वैश्विक उपभोक्ताओं के आशावाद संबंधी सर्वेक्षणों में कहा गया है कि दुनिया में कोरोना की चुनौतियों से सबसे पहले बाहर आने के परिप्रेक्ष्य में भारतीय उपभोक्ताओं का आशावाद दुनिया में सर्वाधिक है, लेकिन अभी कोविड-19 की चुनौतियां समाप्त नहीं हुई हैं, अब 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक में प्रवेश करते समय आगामी वर्ष 2021 में देश में बुनियादी व्यवस्थाओं और आर्थिक संसाधनों के अधिकतम उपयोग की रणनीति जरूरी होगी।
ऐसे में हम उम्मीद कर सकते हैं कि वर्ष 2020 में सरकार के द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विभिन्न आर्थिक पैकेजों और आर्थिक सुधारों के कारगर क्रियान्वयन से नए वर्ष 2021 में अर्थव्यवस्था गतिशील होते हुए दिखाई देगी ।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।