विश्लेषण: क्या मतदान के दिन चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए?

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विश्लेषण: क्या मतदान के दिन चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए?
Chunav 2024 Polling Day: चुनाव आयोग को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चुनाव के दिन, बिना चुनाव वाले क्षेत्र में किसी भी प्रकार की रैली, चुनावी सभा, राजनीतिक बयानबाजी आदि पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। 

लोकसभा चुनाव 2024: चुनाव आयोग ने मुस्तैदी से चुनाव की तैयारी की है। चुनाव का शेडयूल जरूर लंबा है और उबाऊ है, लेकिन आयोग का मकसद शांतिपूर्ण मतदान है। पहले चरण में तमिलनाडु (39), उत्तराखंड (5), अरुणाचल प्रदेश (2), मेघालय (2), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (1), मिजोरम (1), नगालैंड (1), पुडुचेरी (1), सिक्किम (1) और लक्षद्वीप (1) में सभी लोकसभा सीटों पर मतदान पूर्ण हो गया। अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम की सभी विधानसभा सीटों पर भी चुनाव संपन्न हो गया।

हालांकि, अभी तो चुनाव शुरू हुआ है, लेकिन चुनाव आयोग को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चुनाव के दिन, बिना चुनाव वाले क्षेत्र में किसी भी प्रकार की रैली, चुनावी सभा, राजनीतिक बयानबाजी आदि पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

केंद्रीय चुनाव आयोग को अपनी आचार संहिता के दायरे को बड़ा करते हुए यह सख्त नियम बनाना चाहिए कि चुनाव के दिन अन्य किसी भी हिस्से में चुनाव प्रचार न चले। ऐसे चुनाव प्रचार वोटिंग कर रहे मतदाताओं को ध्यान में रखकर ही किए जाते हैं। यह परिपाटी देश में पिछले कई चुनावों से चल रही है। या तो देश में एक डेट में चुनाव हो, या कम से कम चरणों में कम से कम अंतराल पर चुनाव हो।

यकीनन, आम चुनाव के पहले चरण का मतदान छिटपुट हिंसा को छोड़ दें, तो शांतिपूर्ण रहा। पहले चरण में 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 102 लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई। चुनाव को लेकर मतदाताओं में खास उत्साह देख गया, शाम पांच बजे तक औसत 60 फीसदी मतदान हुआ। त्रिपुरा में सबसे ज्यादा मतदान हुआ, जबकि बिहार में वोटिंग को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाई दिया।

पश्चिम बंगाल व कश्मीर में उम्मीद से अधिक वोटिंग हुई है। कश्मीर में वोटिंग बढ़ने का मतलब है कि लोग वहां विकास कार्यों को सकारात्मक रूप में ले रहे हैं और वहां हो रहे विकासात्मक व सिस्टमैटिक बदलाव को साफ महसूस कर रहे हैं। पहले चरण में चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं सामने आई, वहीं छत्तीसगढ़ में एक ग्रेनेड लांचर के गोले में दुर्घटनावश विस्फोट होने से सीआरपीएफ के एक जवान की मौत हो गई। यह बहुत दुखद है।

विभिन्न मतदान केंद्रों पर पहली बार मतदान करने वालों में विवाह परिधान में आए कई नवविवाहित जोड़े, दिव्यांग लोग और स्ट्रेचर तथा व्हीलचेयर पर आए कुछ बुजुर्ग शामिल थे। तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह और असम में कुछ बूथ पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में मामूली खामियों की शिकायत आई।

नगालैंड के छह जिलों में सन्नाटा पसरा रहा जहां अलग राज्य की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों के एक संघ द्वारा अनिश्चितकालीन बंद के आह्वान के कारण लोग घरों में ही रहे। हिंसा प्रभावित मणिपुर में मतदान करीब-करीब शांतिपूर्ण रहा। मणिपुर में कुछ स्थानों पर ईवीएम को नुकसान पहुंचाए जाने की भी खबरें आईं।

पहले चरण में 1.87 लाख मतदान केंद्रों पर 16.63 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इस बीच, ईवीएम पर चल रही विपक्ष की राजनीति के बीच केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ी आशंकाओं को खारिज कर दिया। आयोग ने स्पष्ट कहा कि सबका वोट सुरक्षित है, ईपीएम शत-प्रतिशत सुरक्षित हैं, क्योंकि बड़ी मात्रा में तकनीकी, प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक सुरक्षा मानक अपनाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला है, लोगों को फैसले का इंतजार है।

इससे पहले भी कई बार ईवीएम की तकनीकी दक्षता के प्रमाण दिए जा चुके हैं। ईवीएम के तकनीकी पक्ष पर बहस समाप्त होनी चाहिए।

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