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विश्वभर में प्रतिवर्ष 25 नवम्बर को महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ (International Day for the Elimination of Violence against Women) मनाया जाता है।

योगेश कुमार गोयल। विश्वभर में प्रतिवर्ष 25 नवम्बर को महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ (International Day for the Elimination of Violence against Women) मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल द्वारा डोमिनिक शासक रैफेल ट्रुजिलो की तानाशाही का कड़ा विरोध किए जाने पर उस क्रूर शासक के आदेश पर 25 नवम्बर 1960 को उन तीनों बहनों की हत्या कर दी गई थी। वर्ष 1981 से उस दिन को महिला अधिकारों के समर्थक और कार्यकर्ता उन्हीं तीनों बहनों की मृत्यु की पुण्यतिथि के रूप में मनाते आए हैं। 

‘संयुक्त राष्ट्र महिला’ का गठन

सरकारों, निजी क्षेत्र और प्रबुद्ध समाज से यौन हिंसा और महिलाओं के उत्पीड़न के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाने का आग्रह करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतरेस का कहना है कि महिलाओं के प्रति हिंसा विश्व में सबसे भयंकर और व्यापक मानवाधिकार उल्लंघनों में शामिल है। महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र महिला’ का गठन किया गया था। 

संयुक्त राष्ट्र महिला के आंकड़ों के अनुसार विश्वभर में 15-19 आयु वर्ग की करीब डेढ़ करोड़ किशोर लड़कियां जीवन में कभी न कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। भारत के संदर्भ में महिला हिंसा को लेकर आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति काफी चिंताजनक है। 

राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़े 

राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 19 सितंबर तक ही आयोग में महिलाओं के खिलाफ अपराध की कुल 20693 शिकायतें मिली हैं, जो इस वर्ष के अंत तक काफी बढ़ सकती हैं। 2022 में आयोग को 30957 शिकायतें मिली थी, जो 2014 के बाद सर्वाधिक थी। 2014 में 30906 शिकायतें दर्ज की गई थी। 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 30 हजार से ज्यादा शिकायतें मिली थी। 

लड़कियां-महिलाओं के गायब होने के मामले 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट बताती है कि देश में प्रतिदिन 246 लड़कियां और 1027 महिलाएं गायब हो रही हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के दौरान देश में कुल 82084 लड़कियां गुम हुई थी जबकि महिलाओं की संख्या 342168 थी। 2020 में 79233 लड़कियां गायब हुई और लापता महिलाओं की संख्या 344422 थी जबकि 2021 में 90113 लड़कियां गायब हुई और 375058 महिलाएं लापता हो गई थी। 2021 के दौरान मध्य प्रदेश में 13034 लड़कियां और 55704 महिलाएं गायब होने के मामले दर्ज हुए जबकि महाराष्ट्र में 3937 लड़कियां और 56498 महिलाएं गायब हुई।

बहरहाल, महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने को लेकर यूएन महासचिव गुतारेस ने दुनियाभर की सरकारों से 2026 तक महिलाओं के हित में आन्दोलनों के लिए वित्त पोषण 50 फीसदी बढ़ाने का भी आह्वान किया है। अब परिवर्तनकारी कार्रवाई का समय है और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को इतिहास की किताबों में शामिल किया जाना चाहिए।

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