डॉ. मोनिका शर्मा का लेख : देश का मान बढ़ाने वाली उपलब्धि
आज दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत में बसती है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में जीत दर्ज करके वैश्विक पटल पर चमक रहे इस चेहरे की बातें युवाओं के लिए भी प्रेरणादायी हैं। मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के आखिरी चरण में सभी प्रतिभागियों से पूछा गया था कि, आज के समय में दबाव का सामना कर रही उन युवा महिलाओं को वो क्या सलाह देना चाहेंगी जिससे वो उसका सामना कर सकें?' इस प्रश्न के लोगों का मन जीतने और गहरे मायने लिए जवाब ने उनकी जीत पक्की की। हरनाज ने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि 'आज के युवा के सामने सबसे बड़ा दबाव खुद पर यक़ीन करने को लेकर है, यह जानना कि आप सबसे अलग हैं आपको खूबसूरत बनाता है|

डॉ. मोनिका शर्मा
डॉ. मोनिका शर्मा
मिस यूनिवर्स-2021 का खिताब अपने नाम करने वाली हरनाज कौर संधू सुंदर चेहरा भर नहीं है। देश का प्रतिनिधित्व करने वाली एक बेटी है। वैश्विक स्तर पर आयोजित एक प्रतियोगिता में अपने मन में संजोए सपनों को पूरा करने और देश का मान बढ़ाने वाली बेटी| हरनाज ने कहा भी है कि 21 साल बाद इस गौरवशाली ताज को भारत लाना गर्व का क्षण है। यकीनन, ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरी एक बेटी की यह उपलब्धि देश के हर नागरिक के लिए गर्व करने की बात है।
दरअसल फैशन, मॉडलिंग, खेल या व्यवसाय। क्षेत्र कोई भी हो, उपलब्धि की मुस्कुराहटों से सजी जीत एक भारतीय की जीत होती है| फिर चाहे ग्लैमर की दुनिया से जुड़ी प्रतियोगिता में विजेता बनने के बाद सिर पर सजा ताज हो या तकनीक और खेल के संसार में मिली पहचान| हर जीत अपने देश के आंगन में मिली समझ, सहयोग और मार्गदर्शन का संदेश लिए होती है|ये संदेश हमारे देश की मिट्टी और हमारे पारिवारिक संस्कारों की ही देन हैं। गौरतलब है कि अभिनेत्री और मॉडल हरनाज ने 79 देशों की प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए सर्वश्रेष्ठ तीन प्रतिभागियों में जगह बनाने के बाद दक्षिण अफ्रीका की ललेला मसवाने और पराग्वे की नादिया फ़रेरा को पीछे छोड़ते हुए यह खिताब जीता है।
इजराइल के इलियट में आयोजित 70वीं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत की हरनाज ने यह जीत देश के नाम की है। मुस्कुराते चेहरे और सहज और सधे हुए व्यक्तित्व ने इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में 21 साल बाद हमारे देश को जीत दिलाई है। हरनाज से पहले दो भारतीय महिलाओं ने मिस यूनिवर्स का ताज हासिल किया है। इससे पहले अभिनेत्री सुष्मिता सेन और लारा दत्ता ने यह ताज पहनकर देश का मान बढ़ाया था। गौरतलब है कि साल 2000 में भारत की लारा दत्ता और 1994 में सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स का ताज देश एक नाम किया था| विचारणीय है ऐसी प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज करने वाले चेहरे एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व के तौर पर देखे जाते हैं। यही वजह है कि उनसे पूछे गए सवालों के जवाबों से लेकर उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि तक सब कुछ चर्चा का विषय बन जाता है। विशेषकर युवाओं की सोच को उनके विचार और व्यक्तित्व से जुड़ी बातें खूब प्रभावित करती हैं। इस साल मिस यूनिवर्स के ख़िताब पर क़ब्ज़ा जमाने वाली 21 वर्षीय हरनाज द्वारा दिए गए एक सवाल के जबाव को लेकर भी खूब चर्चा हो रही है।
दरअसल प्रतियोगिता के आखिरी चरण में सभी प्रतिभागियों से पूछा गया था कि, आज के समय में दबाव का सामना कर रही उन युवा महिलाओं को वो क्या सलाह देना चाहेंगी जिससे वो उसका सामना कर सकें?' इस प्रश्न के लोगों का मन जीतने और गहरे मायने लिए जवाब ने उनकी जीत पक्की की। हरनाज ने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि 'आज के युवा के सामने सबसे बड़ा दबाव खुद पर यक़ीन करने को लेकर है, यह जानना कि आप सबसे अलग हैं आपको खूबसूरत बनाता है| ख़ुद की लोगों से तुलना करना बंद करें| उन चीज़ों के बारे में बात करें जो दुनिया में हो रही हैं, और ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं| खुद के लिए आवाज उठाइए क्योंकि आप स्वयं ही अपने जीवन के नेतृत्वकर्ता हैं, आप ही आपकी आवाज़ हैं| मैंने ख़ुद पर यक़ीन किया और आज यहां खड़ी हूं|' हरनाज ने उत्तर में औरों से तुलना की सोच से दूर रहते हुए अपना मनोबल बनाए रखने और मुखर होकर अपनी बात कहने की पैरवी की| युवाओं के लिए अपने आप में यकीन रखने को जरूरी बताया। यहां पर यह कहना गलत नहीं होगा कि आज के दौर में यह अपने सपने साधने और तरक्की की राह पर आगे बढ़ने का मूल मन्त्र है।
देखने में भी आ रहा है कि हमारे यहां हर क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं अब मुखर होकर अपनी बात रख रही हैं| नतीजतन आये दिन देश की बेटियों की उपलब्धियां हमारे सामने आती रहती हैं| कम उम्र में शादी के विरोध से लेकर उच्च शिक्षा जारी रखने के लिए आवाज़ उठाने और मतदान के लिए घर से निकलने से लेकर आर्थिक आत्मनिर्भरता के मोर्चे तक| महिलाएं पूरे आत्मविश्वास से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। इतना ही नहीं आज के दौर की महिलाएं अपने परिवेश की बदलती परिस्थितियों, अधिकारों और कर्तव्यों को लेकर भी जागरूक हैं | सुखद है कि यह ताज हासिल करने के बाद सोशल मीडिया से लेकर आम जीवन तक चर्चा में आए भारत की इस बेटी के इन विचारों की पहुंच देश के कोने-कोने में बसी महिलाओं तक पहुंचेगी। मुखरता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के विषय में चर्चा भी अवश्य ही होगी।
आज दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत में बसती है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में जीत दर्ज करके वैश्विक पटल पर चमक रहे इस चेहरे की बातें युवाओं के लिए भी प्रेरणादायी हैं। दूसरों से तुलना करने के बजाय सजग हो खुद के लिए आवाज़ उठाने की बात देश के युवाओं के लिए बेहतरी का मन्त्र सा है। यह एक कटु सच है कि आज के दौर में सोशल मीडिया अपडेट्स से लेकर आम जिन्दगी की चमक दमक तक, तुलना करने की सोच ने युवाओं को तनाव और अवसाद का शिकार बना रखा है। किसी से पीछे छूट जाने की आभासी उलझनों ने घेर रखा है| इतना ही नहीं जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं के प्रति गम्भीरता की कमी से जुड़े सवाल के जवाब में भी हरनाज ने मौजूदा हालात को बातें कम और काम ज्यादा करने वाली परिस्थितियां मानते हुए कहा कि हमारा हर एक काम प्रकृति को या तो बचा सकता है या नष्ट कर सकता है। रोकथाम और सुरक्षा करना, पछताने और मरम्मत करने से बेहतर है|' प्रकृति को सहेजने से जुड़े व्यावहारिक विचार रखने वाले भारतीय चेहरे ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने परिवार को दिया है। विचारणीय है कि मुखरता, सफलता और होड़ की दौड़ में शामिल होने के बजाय स्वयं को संवारने-साधने से जुड़ी ऐसी बातें आज के युवाओं के लिए चिन्तन का विषय हैं। खासकर देश की बेटियों को आत्मविश्वास से भरने और अपने सपने साधने का सन्देश देती हैं| आज के प्रतियोगी समाज में असल जरूरत खुद को बेहतर बनाने की है। सुखद यह भी है कि ऐसे भाव भविष्य में हर क्षेत्र से जुड़े युवाओं में आगे बढ़ने और सार्थक उपलब्धियां देश के नाम करने की ऊर्जा भरने वाले हैं।
( ये लेखक के अपने विचार हैं। )