'सेना का मनोबल ना गिराएं': SC ने पहलगाम हमले से जुड़ी याचिका पर लगाई फटकार; जानिए याचिकाकर्ता से क्या कहा?

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केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना विस्तृत जवाब दाखिल किया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 मई) को पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा-ऐसी याचिकाओं से सुरक्षा बलों का मनोबल ना गिराएं। 

SC ON Pahalgam Terror Attack: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 मई) को पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटीश्वर सिंह की बेंच ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई और हमले की जांच की मांग खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा-जज आतंकी मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं। यह वक्त अर्जी दाखिल करने का नहीं है। इस समय देश के हर नागरिक ने आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है। क्या आप सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना चाहते हैं।

जानिए याचिका में क्या कहा था
जम्मू-कश्मीर में पहलगाम के बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने 26 पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। आतंकी हमले को लेकर याचिकाकर्ता फतेह कुमार साहू और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में हमले की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की मांग के अलावा केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की थी।

जानिए कोर्ट ने क्या, क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार याचिका पर सुनवाई होनी थी। जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा-इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझें। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कड़े शब्दों में कहा-क्या आप हमारी सेनाओं का मनोबल इस तरह गिराना चाहते हैं? जनहित याचिका दाखिल करने से पहले जिम्मेदारी दिखाइए, आपका देश के प्रति भी एक कर्तव्य है।

जज इन मामलों के विशेषज्ञ नहीं
पीठ ने कहा-राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी अभियानों जैसे मामलों की जांच न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती। कोर्ट ने फिर कहा-हम सुप्रीम कोर्ट के जज कब से इन मामलों के विशेषज्ञ हो गए? अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना और उस पर आगे विचार करने से इनकार कर दिया।

हमें स्वीकार्य नहीं है
कोर्ट ने कहा-यह अर्जी दाखिल करने का वक्त नहीं है। यह वह घड़ी है जब हर नागरिक एकजुट हो रहा है। यह हमें स्वीकार्य नहीं है। याचिकाकर्ता ने सफाई दी कि याचिका विभिन्न राज्यों में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों की ओर से चिंता के रूप में दाखिल की गई थी। जिन्हें हमले के बाद बदले की भावना से खतरा हो सकता है। न्यायमूर्ति एन.के. सिंह ने कहा-कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा से संबंधित याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा-छात्रों को लेकर जो प्रार्थना है, उसके लिए आप हाईकोर्ट का रुख करें।

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