Republic Day Chief Guest:भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर एक विदेशी नेता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने की परंपरा है। इस बार मुख्य अतिथि इंडोनेशिया (Indonesia) के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो (Prabowo Subianto) हैं। यह परंपरा 1950 में शुरू हुई थी और तब से यह भारतीय कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। मुख्य अतिथि के चयन का उद्देश्य केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा को भी दर्शाता है। आइए जानते हैं गणतंत्र दिवस समारोह के लिए कैसे चुने जाते हैं मुख्य अतिथि और क्या है इसका महत्व।
कैसे चुना जाता है मुख्य अतिथि?
गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि को चुनने की प्रक्रिया बेहद सोच-समझकर और रणनीतिक रूप से तय की जाती है। इस फैसले में सबसे अहम भूमिका भारत की विदेश नीति निभाती है। किसी भी देश के नेता को मुख्य अतिथि बनाने से पहले उस देश के साथ भारत के राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों का विश्लेषण किया जाता है। यह देखा जाता है कि क्या उस देश के साथ भारत के संबंध मजबूत हैं या उनमें सुधार की आवश्यकता है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्राथमिकताओं को भी दिखाता है।
द्विपक्षीय और आर्थिक संबंधों की अहमियत
मुख्य अतिथि के चयन में आर्थिक और व्यापारिक संबंध भी महत्वपूर्ण होते हैं। जिन देशों के साथ भारत का व्यापारिक सहयोग मजबूत है, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। उदाहरण के तौर पर, 2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद को मुख्य अतिथि बनाया गया था। यह उस समय दोनों देशों के बीच राफेल सौदे और अन्य रक्षा समझौतों को दर्शाने का संकेत था। इसी तरह, 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की उपस्थिति भारत-अमेरिका संबंधों में एक नई दिशा को दर्शाती है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलू भी हैं जरूरी
कभी-कभी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध भी मुख्य अतिथि के चयन में भूमिका निभाते हैं। भारत उन देशों को प्राथमिकता देता है, जिनके साथ उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते गहरे हैं। उदाहरण के लिए, जापान और भारत के बीच प्राचीन बौद्ध संस्कृति का संबंध है। यही वजह है कि जापानी नेताओं को कई बार मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया। इस तरह के निमंत्रण दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करते हैं।
फ्रांस से सबसे ज्यादा बार पहुंचे हैं मेहमान
अब तक गणतंत्र दिवस पर सबसे ज्यादा बार फ्रांस के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। फ्रांस के नेताओं ने 1976, 1980, 1998, 2008, 2016 और 2024 में मुख्य अतिथि के रूप में भारत का दौरा किया। यह भारत और फ्रांस के बीच मजबूत रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग को दिखाता है। इसके अलावा, फ्रांस की गणतंत्र दिवस पर उपस्थिति भारत-फ्रांस संबंधों की गहराई को भी दर्शाती है।
पाकिस्तान को भी दो बार मिला मौका
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा जटिल रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान को दो बार गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनने का मौका मिला। 1955 में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद और 1965 में कृषि मंत्री राना अब्दुल हामिद मुख्य अतिथि बने। हालांकि, 1965 में पाकिस्तान को आमंत्रित करने के छह महीने बाद ही भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया था। इस घटना ने यह दिखाया कि कूटनीतिक सम्मान देने के बावजूद रिश्तों में तनाव बना रह सकता है।
कूटनीति और वैश्विक संबंधों का असर
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि को आमंत्रित करना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह भारत की कूटनीति का एक अहम हिस्सा है। यह भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है। मुख्य अतिथि की उपस्थिति से दोनों देशों के बीच संबंधों में गर्मजोशी आती है और द्विपक्षीय वार्ता, व्यापारिक समझौते और रक्षा सहयोग में नई ऊर्जा मिलती है। इस आयोजन के जरिए भारत अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को एक सकारात्मक संदेश देता है।