Dr. K. Kasturirangan: अंतरिक्ष से शिक्षा नीति तक, पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन ने निभाई अहम भूमिका; बेंगुलुरु में अंतिम विदाई  

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Dr. K. Kasturirangan Final farewell: पूर्व इसरो चेयरमैन अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ.कस्तूरीरंगन को अंतिम विदाई दी गई। बेंगुलूरु में रविवार (27 अप्रैल) को सीएम सिद्दारमैया ने पुष्पचक्र अर्पित कर आदरांजलि दी।

Dr. K. Kasturirangan Final farewell: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के कस्तूरीरंगन को बेंगुलूरु में रविवार (27 अप्रैल) को अंतिम विदाई दी गई। शुक्रवार को 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। साल 2023 में दिल का दौरा पड़ने के बाद से वह अस्वस्थ रहते थे। भारत के स्पेस प्रोग्राम से लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति तक उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

डॉ. कस्तूरीरंगन की वैज्ञानिक सोच और उनके राजनीतिक संतुलन की झलक 2007 में उस समय देखने को मिली थी, जब राज्यसभा में भारत-अमेरिका 123 परमाणु समझौते पर बहस हो रही थी। मनोनीत सदस्य के तौर पर डॉ. कस्तूरीरंगन ने 29 मिनट तक तथ्यपरक भाषण दिया। इसमें भारत के ऊर्जा भविष्य, थोरियम संसाधनों और तीन-चरणीय परमाणु कार्यक्रम का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनके भाषण की सराहना की थी। फोन कर धन्यवाद ज्ञापित किया था।

  • NEP: डॉ. कस्तूरीरंगन ने स्पेस प्रोग्राम के अलावा शिक्षा क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 प्रारूप समिति के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने समग्र और बहु-विषयक शिक्षा मॉडल प्रस्तुत किया है। मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा और आलोचनात्मक सोच पर बल देने वाली नीति से भारतीय शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आए।
  • विश्वविद्यालय: डॉ. कस्तूरीरंगन की नेतृत्व क्षमता विश्वविद्यालय में भी देखने को मिली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के तौर पर उन्होंने संस्थागत विकास और अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया। उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालयों ने शैक्षणिक और शोध क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए।
  • पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी उनका अहम योगदान है। पश्चिमी घाट की पारिस्थितिकी रक्षा के लिए केंद्र द्वारा गठित उच्च स्तरीय कार्य समूह का नेतृत्व करते हुए उन्होंने संतुलित रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसने नीतिगत चर्चाओं को नई दिशा दी। साथ ही पर्यावरणीय संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करने में ऐतिहासिक साबित हुई।
  • योजना आयोग में डॉ. कस्तूरीरंगन रहते विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में राष्ट्रीय निवेश बढ़ाने की पहल की। मेगा साइंस प्रोजेक्ट्स, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग और ऊर्जा-पर्यावरण नवाचार को बढ़ावा दिया। राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान (NIAS) में रहते हुए उन्होंने अंतरिक्ष पुरातत्व जैसे नए क्षेत्रों में भी अनुसंधान कार्यों का मार्गदर्शन किया।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि
डॉ. कस्तूरीरंगन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर आदरांजलि दी।

महान व्यक्तित्व थेडॉ कस्तूरीरंजन
इसरो के पूर्व चेयरमैन एएस किरण कुमार ने बताया, डॉ कस्तूरीरंजन महान व्यक्तित्व थे। मैं उन्हें 50 सालों से जानता था। उनमें बातों को स्पष्ट रूप से कहने की अद्भुत क्षमता थी। देश उनके योगदान को नहीं भूल सकता। हम सभी उन्हें याद करते हैं। उस तरह का नेता मिलना आसान नहीं है। हम सभी को उनके मार्गदर्शन और सलाह से बहुत लाभ हुआ है।

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