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एक-दूसरे से सहज संपर्क के लिए ईजाद किया गया मोबाइल फोन, अब हमारी जीवनशैली का जरूरी हिस्सा बन चुका है। इसमें मौजूद तकनीकों ने बहुत सहूलियतें दी हैं, तो यह हमारे बारे में दूसरों को बहुत-सी जानकारियां भी दे सकता है। हमारे व्यवहार, मानसिकता और सामाजिक छवि के बारे में भी हमारा मोबाइल फोन बहुत कुछ बताता है।  

Mobile Phone (किरण भास्कर): इस समय दुनिया में कुल जितनी आबादी है, उससे करीब डेढ़ गुना ज्यादा मोबाइल फोन मौजूद हैं। एक अनुमान के मुताबिक धरती के हर कोने में, हर समय करीब चार अरब से ज्यादा मोबाइल फोन सक्रिय रहते हैं। मोबाइल फोन अब महज एक-दूसरे के साथ संपर्क का जरिया भर नहीं है, बल्कि यह हर साल तीन ट्रिलियन से ज्यादा के ऑनलाइन और मोबाइल कारोबार का बुनियादी जरिया भी बन चुका है। दुनिया में हर दिन इसी मोबाइल फोन की बदौलत जहां करोड़ों दिल प्यार की डोर में बंधते हैं, वहीं लाखों लाख दिल हर दिन इसी मोबाइल के जरिए टूट भी जाते हैं। आज शासन-प्रशासन की ज्यादातर गतिविधियां भी मोबाइल फोन से ही संपन्न होती हैं। लब्बोलुआब यह कि आज मोबाइल फोन सिर्फ सूचना पाने या देने का जरिया ना होकर, यह हमारी आधुनिक जीवनशैली का जरूरी हिस्सा बन चुका है। 

रिलेशन अप्रोच करता है साबित
जब तक मोबाइल फोन नहीं थे, दुनिया में सिर्फ लैंडलाइन फोन ही थे, तब तक किसी से फोन पर बात करने या ना करने की हमारे पास भरपूर छूट हुआ करती थी। मान लीजिए किसी ऐसे व्यक्ति का फोन हमारे लैंडलाइन पर आया, जिससे हम बात नहीं करना चाहते, तो किसी और से कहला दिया जाता था, कि आपको जिनसे बात करनी है, फिलहाल वो यहां मौजूद नहीं हैं। लेकिन अब इस तरह की छूट लेना संभव नहीं रहा, क्योंकि भले आपका मोबाइल फोन उठाकर कोई अन्य सदस्य कॉल करने वाले से यह कह दे कि आपको जिनसे बात करनी है, वो यहां मौजूद नहीं हैं, सिर्फ उनका मोबाइल फोन यहां छूट गया है। लेकिन अब आपकी ऐसी बातों पर कोई आसानी से यकीन नहीं करेगा। भले यह सौ फीसदी सच हो, क्योंकि मोबाइल फोन का मतलब होता है, ऐसा फोन जो सिर्फ आपके पास रहता है और जिसे आप ही उठाने या ना उठाने का निर्णय करते हैं। इसलिए आज के दौर में किसी का फोन अगर कोई नहीं उठाता, तो इसका साफ संदेश होता है कि आपसे वह बात नहीं करना चाहता। पहले कई तरह के दूसरे बहानों की गुंजाइश थी, लेकिन अब नहीं रह गई है। इसलिए आज की तारीख में किसी का फोन उठाना या ना उठाना, आपके उस व्यक्ति के साथ रिश्ते अच्छे होने या ना होने का आधार माना जाता है।
 
कॉलर की पहचान हुई आसान
आज की तारीख में मोबाइल फोन इसलिए एक सेंसिटिव, एटिकेट और रिलेशन का मानक बन गया है, क्योंकि आज तकनीक ने हमसे वो तमाम बहाने छीन लिए हैं, जिनकी बदौलत पहले हम यह भ्रम पाल सकते थे या किसी और से पलवा सकते थे कि वास्तव में हमें आपकी सही-सही पहचान का पता नहीं चलता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। करीब-करीब हर व्यक्ति के फोन में यह सुविधा है, कि जब कोई फोन आ रहा हो तो साफ पता चल सके, कि फोन कौन व्यक्ति कर रहा है। जिन्हें अभी यह सुविधा उपलब्ध नहीं है या जो इसका उपयोग नहीं करते, उन्हें भी कम से कम इतना तो पता चल ही जाता है कि अगर आपकी किसी से नियमित बातचीत होती है या उसका आपके मोबाइल में फोन नंबर मौजूद है, तो यह जाना जा सके कि फोन कौन कर रहा है?

लोकेशन भी बताता है फोन 
अब तो कई ऐसी नई तकनीकें भी आ चुकी हैं, जिनके कारण लोगों का यह बहाना भी छिन गया है, जिसमें वे होते कहीं और थे, जबकि बताते कहीं और थे। इससे उन्हें बात ना करने की छूट मिल जाती थी। आज बहुत मामूली भुगतान पर ऐसे तकनीकी एप मौजूद हैं, जो आपको बताते हैं कि फोन करने वाला व्यक्ति कहां से फोन कर रहा है? यानी कॉलर की प्रेजेंट लोकेशन क्या है? इसलिए आप दिल्ली में बैठे हुए किसी व्यक्ति से यह नहीं कह सकते कि मैं मुंबई में हूं। बेहतर यही है, कि मोबाइल से बात करते समय अपनी लोकेशन के बारे में सच ना छुपाएं। यहां जिक्र की गई क्वालिटीज के अलावा भी फोन की तकनीक ने हमारी जिंदगी के बहुत सारी परतों को सबके सामने खोलकर रख दिया है। कुल मिलाकर कहने की बात यह है, कि आज रोजमर्रा की जिंदगी में फोन हमारी जीवनशैली और रोजगार से लेकर भावनाओं के कारोबार तक का जरिया बन चुका है, इसलिए फोन का बहुत सटीक और जितना हो सके ईमानदार उपयोग करें, वरना आपकी सालों की बनी-बनाई इमेज को मोबाइल फोन पलक झपकने की देरी में डैमेज कर सकता है।

फॉलो करें मोबाइल एटिकेट्स
मोबाइल फोन के पर्सनल यूज में सावधानियों के साथ शिष्टता का बर्ताव करते हुए कुछ प्रैक्टिकल टिप्स को भी याद रखना चाहिए।
1. जब भी किसी क्लोज फ्रेंड या रिलेटिव से पब्लिक प्लेस या वर्कप्लेस पर बात करें, तो उसके फोन को स्पीकर पर ना डालें। इससे फोन करने वाले को इंसल्ट महसूस होती है। उसे लगता है उसकी बातें दूसरे ऐसे लोग भी सुन रहे हैं, जिनको नहीं सुनना चाहिए, फिर चाहे भले ऐसा ना हो रहा हो।
2. फोन से बात करते हुए कभी भी अपनी आवाज बहुत तेज ना करें। कोशिश करें कि किसी सार्वजनिक जगह पर फोन से तभी बात करें, जब आपके आस-पास 4-5 फीट तक कोई ना खड़ा हो। 
3. वो दिन बीत गए जब लोग धड़ल्ले से दूसरों का लैंडलाइन फोन इस्तेमाल किया करते थे। मोबाइल के दौर में दूसरे के फोन के इस्तेमाल की कोशिश ना करें। यदि मजबूरी में ऐसा करना हो तो बिना परमिशन ऐसा ना करें। 
4. अगर आप किसी मीटिंग या पब्लिक प्लेस पर हैं और बात नहीं कर सकते तो कॉल करने वाले को मैसेज से सूचना जरूर दे दें कि बाद में आप कॉल करेंगे। 

 

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