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Mothers Day 2024: मां को हर वक्त अपने घर-परिवार और बच्चों की इतनी ज्यादा चिंता रहती है कि उसे अपने लिए कुछ सोचने, कुछ करने की सुधि ही नहीं रहती। यह तो अपने आपको खत्म करना है। क्या मां की खुशी कोई मायने नहीं रखती, उसका कोई वजूद नहीं है...? मां के लिए एक कोशिश।

Mothers Day 2024: बचपन से मैं तुम्हें देख रही हूं मां, तुम ना कभी थकती हो, ना रुकती हो। तुम रोज सबसे बाद में सोती हो और सबसे पहले उठ जाती हो। थकान और ना जैसे शब्द तुम्हारी शब्दावली में नहीं हैं। इस मदर्स-डे पर मां मैं तुमसे अपने मन की बातें कहना चाहूंगी। सदियों से समाज तुम्हें मां बनाकर महानता का दर्जा देता आया है। सुनो मेरी मां, अब इस महानता का चोला उतारकर, अपनी ख्वाहिशों की ओढ़नी ओढ़ लो। मत कसो अपने आपको समाज की कसौटी पर। 

मां होने का अर्थ: मां आपसे अपनी बातें कहने से पहले मैं अपने जैसे लोगों से कुछ कहना चाहूंगी। मां शब्द जब भी हमारे जेहन में आता है। हम एक ऐसी महिला की कल्पना करते हैं, जो अपने बच्चों को मुसीबत से बचाने के लिए कभी शेरनी बन जाती है तो कभी अपने अस्वस्थ बच्चों के लिए हकीम बन जाती है। अक्सर अपने बच्चों में अपनी दुनिया को देखने वाली हमारी मांओं की अपनी दुनिया कहीं खो जाती है। लेकिन अगर हम कोशिश करें तो अपनी मां को वो सहज जिंदगी दे सकते हैं, जिसकी वो अधिकारी है। महानता के उस जाल से हम और आप अपनी मां को निकलने में मदद कर सकते हैं। तो चलिए हम इस मदर्स-डे पर एक सार्थक कोशिश करके देखें, क्या पता मां की झोली में उसके हिस्से की खुशियां आ जाएं। तो हम अपनी मां से कहें - 

बोलो कि थक गई हो: हम बहुत आसानी से कह देते हैं कि मां को मैंने कभी थकते हुए नहीं देखा। मेरी मां बिना रुके काम करती है। अगर मैं उससे आधी रात में कुछ बनाकर खाने को देने के लिए कहूंगी तो बनाएगी। लेकिन मां तुम स्वयं को अभिव्यक्त करना सीख लो। थकने का अधिकार तुमको भी उतना है, जितना हमें है। बस हम कह देते हैं और तुम नहीं कह पाती, अपने दर्द को सहती हो। मां अब मत सहो, हम तुम्हारे बच्चे हैं, हमसे काम करवाओ। हम नहीं करें तो हमें डांटों, लेकिन हर काम की जिम्मेवारी लेकर खुद को और मत थकाओ मां।

ना कहना सीखो: मां तुम जानती हो कि चालीस की होते ही तुम्हें हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत क्यों हो गई? ऐसा इसलिए क्योंकि तुम किसी काम के लिए ना ही नहीं कह पाती। तुमको बुरा भी लगता है, तकलीफ भी होती है, लेकिन तुम सहती हो। मैंने देखा है मां, जब तुम बहुत तकलीफ में होती हो तो एक चुप्पी अपने होंठों पर बैठाकर खुद को और भी व्यस्त कर लेती हो। बेटी हूं आपकी, सब समझती हूं। बहुत जरूरी है, ना कहना भी सीखो। मां अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ मत करो। 

पापा की साथी भी हो: हां जब हम छोटे थे, तब स्वाभाविक था कि हम पर तुम्हें ज्यादा ध्यान देना होता था, लेकिन अब हम बड़े हो चुके हैं मां। इस घर में एक और रिश्ता है, आपका और पापा का। आप दोनों एक-दूसरे को समय दें। हम भी तो अपने दोस्तों के साथ अकेले घूमने जाते हैं तो आप दोनों भी कभी डिनर डेट पर जाओ। क्यों हमेशा हमारे साथ ही आउटिंग पर निकलती हो। क्यों कहती हो, ‘अरे? अच्छा नहीं लगता बच्चों के बिना।’ सच कहें कि आप और पापा एक-दूसरे को समय देंगे, फिल्में देखेंगे, खाने पर जाएंगे तो हमें भी आपको देखकर बहुत खुशी होगी।

मां तुम्हारी सहेलियां कहां हैं: मां अक्सर आप अपनी सहेलियों का जिक्र करती हैं। शुक्र है कि सोशल मीडिया की वजह से अब आप अपनी पुरानी सहेलियों के संपर्क में भी आ गई हैं। लेकिन कभी उन दोस्तों के साथ मिलने का प्लान भी बनाइए। हां, अब आप कहेंगी कि नाते-रिश्तेदार निपट जाएं, वही बहुत है। लेकिन मां जिस तरह से आप इतने बड़े परिवार को संभालती आई हैं, कोशिश करेंगी तो आप अपनी पुरानी जिंदगी को फिर से सजा लेंगी। 

एक दिन आपकी पसंद का: मां घर में खाना बनता ही वो है, जो हमें पसंद है। लेकिन जब भी आपसे पूछो कि मां आपको क्या पसंद है तो जवाब मिलता है ‘अरे मेरा क्या है? मैं तो सभी कुछ खा लूंगी।’ नहीं मां, एक दिन अपनी पसंद का खाना हमसे बनाने को कहो, हम बड़े प्यार से बनाएंगे। हमें भी पता चले कि हमारी मां की पसंद-नापसंद क्या है।

आसान नहीं है : आपको लग रहा होगा कि यह सब किताबी बातें हैं। ऐसा हो नहीं सकता, लेकिन मां सच है कि समाज में इस बदलाव को लाना आसान तो नहीं है, लेकिन इतना मुश्किल भी नहीं है। एक बात कहूं मां, बदलाव धीरे ही सही, लेकिन आते जरूर हैं। इन्हीं बातों के साथ मां, आपको मदर्स-डे बहुत- बहुत मुबारक! 

यासमीन सिद्दीकी

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