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एक युवक रोज चौराहे पर एक दुकान पर कुल्हड़ में चाय पीने आता और चुपचाप चाय पीकर चला जाता। एक दिन दुकानदार ने उस युवक से उत्सुकतावश पूंछा जिसमें उसमें एक अच्छा जवाब दिया। पढ़िए कहानी..

Story of true patriot: अपनी बैसाखी के सहारे चलकर वह युवक रोज चौराहे पर एक दुकान पर कुल्हड़ में चाय पीने आता और चुपचाप चाय पीकर चला जाता। एक दिन चाय वाले गोविंद ने उससे पूछा, भाई साहब, आप कहां से आते हैं? उस युवक ने बताया, शहीद स्मारक के पास से। ‘अरे! शहीद स्मारक तो यहां से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर है। बीच में बहुत-सी चाय की दुकानें हैं, फिर आप यहां इतनी दूर चाय पीने क्यों आते हैं?’ गोविंद ने उत्सुक्तावश ग्राहक से जानना चाहा।
 
युवक अपनी बैसाखियों को एक ओर टिकाकर कुर्सी पर बैठते हुए बोला, भाई, मैं भारतीय सेना में था। मैं ओर मेरा एक मित्र मदन सरहद पर तैनात थे। एक दिन अचानक आतंकी हमला हुआ। मैंने और मदन ने बड़े साहस से उनका सामना किया, हमने चार आतंकियों को मार भी गिराया। तभी मदन के थोड़ी दूर एक बम आकर गिरा, मदन बुरी तरह घायल हो गया। घायल अवस्था में वह मुझसे बोला, यार, मेरा अंत करीब आ गया है। तुम जल्दी से अपने वतन की मिट्टी मेरे होंठों पर लगा दो ताकि आखिरी वक्त में मैं अपने वतन की मिट्टी को चूम लूं।

कुल्हड़ को होठों में लगाना मकसद
मैने उसके होंठों पर जैसे ही मिट्टी लगाई उसने हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं। इसी घटना में मेरा एक पैर भी चला गया। एक पल रुक कर वह युवक आगे बोला, यहां चाय पीने मैं इसलिए आता हूं कि ये जो कुल्हड़ है ना, अपनी देश की मिट्टी से बने हैं। चाय पीने के बहाने मैं कुल्हड़ को अपने होंठों से लगाकर अपने देश की मिट्टी को चूम लेता हूं। अपने शहीद मित्र मदन के साथ देश के सभी शहीदों को और अपने वतन की मिट्टी को नमन कर लेता हूं।
 
आप हैं सच्चे देशभक्त
गोविंद उस सैनिक की बात सुनकर हतप्रभ था। उसकी आंखें भर आई थीं। उसने बड़ी श्रद्धा से उस सैनिक के सामने हाथ जोड़ लिया और बोला, आप हैं सच्चे देशभक्त।
      
चंद्र प्रकाश डाले 

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