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Sinus Infection: अगर आपकी नाक अकसर बंद महसूस होती है और आपको सांस लेने में परेशानी होती है तो सचेत हो जाएं। यह साइनस का लक्षण हो सकता है। क्यों होता ऐसा और इससे कैसे करें बचाव जानिए।

Sinus Infection: सिर के स्कैल्प की हड्डियों में असंख्य बारीक छिद्र होते हैं, जिनके माध्यम से ब्रेन तक ऑक्सीजन पहुंचती है। सर्दी-जुकाम होने की स्थिति में इन छिद्रों में कफ भर जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ के साथ सिर में बहुत भारीपन महसूस होता है। आमतौर पर सर्दी-जुकाम को ठीक होने में तीन से चार दिन लग जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को जुकाम बहुत कम होता है, एक या दो दिनों के बाद ही रनिंग नोज की समस्या दूर हो जाती है, इससे नाक से गंदगी बाहर नहीं निकल पाती। कुछ समय के बाद यही कफ साइनस का रूप धारण कर लेता है। इसीलिए सर्दी-जुकाम होते ही उसे दवा लेकर रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे साइनस हो सकता है।

साइनस के प्रकार
एक्यूट:
इसमें नाक से पानी गिरना या अचानक नाक बंद हो जाना दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं। कई बार यह समस्या महीनों तक बनी रहती है। बैक्टीरियल इंफेक्शन इसकी प्रमुख वजह है। यह संक्रमण लोगों की सांस की नली के ऊपरी हिस्से में होता है, इसे दूर करने के लिए एंटीबायोटिक्स, पेन किलर और नेजल ड्रॉप लेने की जरूरत पड़ती है। अधिक मात्रा में पानी पीना और स्टीम लेना भी इस समस्या से बचाव में मददगार होता है।

सब एक्यूट साइनस: इसके लक्षण भी एक्यूट जैसे ही होते हैं, लेकिन महीने भर में यह समस्या आसानी से दूर हो जाती है।

रीक्यूरेंट: जिन्हें पहले से अस्थमा या एलर्जी की समस्या हो, उसके साथ ही अगर उनमें बंद नाक जैसे लक्षण नजर आएं तो इसे रीक्यूरेंट साइनस कहा जाता है।

क्रॉनिक: जब यह समस्या वर्षों तक ठीक नहीं होती और इसकी वजह से अगर किसी को नाक में जलन, दर्द और सूजन जैसी परेशानियां होती हैं तो ऐसी दशा को क्रॉनिक साइनोसाइटिस कहा जाता है। इसकी वजह से सिर में दर्द और व्यवहार में चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

प्रमुख लक्षण
सिर और आंखों में तेज दर्द, आवाज में भारीपन, हल्का बुखार और बेचैनी, जबड़े, गालों और दांतों में दर्द, सूंघने की क्षमता प्रभावित होना, भोजन में अरुचि और कभी-कभी नाक से पानी गिरना और छींकें आना।

क्या है वजह
कुछ लोगों की नाक की हड्डी का आकार अपने आप बढ़ जाता है, जिससे यह समस्या हो सकती है। चेहरे या नाक पर गंभीर चोट लगने से ऐसा हो सकता है। जो लोग किसी खास तरह की एलर्जी के प्रति संवेदनशील होते हैं, उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है। प्रदूषण भरे वातावरण में रहने या अधिक मात्रा में सिगरेट पीने वाले लोगों को भी ऐसी समस्या हो सकती है।

रखें ध्यान
अपने कमरों के कार्पेट, गद्दों, तकिए आदि की सफाई का विशेष ध्यान रखें, उनमें जमा होने वाले धूलकणों से एलर्जी हो सकती है, अगरबत्ती, परफ्यूम जैसी तेज गंध वाली चीजों से दूर रहें, घर में क्रॉस वेंटिलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर एसी वाले कमरे से बाहर निकलकर तेज धूप में जाना हो तो आधा घंटे पहले एसी बंद कर दें। जिन्हें वायरल इंफेक्शन हो, उनसे दूर रहने की कोशिश करें, स्टीम लेना भी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके लिए साइनस से बचाव आसान हो जाएगा।

प्रस्तुति:विनीता         डॉ. अरु हांडा
                             सीनियर कंसल्टेंट-ईएनटी डिपार्टमेंट
                             मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम

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