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Kadha Quantity in Cough and Cold: सर्दी, खांसी होने पर हम अक्सर घर पर ही काढ़ा बनाकर पी लेते हैं। इसकी सही की जानकारी होना जरूरी है।

Kadha Quantity in Cough and Cold: सर्दी-खांसी होने पर भारतीय घरों में काढ़ा बनाकर पिया जाता है। देसी औषधियों और मसालों की मदद से तैयार होने वाला ये आयुर्वेदिक काढ़ा काफी असरदार होता है और बीमारी को छूमंतर कर देता है। हालांकि, कई बार समस्या ज्यादा होने पर मरीज दिन में कई बार काढ़ा पीने लगता है जो कि उसकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कई बार ज्यादा काढ़ा पीने से अस्पताल का रुख भी करना पड़ सकता है। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि काढ़ा कितनी मात्रा में और कितनी बार पिया जाए। 

दिन में कितनी बार पिएं काढ़ा
ये एक बड़ा सवाल रहता है कि सर्दी, खांसी होने पर दिन में कितनी बार काढ़ा पीना चाहिए। गट माइक्रोबायोम स्पेशलिस्ट सोनाली सभरवाल बताती हैं कि जिन लोगों के शरीर में  ज्यादा गर्मी रहती है, उन्हें दिन में सिर्फ एक बार ही काढ़ा पीना चाहिए और काढ़ा बनाने में पड़ने वाले गरम मसालों को भी एहतियात से चुनना चाहिए। वे कहती हैं 'मेरी सलाह है कि दिन में एक बार काढ़ा पीना पर्याप्त है।'

सभरवाल आगे कहती हैं कि 'हेल्थ कंडीशन के हिसाब से काढ़ा बनाना चाहिए। काढ़ा बनाते वक्त मसालों को सिर्फ 10-15 मिनट तक ही उबालना चाहिए। इसे बनाने से पहले अपने डाइटिशियन से बात करें। उदाहरण के लिए कफ के लिए तुलसी और काली मिर्च का इस्तेमाल करें, डाइजेशन के लिए जीरा और धनिया यूज करें।'

इन बातों का रखें ख्याल
आयुर्वेद के मुताबिक, शरीर की तीन प्रकृति होती हैं: वात, पित्त और कफ, जो कि शरीर की हेल्थ को प्रभावित करते हैं। 'काढ़े का प्रकार और उसकी मात्रा हर व्यक्ति की प्रकृति या तारीस पर निर्भर करती है। कफ प्रकृति के लोग सर्दी, खांसी होने पर दिन में 2-3 कप काढ़ा पी सकते हैं। वहीं, पित्त प्रकृति के लोगों को दिन में सिर्फ एक बार ही काढ़ा पीना चाहिए। वात प्रकृति के लोग दिन में दो बार काढ़ा पी सकते हैं लेकिन उन्हें काढ़े में 2-3 बूंदें घी की डालना चाहिए।'

हर चीज की अति नुकसान पहुंचाती है। काढ़े को लेकर भी ये बात लागू होती है। बता दें कि काढ़ा बनाने में हर्ब्स के अलावा मसाले जैसे काली मिर्च, सोंठ पाउडर, दालचीनी, हल्दी, तेजपत्ता, लौंग, गिलोय, तुलसी आदि का उपयोग किया जाता है। काढ़ा इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही डाइजेशन को भी बेहतर बनाता है। श्वसन तंत्र को भी ये काढ़ा लाभ पहुंचाता है। 

काढ़ा मेटाबॉलिज्म और इम्यूनिटी को बढ़ाता है, लेकिन हर किसी को ये पता होना चाहिए कि इसे पीना कब बंद करना है। सभरवाल बताती हैं कि 'लंबे वक्त तक काढ़ा पीने से  कब्ज, हार्टबर्न, पाइल्स और हैमोराइड्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके चलते नाक से खून आना और एक्ने की समस्या भी हो सकती है।'
 

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