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Ayurveda Unani and Siddha Medicines: आप अगर आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पद्धति में अंतर नहीं जानते हैं तो इसे बेहद आसानी से समझ सकते है।

Ayurveda Unani and Siddha Medicines: दुनियाभर में मेडिकल साइंस काफी तरक्की कर चुका है और ऐलोपैथी के जरिये गंभीर बीमारियों का भी इलाज किया जाने लगा है। बावजूद इसके पारंपरिक चिकित्सा पद्धति भी समय-समय पर अपना लोहा मनवाती रही है। हमारे यहां आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हजारों सालों पुरानी है और इसमें लगभग सभी बीमारियों का इलाज संभव है। इसी तरह यूनानी और सिद्ध चिकित्सा के जरिये भी लोग खुद को फिट रखते हैं। 

हमारे आसपास आयुर्वेदिक, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा से इलाज होता कई जगह मिल जाएगा। बहुत से लोगों को इन तीनों ही चिकित्सा पद्धति में अंतर नहीं पता होता है, जबकि इन तीनों ही पद्धतियों में इलाज का तरीका और बीमारियां पकड़ने का तरीका जुदा है। आइए जानते हैं इन तीनों चिकित्सा पद्धतियों में अंतर ...

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति - आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति दुनिया की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति मानी जाती है। इस पद्धति का उदय भारत में हुआ था और हजारों सालों से इसके जरिये इलाज किया जा रहा है। आयुर्वेद का इलाज तीन दोषों- वात, पित्त और कफ पर आधारित होता है। इसमें मरीज की जुबान देखकर, नाड़ी टटोलकर, यूरिन और ओवरऑल फिजिकल और मेंटल स्थिति को देखकर दोष का पता लगाया जाता है और इलाज किया जाता है। 

आयुर्वेद में हर्बल थैरेपी, खान-पान में बदलाव और लाइफस्टाइल में परिवर्तन जैसी हिदायतों  के साथ इलाज दिया जाता है। इसके साथ ही योग और मेडिटेशन भी इलाज का एक जरिया होता है।

यूनानी चिकित्सा पद्धति - माना जाता है कि यूनानी चिकित्सा पद्धति का उदय प्राचीन ग्रीक से हुआ। इसके बाद समय के साथ इसे ईरान और अरब के फिजिशियन ने डेवलप किया। यूनानी चिकित्सा की फिलॉसफी में चार चीजें देखी जाती हैं - खून, कफ, पीता पित्त और काला पित्त, जो कि हेल्दी रहने के लिए बैलेंस रहना जरूरी होता है।

इस पद्धति में दवाओं, मिनरल्स और एनिमल प्रोडक्ट के जरिये इलाज किया जाता है। इसमें खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव पर भी जोर दिया जाता है। इस पद्धति में बीमारी को  पल्स, यूरिन, स्टूल और क्लीनिकल ऑब्जर्वेशन के जरिये समझा जाता है और इलाज दिया जाता है। 

सिद्ध चिकित्सा पद्धति - इस चिकित्सा पद्धति का उदय भी भारत में ही हुआ है। ये तमिलनाडु की एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है। माना जाता है कि इसे नाथों और सिद्धों द्वारा विकसित किया गया। इस पद्धति में मिनरल्स, मेटल और पौधों की मदद से इलाज किया जाता है। सथ ही मेडिटेशन, योग और खाने-पीने से जुड़ी सलाह भी दी जाती है। 

सिद्ध चिकित्सा में मरीज की बीमारी उसके हंसने के तरीके में बैलेंस से भी समझी जाती है। इसके साथ ही चिकित्सकीय परीक्षण के साथ यूरिन और नाड़ी को भी देखा जाता है। 

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