Cardamom Plantation: घर में उगा सकते हैं इलायची का पौधा, गमले में इस तरीके से लगाकर करें देखभाल

गमले में इलायची का पौधा उगाने का तरीका।
Cardamom Plantation: इलायची एक ऐसा मसाला है जो खाने का स्वाद और खुशबू बढ़ाने का काम करता है। इसके औषधीय गुण इसे बेहद खास बना देते हैं। लगभग सभी घरों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। अक्सर लोग सोचते हैं कि इलायची केवल पहाड़ी इलाकों में ही उगाई जा सकती है, लेकिन सही देखभाल और तकनीक अपनाकर इसे घर पर भी आसानी से लगाया जा सकता है।
अगर आपको गार्डनिंग का शौक है और आप अपने घर पर कुछ अलग पौधा लगाना चाहते हैं तो इलायची बेहतरीन विकल्प है। इसके पौधे की पत्तियां भी महकदार होती हैं और वातावरण को प्राकृतिक खुशबू से भर देती हैं। आइए जानते हैं इसके लिए जरूरी टिप्स।
घर में इलायची का पौधा उगाने के टिप्स
सही मिट्टी का चुनाव: इलायची के पौधे के लिए ऐसी मिट्टी चुनें जिसमें नमी बनी रहे और पानी आसानी से निकल सके। रेतीली और दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
पौधे के लिए सही जगह: यह पौधा छांव और नमी वाले वातावरण में अच्छा पनपता है। इसे सीधे धूप से बचाकर ऐसी जगह लगाएं जहां हल्की रोशनी आती हो।
रेगलुर पानी देना: इलायची को हमेशा नमी पसंद होती है। इसलिए पौधे को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन ध्यान रखें कि गमले में पानी ज्यादा न भर जाए वरना जड़ें सड़ सकती हैं।
ऑर्गेनिक खाद का यूज़: हर 20 से 25 दिन में पौधे को गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट दें। इससे पौधे को जरूरी पोषण मिलेगा और वह जल्दी बढ़ेगा।
गमले का साइज़: इलायची का पौधा फैलावदार जड़ों वाला होता है, इसलिए इसे बड़े गमले या खुले स्थान पर लगाना बेहतर होता है।
समय-समय पर प्रूनिंग: पौधे की सूखी या पीली पत्तियों को समय-समय पर काटते रहें। इससे पौधा हेल्दी बना रहेगा और नई पत्तियों की बढ़त तेज होगी।
कीड़ों से बचाव: इलायची के पौधे में कभी-कभी छोटे कीड़े लग सकते हैं। इसके लिए नीम का तेल या घरेलू कीटनाशक छिड़कना फायदेमंद होता है। इससे पौधे का बचाव हो सकेगा।
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हरी इलायची के फायदे और आयुर्वेद में इसका महत्व
हरी इलायची को आयुर्वेद में एक औषधीय जड़ी-बूटी के रूप में भी महत्व दिया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Elettaria cardamomum है और यह पाचन, श्वसन, और समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। हरी इलायची स्वाद में हल्की मीठी और तीखी होती है, जो इसे भोजन और औषधीय उपयोग दोनों के लिए खास बनाती है।
आइए जानते हैं इसके फायदे और आयुर्वेदिक महत्व
हरी इलायची के फायदे
- इलायची पाचन को बेहतर करती है और अपच, गैस, और पेट फूलने की समस्या को दूर करती है।
- यह पेट में एसिड को नियंत्रित करती है और भूख बढ़ाने में मदद करती है।
- आयुर्वेद में इसे "दीपन" (भूख बढ़ाने वाली) और "पाचन" (पाचन सुधारने वाली) औषधि माना जाता है।
उपयोग: खाना खाने के बाद 1-2 इलायची चबाएं या फिर हरी इलायची की चाय पीएं।
मुंह की दुर्गंध और ओरल हेल्थ
- हरी इलायची में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो मुंह की दुर्गंध को खत्म करते हैं और मसूड़ों को हेल्दी रखते हैं।
- यह लार के उत्पादन को बढ़ाती है, जो दांतों और मसूड़ों को मजबूत बनाता है।
उपयोग: खाना खाने के बाद एक इलायची चबाएं।
श्वसन समस्याओं में राहत
- इलायची सर्दी, खांसी, और अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं में लाभकारी है।
- इसके गर्म तासीर और कफनाशक गुण कफ को पतला कर सांस लेने में आसानी प्रदान करते हैं।
उपयोग: इलायची को शहद के साथ मिलाकर खाएं या इलायची की भाप लें।
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य
- इलायची में एंटी-ऑक्सीडेंट और तनाव कम करने वाले गुण होते हैं, जो चिंता और तनाव को कम करते हैं।
- आयुर्वेद में इसे "मेध्य" (बुद्धि बढ़ाने वाली) माना जाता है, जो दिमाग को शांत और सक्रिय रखता है।
उपयोग: इलायची की चाय या दूध में इलायची पाउडर डालकर पिएं।
हृदय स्वास्थ्य
- इलायची रक्त संचार को बेहतर करती है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
- इसके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक हैं।
उपयोग: नियमित रूप से इलायची का सेवन सीमित मात्रा में करें।
त्वचा और बालों के लिए लाभ
- इलायची में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं।
- यह स्कैल्प के रक्त संचार को बढ़ाकर बालों के झड़ने को कम करती है।
उपयोग: इलायची पाउडर को फेस मास्क में मिलाएं या इलायची के पानी से बाल धोएं।
मूत्र संबंधी समस्याएं
- इलायची मूत्रवर्धक (Diuretic) है, जो मूत्र मार्ग के संक्रमण को रोकती है और किडनी को डिटॉक्स करती है।
उपयोग: इलायची को पानी में उबालकर पिएं।
आयुर्वेद में हरी इलायची का महत्व
आयुर्वेद में हरी इलायची को त्रिदोषहर माना जाता है, यानी यह वात, पित्त, और कफ तीनों दोषों को संतुलित करती है। गुण: हल्की, स्निग्ध (चिकनाई युक्त), और गर्म तासीर।
- रस: मधुर (मीठा) और कटु (तीखा)।
- विपाक: मधुर (पाचन के बाद मीठा प्रभाव)।
- प्रभाव: यह अग्नि (पाचन शक्ति) को बढ़ाती है, कफ को कम करती है, और शरीर को डिटॉक्स करती है।
- इलायची को आयुर्वेदिक औषधियों जैसे च्यवनप्राश, काढ़ा, और पाचन चूर्ण में शामिल किया जाता है।
- इसे दूध, चाय, या मिठाइयों में मिलाकर उपयोग करने से इसकी औषधीय शक्ति बढ़ती है।
उपयोग करने का तरीका
- इलायची की चाय: 2-3 इलायची को हल्का कूटकर पानी में उबालें, स्वाद के लिए शहद या गुड़ मिलाएं।
- दूध में इलायची: रात को सोने से पहले गर्म दूध में इलायची पाउडर डालकर पिएं।
- मसाले के रूप में: खीर, हलवा, या सब्जियों में इलायची डालकर स्वाद और स्वास्थ्य लाभ पाएं।
- चबाने के लिए: 1-2 इलायची रोज चबाएं, लेकिन अधिक मात्रा से बचें।
सावधानियां
- अधिक मात्रा में इलायची का सेवन पित्त बढ़ा सकता है, इसलिए सीमित मात्रा में लें।
- गर्भवती महिलाएं और एलर्जी से पीड़ित लोग डॉक्टर की सलाह लें।
- हमेशा ताजी और अच्छी गुणवत्ता वाली हरी इलायची चुनें।
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लेखक: कीर्ति
