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PM Modi photo removed from CoWIN Certificates?: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों ने मंगलवार, 30 अप्रैल को बताया कि इस समय देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होने के कारण पीएम मोदी की फोटो को वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटा दिया गया था।

PM Modi photo removed from CoWIN Certificates?: एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की खबरों के बीच क्या आपके वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की फोटो अब नजर नहीं आ रही है? ऐसा क्यों हुआ...। यह सवाल आपके मन में भी उठ रहा होगा। तो इसका जवाब खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया है। 

दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो को हटाकर कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए CoWIN सर्टिफिकेट में एक बदलाव किया है। पहले इन सर्टिफिकेट में प्रमुखता से पीएम मोदी की फोटो के साथ-साथ कोरोनोवायरस पर विजय पाने के लिए भारत के सामूहिक संकल्प की पुष्टि करने वाला एक कोट भी शामिल था। लिखा था- 'Together, India Will Defeat COVID-19'। मतलब- एक साथ, भारत COVID-19 को हरा देगा। 

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों ने मंगलवार, 30 अप्रैल को बताया कि इस समय देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होने के कारण पीएम मोदी की फोटो को वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटा दिया गया था।

पहली बार नहीं हटी पीएम मोदी की फोटाे
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट से हटाई गई हो। 2022 में पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव के वक्त भी वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट से मोदी की तस्वीर हटा दी गई थी। यह कार्रवाई उन राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा अनिवार्य थी।

CoWIN certificates
CoWIN certificates

2021 में मामला कोर्ट तक पहुंचा था
वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर शामिल करने को लेकर 2021 में विवाद छिड़ गया था। मामला केरल हाई कोर्ट तक पहुंचा था। जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन के सामने तर्क दिया गया था कि अन्य देशों में जारी किए गए प्रमाणपत्रों में निर्वाचित नेताओं की तस्वीरें नहीं होती हैं। तब अदालत ने कहा था कि उन्हें अपने प्रधानमंत्रियों पर गर्व नहीं हो सकता है, हमें अपने प्रधान मंत्री पर गर्व है।

विवाद शुरू होने पर लोगों ने खंगाला अपना सर्टिफिकेट
ब्रिटेन यानी यूके की अदालत में वैक्सीन निर्माता एस्ट्राजेनेका ने एक हलफनामे में स्वीकार किया है कि कोविशील्ड टीकाकरण से थ्रोम्बोसिस के साथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) का अति दुर्लभ खतरा है। इसमें खून में थक्का जम सकता है। यह बात जैसे दुनिया के सामने आई तो भारत में कई लोगों ने अपने वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को खंगाला और जानना चाहा कि क्या उन्होंने भी कोविशील्ड का डोज लिया था। तब उन्हें पीएम मोदी की फोटो गायब मिली तो सोशल मीडिया पर तमाम सवाल उठने लगे। 

सोशल मीडिया पर लोगों ने शेयर किया सर्टिफिकेट
सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफार्म यूजर संदीप मनुधाने ने कहा कि मोदी जी अब कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट पर नजर नहीं आएंगे। बस जांचने के लिए डाउनलोड किया था। हां, उनकी तस्वीर गायब है। एक अन्य यूजर इरफान अली ने कहा कि हां, मैंने अभी चेक किया और पीएम मोदी की तस्वीर गायब हो गई है और उनकी तस्वीर के बजाय केवल क्यूआर कोड है। इरफान कांग्रेस नेता हैं। 

गुजरात कांग्रेस ने की मुआवजे की मांग
विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है। मांग की है कि जिन लोगों की कोरोना वायरस के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद दिल का दौरा या इसी तरह के कारणों से मृत्यु हो गई, उनके परिजनों को इसकी जांच करनी चाहिए। पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए। हालांकि, गुजरात भाजपा से जुड़े डॉक्टरों ने कहा कि राज्य में एक विशेषज्ञ पैनल के एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 टीकों और रक्त के थक्के जमने के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।

भारत में एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के उत्पादन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के साथ पार्टनरशिप की थी। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य शक्तिसिंह गोहिल ने सवाल उठाया कि डब्ल्यूएचओ की सलाह के बावजूद डेटा एकत्र क्यों नहीं किया गया।
 

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