Shekhar Suman: जैकी श्रॉफ से पहले शेखर सुमन को ऑफर हुआ था 'देवदास' में 'चुन्नी बाबू' का रोल, इस वजह से गवाईं फिल्म

Shekhar Suman offered role for chunni babu in devdas
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Shekhar Suman - (Film Scene from Devdas)
शेखर सुमन इन दिनों पॉलिटिक्स जॉइन करने के अलावा संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने शो में नवाब जुल्फिकार का किरदार निभाया है जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं।

Shekhar Suman: शेखर सुमन इन दिनों चर्चा में हैं। हाल ही में उन्होंने दोबारा पॉलिटिक्स जॉइन की है। इसके अलावा वह संजय लीला भंसाली की हालिया रिलीज वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ में नजर आ रहे हैं। इसमें उन्होंने नवाब जुल्फिकार का किरदार निभाया है। अभिनेता ने शो में अपने किरदार और करियर से जुड़ी कुछ बातचीत हरिभूमि से की है।

‘हीरामंडी’, जैसा नाम, इससे यही लगता है यह तवायफों की कहानी है। सीरीज नायिका प्रधान है, फिर आप जैसे सीनियर एक्टर के लिए इसे करने के पीछे क्या वजह रही?
सबसे अहम वजह है संजय लीला भंसाली। उनके साथ काम करना एक लाइफटाइम एक्सपीरियंस है। पूरी इंडस्ट्री यह जानती है। मैं भंसाली जी के साथ काम करने का एक बड़ा मौका पहले खो चुका हूं। अपनी फिल्म ‘देवदास’ में उन्होंने मुझे चुन्नीबाबू का किरदार ऑफर किया था। तब टीवी शोज की व्यस्तताओं के चलते मैं एक शानदार किरदार और फिल्म से वंचित रह गया। ‘हीरामंडी’ का ऑफर जब उन्होंने मुझे दिया तो मैंने यह मौका हाथ से जाने नहीं दिया। ‘हीरामंडी’ में मेरे किरदार नवाब जुल्फिकार की लेंथ कम है लेकिन महत्वपूर्ण है।

नवाब जुल्फिकार के लिए आपने किस तरह से तैयारी की?
‘मुगल-ए-आजम’, ‘पाकीजा’, ‘मेरे महबूब, ‘चौदहवीं का चांद’ जैसी फिल्मों में हमारे मेकर्स ने रईस नवाबों को पर्दे पर जिस तरह उतारा है, उन्हें हमने देखा-समझा। जब नवाब का किरदार निभाना हो तो नवाबी पोशाक, अलंकार, मेकअप के बाद नवाबों जैसी चाल-ढाल अपने आप हो ही जाती है।

डायलॉग्स अगर पॉवरफुल हों तो किरदार अपनी सही छाप छोड़ते हैं। जैसे इसमें है- ‘हम जुल्फिकार हैं, हुकूमत बदल जाएं लेकिन हमारी शानो-शौकत नहीं बदलेगी।’ ‘हीरामंडी’ रिलीज हो चुकी है, लेकिन मैं तो अभी भी ‘नवाबों’ के सुरूर में हूं। मेरी पत्नी अलका कहती हैं, ‘अभी तो जुल्फिकार के कैरेक्टर से बाहर निकलो।’

संजय लीला भंसाली के साथ आपके अनुभव कैसे रहे?
भंसाली जी बड़े टास्क मास्टर हैं, वे शॉट्स या सींस के मामले में कोई समझौता नहीं करते। भंसाली जी ने जो तसव्वुर में सोचा है, उसे ही करना है। उनके पास गजब का पेशेंस है। हर मेकर को उनके जैसा परफेक्शनिस्ट होना चाहिए।

आपके लिए ‘हीरामंडी’ में कौन-सा सीन चैलेंजिंग रहा?
सीरीज की शुरुआत में मेरा और मनीषा कोइराला का एक सीन है, जिसमें हम एक बग्घी में बैठे हैं। मेरा किरदार (नवाब जुल्फिकार) नशे में धुत्त है। कुछ सेक्सुअल एक्ट भी कर रहा है। यह सीन करना आसान नहीं था चूंकि सेक्सुअल एक्ट के साथ उसे नशे में धुत्त भी दिखाना था, वो मनीषा के साथ बातचीत करते हुए अपनी इच्छाएं, अपने जज्बात, अपनी कुंठाओं को भी व्यक्त कर रहा है। यह सीन ओवर एक्ट ना लगे, इसका भी ध्यान रखना था। जुल्फिकार की तड़प, प्यार, जज्बात भी उसमें दिखने थे। लेकिन जब यह सीन बस एक टेक में ओके हुआ तो भंसाली जी ने तालियां बजाईं, यह सीन ‘हीरामंडी’ का एक आइकॉनिक सीन बन चुका है।

इस सीरीज में मनीषा कोइराला से लेकर सोनाक्षी सिन्हा तक कई अभिनेत्रियों ने यादगार किरदार निभाए हैं, इनके साथ आपके अनुभव कैसे रहे?
‘हीरामंडी’ में मेरे जितने भी सीन हैं, मनीषा के साथ ही हैं। मुझे मनीषा पर फख्र है। कुछ वर्ष पहले उन्होंने कैंसर को हराया है। अब पूरी शिद्दत के साथ फिर से अभिनय में जुट गई हैं। इस सीरीज में मनीषा ने अपनी आवाज पर भी काम किया है। अपने किरदार में उन्होंने जान डाल दी है।

मनीषा कोइराला, अध्ययन सुमन हों या आप, क्या आप इस बात को मानते हैं कि यह सीरीज आप सभी के लिए कमबैक है?
मनीषा, अध्ययन या मेरा, किसी के लिए भी यह सीरीज कमबैक नहीं है। हम सभी कलाकार यहीं इंडस्ट्री में हैं। यह दूसरी बात है कि मनचाहे किरदार हमें ऑफर नहीं हुए इसीलिए हम नजर नहीं आए। कौन कलाकार खुद काम नहीं करना चाहेगा? एक मर्तबा साइकिल या तैराकी सीखा हुआ बंदा क्या साइकिल चलाना या तैरना भूल सकता है? वैसे ही एक्टिंग का हुनर कोई कलाकार भूल नहीं सकता। इसलिए इसे कमबैक नहीं कहा जा सकता।

‘हीरामंडी’ में आपके साथ आपके बेटे अध्ययन भी हैं, क्या आपने उन्हें अपने टिप्स दिए?
अध्ययन की कास्टिंग मुझसे पहले हो चुकी थी। उसी वक्त मैंने उससे कहा, ‘अपनी फिटनेस, डायलॉग डिलीवरी, परफॉर्मेंस में सौ प्रतिशत देना। अपने डायलॉग्स को जानदार बनाने की प्रैक्टिस करो।’ पिता-पुत्र को एक साथ काम करने का मौका कम ही मिलता है। हम दोनों खुशकिस्मत हैं कि हमने भंसाली जी की फिल्म में साथ काम किया।

आपके फिल्म करियर को 40 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन आपने 40 वर्षों में सिर्फ 40 फिल्में कीं?
मेरी पहली फिल्म ‘उत्सव’ के बाद जो ऑफर्स मेरे पास आए, उनमें मैंने चंद सेलेक्ट किए। मैं माधुरी दीक्षित, रवीना टंडन, जूही चावला, पद्मिनी कोल्हापुरे जैसी नामी-गिरामी अभिनेत्रियों के साथ लीड एक्टर रहा हूं। उसी दौर में अपने देश में टीवी की लोकप्रियता दिन दोगुनी-रात चौगुनी बढ़ रही थी। मैंने ‘देख भाई देख’, ‘मूवर्स एंड शेकर्स’, ‘फिल्म दीवाने’ जैसे दर्जनों शोज होस्ट किए और टीवी इंडस्ट्री के शिखर पर रहा। टीवी पर काम करते हुए मैं फिल्मों को तवज्जो नहीं दे पाया।

शेखर सुमन ने बीजेपी जाइन करने पर कही ये बात
मेरा राजनीति का अनुभव खास नहीं रहा। मैं किसी पार्टी में जाने में गंभीर नहीं था। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी काम कर रही है, मुझे लगा इस पार्टी के पास एक सॉलिड सोच है। यह पार्टी देश के लिए बहुत अच्छा कर रही है। एक तराजू में बीजेपी की अच्छाइयां और बुराइयां तौल कर देखिए, अच्छाइयां ज्यादा नजर आएंगी। इसलिए मैंने प्रधानमंत्री के हाथ मजबूत करने के लिए बीजेपी ज्वाइन की है। देश की सेवा के साथ अपनी फिल्म इंडस्ट्री और अपने पटना शहर के लिए भी जितना हो सकेगा, अच्छे काम करूंगा।’

(प्रस्तुति- पूजा सामंत)

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