सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में है ब्राइट करियर

वर्क नेचर
सॉफ्टवेयर इंजीनियर या डेवलपर द्वारा सॉफ्टवेयर को तैयार कर लेने के बाद सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग का काम शुरू होता है। एक सॉफ्टवेयर टेस्टर का काम नए सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग की कार्य योजना तैयार करना, उसका क्रियान्वयन करना, सॉफ्टवेयर की क्वालिटी, उसकी टेक्निकल एबिलिटी, स्टैबिलिटी को परखना और उसकी कमियों और खतरों को तलाशना होता है। इतना ही नहीं, टेस्टिंग के बाद सॉफ्टवेयर की रिपोर्ट तैयार करना भी टेस्टर की ही जिम्मेदारी होती है। इन सबके साथ ही, एक टेस्टर अलग-अलग स्तर पर डेवलपर के साथ काम करते हुए प्रॉब्लम्स की पहचान करने और बग्स दूर करने में डेवलपर की हेल्प भी करते हैं। इसके अलावा, टेस्ट आर्किटेक्ट के तौर पर उनका काम मास्टर टेस्ट प्लान तैयार करना और टेस्ट मैनेजर के साथ मिलकर काम करते हुए टेस्टिंग प्रोसीजर को पूरी स्ट्रेटजी के साथ फंक्शनल बनाना होता है। इस टेस्टिंग का काम व्हाइट बॉक्स टेस्टिंग, ऑटोमेटेड टेस्ट डायरेक्शन और परफॉर्मेंस टेस्टिंग एरिया में अलग-अलग लेवल पर होता है। कई कंपनियों में तो टेस्टर, यूजर इंटरफेस की मदद से डेवलपर द्वारा दी गई गाइडलाइन के आधार पर सॉफ्टवेयर का टेस्ट करते हैं, तो कई जगह कोडिंग एप्लिकेशन, यूनिट टेस्टिंग, डिफरेंट लैंग्वेज और टेस्टिंग टूल की नॉलेज के आधार पर टेस्टिंग करते हैं।
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