नाम में क्या रखा है?: राजभवन को अब बोला जाएगा लोकभवन! क्या है इसके पीछे की सियासत? जानिए
केंद्र सरकार ने राज भवन का नाम बदलकर लोक भवन और नए पीएमओ का नाम सेवा तीर्थ रखने की घोषणा की। जानें सरकार और विपक्ष की दलीलें और चर्चा में उठे बड़े सवाल।
देश में नाम बदलने की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है। केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि अब राज्यपाल के आधिकारिक आवास राज भवन को लोक भवन के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बन रहे नए प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम पीएमओ ऑफिस की जगह ‘सेवा तीर्थ’ रखा जाएगा।
सरकार का कहना है कि यह सिर्फ नाम बदलने की कवायद नहीं है, बल्कि कार्य संस्कृति और सोच में बदलाव का प्रतीक है। पीएमओ की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि भारतीय दर्शन में सेवा को सर्वोच्च माना गया है, इसलिए यह नाम उसी विचार को आगे बढ़ाता है।
उधर, विपक्ष ने इस फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है कि केवल नाम बदलने से न तो व्यवस्था सुधरती है और न ही प्रशासनिक ढांचा। विपक्ष का आरोप है कि सरकार लोगों का ध्यान असली मुद्दों से हटाने की कोशिश कर रही है।
इसी मुद्दे पर हरिभूमि समूह के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने एक विशेष चर्चा की, जिसमें तीन मेहमान शामिल हुए-
- डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान, भाजपा प्रवक्ता
- डॉ. अजय उपाध्याय, एआईसीसी प्रवक्ता
- श्रवण गर्ग, वरिष्ठ पत्रकार
सवाल है-
नाम बदलने से क्या बदलेगा? इसके पीछे की सियासत क्या है?
चर्चा में सत्ता और विपक्ष दोनों की दलीलों को विस्तार से रखा गया और इस नाम परिवर्तन के व्यापक राजनीतिक मायनों को समझने की कोशिश की गई।