जातिगत राजनीति पर यूपी भाजपा अध्यक्ष नाराज: 'विशेष भोज' और बंद कमरे की बैठकों पर जनप्रतिनिधियों को चेतावनी

प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने कहा कि भाजपा विकास और समावेशी राजनीति में विश्वास रखती है, इसलिए नेताओं को विपक्ष के 'जातीय नैरेटिव' का शिकार नहीं होना चाहिए।

Updated On 2025-12-26 12:55:00 IST

लखनऊ में आयोजित एक 'ब्राह्मण भोज' और उसके बाद उपजी चर्चाओं को लेकर हाईकमान नाराज है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों और सांगठनिक मजबूती के बीच भाजपा के भीतर 'जाति आधारित लामबंदी' ने नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है।

हाल ही में राजधानी लखनऊ में कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा जाति विशेष की बैठकें करने और उनमें शामिल होने की खबरों पर प्रदेश अध्यक्ष ने सख्त रुख अख्तियार किया है।

पार्टी ने दो-टूक शब्दों में कहा है कि भाजपा 'सबका साथ-सबका विकास' के मंत्र पर चलती है और यहा किसी भी प्रकार की नकारात्मक या जातीय राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है।

यह चेतावनी उन कयासों के बीच आई है जहा विपक्षी दल भाजपा के भीतर आंतरिक कलह और जातीय असंतोष का दावा कर रहे थे।

जातीय लामबंदी और 'डिनर पॉलिटिक्स' पर अध्यक्ष का सीधा प्रहार

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के उन विधायकों और सांसदों को कड़ा संदेश दिया है जो हाल के दिनों में अपनी जाति के नेताओं के साथ अलग से बैठकें कर रहे थे।

लखनऊ में आयोजित एक 'ब्राह्मण भोज' और उसके बाद उपजी चर्चाओं को लेकर हाईकमान नाराज है। अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि जनप्रतिनिधियों को समाज के किसी एक वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि "नकारात्मक राजनीति का शिकार होकर कुछ नेता अनजाने में विपक्ष के एजेंडे को हवा दे रहे हैं, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

विपक्ष के बुने हुए जाल से बचने की सख्त हिदायत

प्रदेश अध्यक्ष ने जनप्रतिनिधियों को आगाह किया कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दल भाजपा के भीतर 'जातिवाद' का भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम ही विभाजन पैदा करना है, और भाजपा के नेताओं को उनके इस 'नैरेटिव' में नहीं फंसना चाहिए। बैठक में निर्देश दिए गए कि सभी जनप्रतिनिधि केवल विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करें।

नेतृत्व का मानना है कि इस तरह की अलग बैठकें जनता के बीच यह संदेश देती हैं कि पार्टी के भीतर गुटबाजी है, जो कि अनुशासन के दायरे से बाहर है।

अनुशासनहीनता पर शून्य सहिष्णुता की नीति

पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखने के लिए यह निर्देश दिया गया है कि कोई भी जनप्रतिनिधि बिना संगठन की अनुमति के किसी भी ऐसे आयोजन का हिस्सा नहीं बनेगा जो जातीय आधार पर आयोजित हो।

संगठन की ओर से साफ कहा गया है कि भाजपा एक कैडर आधारित पार्टी है जहा व्यक्ति से बड़ा संगठन और संगठन से बड़ा देश है।

यदि कोई नेता बार-बार चेतावनी के बावजूद जातीय गोलबंदी में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई और टिकट वितरण में प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के संकेत भी दिए गए हैं।

सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निगरानी के निर्देश

खबरों की क्रॉस-वेरिफिकेशन और सोशल मीडिया ट्रेंड्स को देखते हुए भाजपा आईटी सेल को भी सक्रिय रहने को कहा गया है। उन्होंने ने कहा कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं और पार्टी के भीतर फूट की खबरों का मजबूती से खंडन किया जाए।

जनप्रतिनिधियों को निर्देश है कि वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से केवल विकासवादी और सामूहिक एकता का संदेश दें।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह सख्त रुख 2027 के चुनावों से पहले पार्टी की छवि को 'सर्वसमावेशी' बनाए रखने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।


Tags:    

Similar News