फर्जी ID से आयुष्मान कार्ड: लखनऊ STF ने गिरोह के मास्टरमाइंड सहित 7 को दबोचा

आरोपियों के पास से लैपटॉप और फर्जी दस्तावेज मिले हैं। अब पुलिस इस घोटाले में शामिल अस्पतालों और विभागीय मिलीभगत की जांच कर रही है।

Updated On 2025-12-26 14:52:00 IST

पुलिस ने इनके पास से लैपटॉप, दर्जनों मोबाइल फोन, बायोमेट्रिक मशीनें और फर्जी मोहरें बरामद की हैं।

लखनऊ : ​लखनऊ एसटीएफ ने एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए मास्टरमाइंड समेत सात जालसाजों को गिरफ्तार किया है।

यह गिरोह फर्जी आईडी और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाता था। जांच में सामने आया है कि इस सिंडिकेट ने अब तक 2,000 से अधिक अपात्रों को सरकारी योजना का अवैध लाभ दिलाकर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है।

एसटीएफ ने इनके पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं।

​तकनीकी सेंधमारी और फर्जी आईडी का खेल

​एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह आयुष्मान भारत योजना के पोर्टल में तकनीकी खामियों और फर्जी ऑपरेटर आईडी का इस्तेमाल कर सेंधमारी करता था।

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि वे असली लाभार्थियों के डेटा में छेड़छाड़ करते थे या मृत व्यक्तियों और योजना के दायरे से बाहर के लोगों की आईडी का उपयोग कर नए कार्ड जनरेट कर देते थे।

गिरोह का जाल केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों तक भी फैला हुआ था, जहा से वे डेटा एक्सेस करते थे।

​प्रति कार्ड वसूली जाती थी मोटी रकम

​यह गिरोह उन लोगों को निशाना बनाता था जो योजना के लिए पात्र नहीं थे लेकिन मुफ्त इलाज की सुविधा चाहते थे। मास्टरमाइंड के निर्देश पर एजेंट गांव-गांव और कस्बों में सक्रिय रहते थे।

एक आयुष्मान कार्ड बनाने के बदले में गिरोह 2,000 से लेकर 5,000 रुपये तक वसूलता था। पिछले कुछ महीनों में इस गिरोह ने 2,000 से ज्यादा फर्जी कार्ड जारी किए, जिससे निजी अस्पतालों में फर्जी तरीके से क्लेम पास कराए गए।

​मास्टरमाइंड और उसकी टीम की गिरफ्तारी

​एसटीएफ ने खुफिया जानकारी और डिजिटल फुटप्रिंट्स का पीछा करते हुए लखनऊ के विभिन्न इलाकों से सात लोगों को हिरासत में लिया। पकड़ा गया मुख्य आरोपी तकनीकी रूप से बेहद सक्षम है और पहले भी इसी तरह की गतिविधियों में संदिग्ध रहा है।

पुलिस ने इनके पास से कई लैपटॉप, दर्जनों मोबाइल फोन, बायोमेट्रिक मशीनें और फर्जी मोहरें बरामद की हैं। साइबर सेल अब उन आईडी की जांच कर रही है जिनका उपयोग इन फर्जी कार्डों को अप्रूव करने के लिए किया गया था।

​स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों की भूमिका की जांच

​इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद अब उन निजी अस्पतालों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है, जहा इन फर्जी कार्डों के जरिए मरीजों का इलाज दिखाया गया और सरकारी धन की निकासी की गई। एसटीएफ को अंदेशा है कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ निचले स्तर के कर्मचारी या डेटा ऑपरेटर भी इस सिंडिकेट का हिस्सा हो सकते हैं।

आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारियां संभव हैं, क्योंकि पुलिस इन आरोपियों के कॉल डिटेल्स और बैंक खातों को खंगाल रही है।

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