बंगाल में ‘बाबरी' मस्जिद पर बढ़ा विवाद: अयोध्या के संतों और मुस्लिम पक्ष में आक्रोश; इकबाल अंसारी बोले- बाबर मसीहा नहीं!
अयोध्या के संतों ने इसे राष्ट्रीय अपमान बताया, वहीं मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने बाबर को मसीहा मानने से इनकार करते हुए कबीर की गिरफ्तारी की मांग की। टीएमसी ने कबीर को निलंबित कर दिया है।
इकबाल अंसारी ने कहा बाबर कोई मसीहा नहीं था और देशहित में उसका कोई योगदान नहीं है, इसलिए उसके नाम पर कोई मस्जिद नहीं बननी चाहिए।
अयोध्या : पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में 'बाबरी मस्जिद' की शैली पर एक मस्जिद के शिलान्यास के ऐलान से देशव्यापी विवाद खड़ा हो गया है।
6 दिसंबर को, जिस दिन अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, कबीर ने शिलान्यास कर दिया। उनके इस कदम से न केवल अयोध्या के संतों में गहरा आक्रोश है, बल्कि अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने भी कबीर के कृत्य की कड़ी आलोचना करते हुए उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
अंसारी ने स्पष्ट कहा है कि बाबर कोई मसीहा नहीं था और उसके नाम पर कोई ढांचा नहीं बनना चाहिए।
अयोध्या के संतों और मुस्लिमों का कड़ा विरोध
अयोध्या के साधु-संतों और मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग ने हुमायूं कबीर के विवादित ऐलान पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संतों ने इसे 140 करोड़ भारतीयों का अपमान बताते हुए उनकी तुरंत गिरफ्तारी की मांग की।
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कबीर की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि मस्जिद के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन बाबर कोई मसीहा नहीं था और देशहित में उसका कोई योगदान नहीं है, इसलिए उसके नाम पर कोई मस्जिद नहीं बननी चाहिए।
उन्होंने मस्जिद का नाम अब्दुल कलाम या अन्य राष्ट्रवादी मुस्लिमों के नाम पर रखने का सुझाव दिया। कुछ साधु-संतों ने कबीर के इस कदम को उकसावे वाला बताते हुए कहा कि वे बंगाल जाकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे और देश में बाबर के नाम पर किसी भी कीमत पर कोई ढांचा नहीं बनने दिया जाएगा।
'बाबरी' की प्रतिकृति बनाने का ऐलान और शिलान्यास
तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के बेलडांगा ब्लॉक में 'बाबरी मस्जिद' की तर्ज पर एक मस्जिद के निर्माण के लिए शिलान्यास 6 दिसंबर को किया जो कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी है, जिससे राजनीतिक माहौल और अधिक गर्मा गया।
कबीर की घोषणा के जवाब में, दो हिंदू समूहों ने भी मुर्शिदाबाद में अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति बनाने के लिए ट्रस्ट बनाने और निर्माण शुरू करने का ऐलान कर दिया। कबीर ने यह भी कहा कि मस्जिद परिसर में 200 बिस्तरों वाला अस्पताल और पाँच मंजिला गेस्ट हाउस बनाने की भी योजना है।
कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला और टीएमसी का एक्शन
इस विवाद के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की आशंका जताते हुए मस्जिद निर्माण को रोकने की मांग की गई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी राज्य प्रशासन पर छोड़ दी।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने हुमायूं कबीर को सांप्रदायिक राजनीति करने के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया। टीएमसी नेता फिरहाद हकीम ने कहा कि पार्टी सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास नहीं करती है और कबीर को पहले भी तीन बार चेतावनी दी जा चुकी थी।
निलंबन के बाद कबीर ने विधायक पद से इस्तीफा देने और जल्द ही अपनी नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने का ऐलान किया।
सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक खींचतान
मुर्शिदाबाद में राजनीतिक तनाव बढ़ गया, जिसके मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। प्रशासन ने बेलडांगा साइट को हाई-सिक्योरिटी ग्रिड में बदल दिया, जहां रैपिड एक्शन फोर्स (RAF), जिला पुलिस और केंद्रीय बलों को तैनात किया गया।
भारतीय जनता पार्टी ने इस विवाद को लेकर टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। बीजेपी ने आरोप लगाया कि टीएमसी नेता बंगाल को 'पश्चिम बांग्लादेश' में बदलने की कोशिश कर रहे हैं और कबीर को निलंबित करने में देरी पर भी सवाल उठाया।