Sambhal Violence Report: 45% से घटकर सिर्फ 20% रह गई हिंदू आबादी, संभल हिंसा रिपोर्ट में बड़े खुलासे
संभल दंगे पर बनी जांच आयोग ने बुधवार (28 अगस्त 2025) को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिंदू आबादी आजादी के समय 45% थी, जो अब घटकर 20% रह गई है।
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Sambhal Violence 2024: उत्तर प्रदेश के संभल में नवंबर 2024 में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर बनी न्यायिक जांच आयोग ने गुरुवार (28 अगस्त, 2025) को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी गई। तीन सदस्यीय आयोग का नेतृत्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने किया। रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं।
रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे
- आजादी के समय संभल में हिंदू आबादी 45% थी, जो अब घटकर सिर्फ 20% रह गई है।
- आजादी के बाद से अब तक संभल में 15 सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं।
- क्षेत्र में आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ी है।
- मौलाना सना-उल-हक को अमेरिका ने वैश्विक आतंकी घोषित किया था।
- अवैध हथियार और नशे का कारोबार संभल में सक्रिय है।
हिंदुओं को निशाना बनाने की साजिश
रिपोर्ट के मुताबिक, दंगों के दौरान हिंदुओं को मारने की पहले से साजिश रची गई थी। बाहर से दंगाई बुलाए गए थे, लेकिन पुलिस की मौजूदगी की वजह से बड़े पैमाने पर हत्या टल गई। इसके अलावा, तुर्क पठान और धर्मांतरण कर मुस्लिम बने पठानों के बीच आपसी विवाद ने भी हिंसा को और बढ़ा दिया, जिसमें चार लोगों की मौत हुई।
भड़काऊ भाषण से शुरू हुआ तनाव
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 नवंबर 2024 को स्थानीय सांसद जिया-उर-रहमान बर्क के भाषण से हिंसा की नींव रखी गई। उन्होंने कहा था, ''हम इस देश के मालिक हैं, गुलाम नहीं। यहां मस्जिद थी, है और हमेशा रहेगी। दूसरा अयोध्या यहां नहीं बनने देंगे।''
इसके दो दिन बाद ही तुर्क और पठान समुदायों के बीच टकराव शुरू हो गया।
साजिशकर्ताओं के नाम आए सामने
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह हिंसा अचानक नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश थी। इसमें सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, विधायक के बेटे सुहैल इकबाल और इंतिजामिया कमेटी के कुछ अहम लोग शामिल थे।
संभल हिंसा में चार लोगों की हुई थी मौत
24 नवंबर 2024 को हुए संभल हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी। इस हिंसा के कारण शहर में कई दिनों तक तनाव की स्थिती बनी हुई थी। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अवैध हथियारों और आपराधिक गिरोहों ने इस हिंसा को भड़काने में अहम भूमिका निभाई।