अब यूपी में भी संभव: RMLIMS ने शुरू की अत्याधुनिक DBS सर्जरी - जटिल न्यूरो रोगों के उपचार में बड़ा बदलाव!
इस अत्याधुनिक न्यूरो-टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से 68 वर्षीय मरीज का कंपन कम हुआ और वे चलने में सक्षम हो गए।
यह उन मरीजों के लिए आशा की नई किरण है जिन पर दवाए काम नहीं कर रही हैं।
लखनऊ : लखनऊ स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने न्यूरो संबंधी बीमारियों के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। संस्थान के न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी विभागों की टीम ने 4 को पार्किंसन रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) सर्जरी को पहली बार सफलतापूर्वक पूरा किया। यह एक बड़ी सफलता है, क्योंकि अब उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों के मरीजों को इस जटिल और आधुनिक इलाज के लिए दिल्ली या मुंबई जैसे दूर के शहरों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
मरीज को मिला जीवनदान
यह सफल ऑपरेशन 68 वर्षीय आर.एम. पर किया गया, जो लंबे समय से पार्किंसन रोग के कारण बहुत परेशान थे। उन्हें लगातार कंपन, चलने में अत्यधिक कठिनाई और शरीर में कठोरता जैसी गंभीर शिकायतें थीं, जिससे उनका दैनिक जीवन मुश्किल हो गया था। वे आरएमएल आईएम एस में डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ और डॉ. अब्दुल क़ावी (न्यूरोलॉजी विभाग) की देखरेख में इलाज करा रहे थे। जब उन्हें सामान्य दवाओं से लाभ नहीं मिला, तो डॉक्टरों की टीम ने मिलकर यह तय किया कि सर्जरी ही विकल्प है।
आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता का संगम
डीबीएस सर्जरी, जिसमें मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्सों में पतले इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, को डॉ. दीपक सिंह (न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर) के नेतृत्व में किया गया। इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने में मुंबई से आए डीबीएस विशेषज्ञ डॉ. नरेन नाइक ने अपनी विशेष तकनीकी जानकारी देकर सहयोग किया। ऑपरेशन के बाद, 30 अक्टूबर 2025 को, मरीज के शरीर में लगाए गए डिवाइस को प्रोग्राम किया गया। इलेक्ट्रोड की सेटिंग्स को एडजस्ट करने के तुरंत बाद मरीज के लक्षणों में अचूक सुधार देखने को मिला। उनका कंपन काफी हद तक कम हो गया और वे बिना किसी सहारे के आसानी से चलने में सक्षम हो गए।
विशेषज्ञों ने बताया डीबीएस का महत्व
इस सफलता पर खुशी जताते हुए, डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने कहा कि डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी ने पार्किंसन रोग के इलाज का तरीका बदल दिया है। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया न केवल मरीजों के हिलने-डुलने की क्षमता को सुधारती है और कंपन को कम करती है, बल्कि लंबे समय तक दवाएं लेने से होने वाले दुष्प्रभावों से भी राहत दिलाती है। डॉ. दीपक सिंह ने इस प्रक्रिया के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "यह एक बहुत ही सुरक्षित और असरदार ऑपरेशन है, जो उन मरीजों के लिए आशा की नई किरण है जिन पर दवाए काम नहीं कर रही हैं।