योगी सरकार का बड़ा फैसला: पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार बने यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार पर प्रदेश में शिक्षक भर्तियों को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त तरीके से संपन्न कराने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।
पुलिसिंग के बाद अब प्रशांत कुमार के सामने शिक्षा विभाग की जटिलताओं को सुलझाने की चुनौती होगी।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार को 'उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग' का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।
मई 2025 में रिटायर हुए 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार को अब शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले को प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण और शिक्षा विभाग में लंबित भर्तियों को गति देने के रूप में देखा जा रहा है।
शानदार रहा है प्रशांत कुमार का पिछला कार्यकाल और उपलब्धियां
प्रशांत कुमार मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं और 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी के रूप में उनका करियर बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्हें उत्तर प्रदेश के सबसे तेज-तर्रार और रणनीतिक योजना बनाने वाले अधिकारियों में गिना जाता है।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एडीजी मेरठ जोन, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और अंततः प्रदेश के डीजीपी जैसे शीर्ष पदों की जिम्मेदारी संभाली। उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 4 बार राष्ट्रपति वीरता पदक और 3 बार मुख्यमंत्री के उत्कृष्ट सेवा पदक सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। वे अपनी बेदाग छवि और अनुशासन के लिए प्रशासनिक हलकों में जाने जाते हैं।
डीजीपी के रूप में पुलिसिंग की चुनौतियां और प्रभावी प्रबंधन
जब प्रशांत कुमार यूपी पुलिस के शीर्ष पदों पर थे, तब प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर कई बड़ी चुनौतियां सामने आईं। उनके कार्यकाल के दौरान नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों और लखीमपुर खीरी जैसी संवेदनशील घटनाओं के दौरान शांति बनाए रखना एक बड़ी परीक्षा थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।
माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे संगठित गिरोहों के नेटवर्क को ध्वस्त करना और राज्य में 'जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत अपराधियों पर लगाम कसना उनके नेतृत्व की बड़ी सफलता मानी जाती है। उन्होंने न केवल कानून-व्यवस्था सुधारी, बल्कि पुलिस बल के मनोबल को भी ऊंचा रखा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद 'संकटमोचक'
प्रशांत कुमार की नियुक्ति केवल एक प्रशासनिक फेरबदल नहीं है, बल्कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उनके प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक है। उन्हें सीएम योगी का सबसे करीबी और भरोसेमंद अधिकारी माना जाता है।
सरकार के कठिन से कठिन फैसलों को जमीन पर उतारने और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विपक्ष के हमलों का जवाब अपने काम से देने में प्रशांत कुमार हमेशा आगे रहे।
मुख्यमंत्री का उन पर इतना भरोसा है कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें अब प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण पद पर बिठाया गया है ताकि भर्ती प्रक्रियाओं में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे।
शिक्षा आयोग में नई चुनौतियों का सामना करेंगे प्रशांत कुमार
पुलिसिंग के बाद अब प्रशांत कुमार के सामने शिक्षा विभाग की जटिलताओं को सुलझाने की चुनौती होगी। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग पर शिक्षकों की भारी संख्या में लंबित भर्तियों को पूरा करने और चयन प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दबाव है।
मुख्यमंत्री ने एक ऐसे व्यक्ति को इस पद पर बैठाया है जो कड़े फैसले लेने के लिए जाना जाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह पुलिसिंग के अपने अनुभव का उपयोग शिक्षा विभाग में फैले 'शिक्षा माफियाओं' और भर्ती के सिंडिकेट को खत्म करने में किस तरह करते हैं।