एक जिला, एक व्यंजन': यूपी सरकार की ऐतिहासिक पहल, 75 जिलों के ज़ायके से बदलेगा पर्यटन का चेहरा

उत्तर प्रदेश सरकार ने 'एक जिला, एक उत्पाद' (ODOP) की सफलता के बाद 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन कुज़ीन' (ODOC) पहल शुरू की है।

Updated On 2025-11-08 17:33:00 IST

यह योजना यूपी को 1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में योगदान देगी।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी अत्यंत सफल 'एक जिला, एक उत्पाद' (ODOP) योजना की तर्ज पर अब 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन कुज़ीन' (ODOC) पहल की शुरुआत की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी 75 जिलों की व्यंजनो को बढ़ावा देना है।

ODOC, का लक्ष्य स्थानीय खाद्य संस्कृति का उत्सव मनाना और प्रत्येक जिले के अनूठे पारंपरिक व्यंजनों को चिह्नित करना है, व्यंजन पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास है।

इस पहल को बल तब मिला जब लखनऊ को यूनेस्को क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी के लिए नामांकित किया गया। यह योजना छोटे पैमाने के खाद्य उद्यमियों और पारंपरिक कारीगरों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार इस पहल के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास में लगी हुई है।

विशिष्ट व्यंजनों का चयन और प्रचार

ODOC पहल के तहत, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के अधिकारियों को प्रत्येक जिले के पारंपरिक और विशिष्ट व्यंजनों की व्यापक सूची संकलित करने का निर्देश दिया गया है। चयन करते समय व्यंजन की ऐतिहासिक पहचान, उसकी लोकप्रियता और व्यावसायीकरण की क्षमता को ध्यान में रखा जाएगा।

सरकार छोटे खाद्य निर्माताओं को उनकी उपज को बड़े बाजारों तक पहुचाने में मदद करेगी। इसके लिए, ODOP वित्तपोषण योजना की तर्ज पर, छोटे उद्यमियों को पूंजीगत निवेश के लिए वित्तीय सहायता और मार्जिन मनी सब्सिडी प्रदान की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, चयनित व्यंजनों के लिए आकर्षक ब्रांडिंग, बेहतर पैकेजिंग और गुणवत्ता पर ध्यान देगी। भविष्य में, इन व्यंजनों को GI टैग दिलाने के प्रयास भी किए जाएंगे ताकि इनकी विशिष्ट पहचान कानूनी रूप से सुरक्षित रहे।

यूपी के कुछ जिलों के चिह्नित व्यंजन और पर्यटन से जुड़ाव

ODOC योजना के तहत, पूरे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्रसिद्ध व्यंजनों को चिह्नित किया जा रहा है, जिन्हें बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाएगा।

आगरा का पेठा और दालमोठ इस पहल के केंद्र में रहेंगे। मथुरा के पेड़े।नारस की चाट, लौंगलता और तिरंगी बर्फी को वैश्विक मंच मिलेगा। प्रयागराज की बालूशाही, इमरती, और अमरूद को भी शामिल किया जाएगा।

कानपुर की खुरचन (मिठाई) और चने जोर गरम। लखनऊ के व्यंजन में कबाब, और संडीला के प्रसिद्ध लड्डू को भी पहचान मिलेगी।

जाएगा, फिरोजाबाद की जलेबी। एटा के पेठे। मुरादाबाद की दाल की पिठ्ठी।अयोध्या के पेड़े जैसे व्यंजन भी इस सूची में प्रमुखता से शामिल किए जाएंगे। गोरखपुर की इमरती। झांसी की बुंदेलखंडी पारंपरिक मिठाइया भी प्रचारित की जाएंगी।

ODOC पहल के माध्यम से राज्य सरकार 'स्मारक पर्यटन' से आगे बढ़कर 'पाक पर्यटन' को बढ़ावा देना चाहती है, जिससे पर्यटकों को प्रामाणिक स्थानीय अनुभव मिल सके।

सोशल मीडिया, 'आत्मनिर्भर भारत' और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

योजना के प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया रणनीति तैयार की गई है, जिसमें प्रत्येक जिले के विशिष्ट व्यंजनों को उनकी तस्वीरों, विशिष्टताओं और ऐतिहासिक उत्पत्ति के साथ लगातार प्रचारित किया जाएगा।

पूरे राज्य में स्थानीय व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए फूड फेस्टिवल, प्रदर्शनियों और मेले आयोजित किए जाएंगे, जिससे स्थानीय कारीगरों को सीधा बाजार उपलब्ध हो सकेगा। यह पूरी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'लोकल फॉर वोकल' अभियानों के अनुरूप है।

ODOC का उद्देश्य न केवल उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख पाक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना भी है। यह योजना यूपी को 1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के व्यापक लक्ष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।


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