अयोध्या राम मंदिर: शिखर का निर्माण शुरू, होली से पहले बन जाएगा राम दरबार 

राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया, शिखर की डिजाइन सोमपुरा आर्किटेक्ट्स ने तैयार की है। यह नागर शैली में बनाया जाएगा। गुरुवार, 3 सितंबर को शिला पूजन हुआ।

Updated On 2024-10-03 16:13:00 IST
Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। प्रथम तल के बाद मंदिर के मुख्य शिखर का निर्माण शुरू हो गया। गुरुवार, 3 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन निर्माण स्थल और पत्थर की पूजा कर इसकी शुरुआत की गई। होली के बाद भक्त रामलला के साथ राम दरबार के भी दर्शन कर सकेंगे। 

राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि मंदिर का शिखर भी नागर शैली में बनाया जाएगा। सोमपुरा आर्किटेक्ट्स ने इसकी डिज़ाइन तैयार की है। ट्रस्ट ने भी इसे फाइनल कर दिया है। शिखर के निर्माण में करीब चार माह का समय लगेगा। 

मज़बूती और ख़ूबसूरती पर फोकस 
मंदिर निर्माण से जुड़े लोगों ने बताया कि मंदिर में शिखर का निर्माण की सबसे मुश्किल होता है। यही कारण है कि सभी एजेंसियों के प्रतिनिधि अयोध्या में मौजूद हैं। राम मंदिर की विशेषताओं को ध्यान रखते हुए ही शिखर का निर्माण किया जाएगा। ताकि, इसकी मज़बूती और ख़ूबसूरती दोनों बरकरार रहे। शिखर पर धर्म ध्वज लगाया जाएगा। 

संगमरमर से बनेगा राम दरबार 
राम मंदिर में श्रद्धालु जल्द ही राम दरबार के दर्शन कर सकेंगे। राम दरबार की स्थापना मंदिर के प्रथम तल में होनी है। होली तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। डिजाइन तैयार ली गई है। नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि राम दरबार संगमरमर से बनेगा। जिसमें भगवान राम, सीता, तीनों भाई और हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी। 

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वासुदेव कामथ तैयार करेंगे मूर्ति
राम दरबार की मूर्ति मूर्तिकार वासुदेव कामथ तैयार कर रहे हैं। इसकी डिज़ाइन भी अप्रूव हो गई। होली से पहले राम दरबार की स्थापना हो जाएगी। हालांकि, मंदिर के निर्माण में थोड़ा समय और लग सकता है। 

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सप्त मंडप और परकोटा 
राम मंदिर के परकोटे और सप्त मंडप का काम भी चल रहा है। ग्राउंड फ्लोर और प्रथम तल का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। प्रथम तल में फिनसिंग का काम चल रहा है। मुख्य भवन के साथ साथ मंदिर परिसर को भी संवारा जा रहा है। 

इस दौरान सोमपुरा आर्किटेक्ट्स के अलावा कंस्ट्रक्शन एजेंसी लार्सन एंड टुब्रो, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट( CBRI) रुड़की, राष्ट्रीय भू भौतिकीय अनुसंधान संस्थान( NGRI) के विशेषज्ञ भी मौजूद रहे.
 

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