यूपी एटीएस की बड़ी कार्रवाई: टेरर फंडिंग और अवैध शरण देने के आरोप में फरहान नबी सिद्दीकी गिरफ्तार
यूपी एटीएस ने फरहान नबी सिद्दीकी को टेरर फंडिंग, उन्मादी किताबें छापने और विदेशी घुसपैठियों को अवैध रूप से पनाह देने के आरोप में नोएडा से गिरफ्तार किया है।
फरहान नबी सिद्दीकी अवैध रूप से भारत आए बांग्लादेशी घुसपैठियों को शरण दे रहा था।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश एटीएस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए टेरर फंडिंग घुसपैठियों को पनाह देने और धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोपी फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली निवासी सिद्दीकी को ग्रेटर नोएडा के कासना क्षेत्र से हिरासत में लिया गया।
उस पर धार्मिक पुस्तकों की आड़ में नफरत फैलाने, विदेश से हवाला और अन्य माध्यमों से करोड़ों रुपये की अवैध फंडिंग जुटाने तथा अवैध रूप से देश में रह रहे विदेशी नागरिकों और बांग्लादेशी घुसपैठियों को शरण देने के गंभीर आरोप हैं।
एटीएस इस पूरे नेटवर्क और फंडिंग स्रोतों की गहन जांच कर रही है, जिसने देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विदेशी फंडिंग और शत्रुता फैलाने वाली पुस्तकों का प्रकाशन
फरहान नबी सिद्दीकी पर आरोप है कि वह धार्मिक पुस्तकों को छापने के नाम पर विदेश से अवैध फंडिंग मंगा रहा था। एटीएस के मुताबिक, फरहान ने हवाला और अन्य गैरकानूनी माध्यमों से विदेश से लगभग 11 करोड़ रुपये जुटाए। इस धनराशि का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश के अमरोहा और पंजाब में मदरसों, मस्जिदों और कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदने के लिए किया गया।
इसके अलावा, सिद्दीकी 'हकीकत प्रिंटिंग पब्लिकेशन' नामक कंपनी का संचालन कर रहा था। आरोप है कि इस पब्लिकेशन हाउस का उपयोग धार्मिक और विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता, वैमनस्यता और उन्माद फैलाने वाली किताबों के प्रकाशन और वितरण के लिए किया जा रहा था, जिससे सामाजिक सद्भाव को खतरा पैदा हो रहा था। एटीएस ने उसके कब्जे से हिंदी, उर्दू, अरबी और बांग्ला में प्रकाशित 12 किताबें बरामद की हैं।
घुसपैठियों और विदेशियों को अवैध रूप से पनाह देने का आरोप
फरहान नबी सिद्दीकी पर एक और गंभीर आरोप देश की सुरक्षा से जुड़ा है। एटीएस के अनुसार, वह अवैध रूप से भारत आए बांग्लादेशी घुसपैठियों को शरण दे रहा था। इसके साथ ही, उसने तुर्की और जर्मनी से आने वाले कुछ विदेशी नागरिकों को भी अवैध रूप से ठिकाना दिया था, जिनकी सूचना उसने स्थानीय पुलिस या संबंधित सरकारी एजेंसियों को नहीं दी थी। इन अवैध गतिविधियों से विदेशी फंडिंग का रैकेट भी चलाया जा रहा था।
कंपनियों के नाम पर नेटवर्क का संचालन
जांच में सामने आया है कि फरहान नबी सिद्दीकी अपने सहयोगी नासी तोर्बा के साथ मिलकर कई कंपनियों का संचालन कर रहा था। इनमें M/S इस्तानबुल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, हकीकत वक्फी फाउंडेशन और रियल ग्लोबल एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं।
जांच एजेंसियों को संदेह है कि इन कंपनियों का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों को अंजाम देने और विदेशी फंडिंग को वैध दिखाने के लिए किया जा रहा था। एटीएस अब इन सभी कंपनियों के खातों और लेन-देन की विस्तृत जांच कर रही है ताकि इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचा जा सके।
बरामद सामग्री और कानूनी कार्रवाई
एटीएस ने फरहान नबी सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद उसके कब्जे से महत्वपूर्ण डिजिटल सामग्री भी बरामद की है। इसमें 2 मोबाइल फोन और 3 लैपटॉप शामिल हैं। इन उपकरणों के डाटा की फॉरेंसिक जांच की जा रही है, जिससे इस अवैध रैकेट के अन्य सदस्यों और फंडिंग के स्रोतों के बारे में और अधिक जानकारी मिलने की संभावना है।
फरहान के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और एटीएस की टीमें आगे की जांच में जुटी हैं। इस गिरफ्तारी से यूपी में चल रहे अवैध विदेशी फंडिंग और उन्मादी साहित्य प्रकाशन के बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ होने की उम्मीद है।