बिहार चुनाव 2025: योगी की 4 और मायावती की 1 रैली आज- पहले चरण के मतदान बीच दोनों दिग्गज साधेंगे अंतिम चरणों का वोट बैंक
CM योगी पश्चिमी चंपारण से सीतामढ़ी तक चार रैलियां करेंगे, जबकि मायावती कैमूर में एक बड़ी सभा करेंगी।
सीएम योगी चार जनसभाओं को संबोधित करेंगे, वहीं बसपा प्रमुख मायावती कैमूर में एक रैली करेंगी।
लखनऊ : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बीच, राज्य का चुनावी रण आज उत्तर प्रदेश के दो कद्दावर नेताओं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती की ताबड़तोड़ रैलियों से और भी गर्म हो गया है।
दोनों ही नेता आज उन क्षेत्रों में जनसभा करेंगे जहा अंतिम चरणों में मतदान होना है। सीएम योगी आदित्यनाथ जहा पश्चिमी चंपारण से लेकर सीतामढ़ी तक चार जनसभाओं को संबोधित कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाएंगे, वहीं बसपा प्रमुख मायावती कैमूर जिले में एक बड़ी सभा के जरिए अपने कोर वोटबैंक को साधने की कोशिश करेंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और विकास पर चर्चा करेंगे तो वही मायावती दलित-पिछड़ा एकजुटता पर जोर देंगी।
CM योगी का तूफानी दौरा- पश्चिमी चंपारण से सीतामढ़ी तक चार जनसभाएं
भाजपा के स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार में भाजपा और एनडीए गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने के लिए एक तूफानी दौरा करेंगे। उनकी रैलियों का उद्देश्य अपनी फायरब्रांड छवि और उत्तर प्रदेश में लागू किए गए सुशासन के मॉडल को बिहार के मतदाताओं के सामने पेश करना है।
सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी रैलियों की शुरुआत पश्चिमी चंपारण से करेंगे, जहा वे स्थानीय भाजपा उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाएंगे। इसके बाद, वह सीतामढ़ी सहित तीन अन्य महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाएं करेंगे।
मायावती की रणनीति- कैमूर की रैली से दलित-पिछड़ा वोटबैंक को साधने की कोशिश
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भी आज बिहार के चुनावी मैदान में उतर रही हैं। उनकी रणनीति सीएम योगी से थोड़ी अलग है, जिसमें वह कम, लेकिन प्रभावी रैलियों पर जोर देती हैं।
बसपा प्रमुख आज कैमूर जिले में एक विशाल रैली को संबोधित करेंगी। कैमूर बिहार और यूपी की सीमा पर स्थित है, इसलिए इस क्षेत्र में उनकी सभा का असर न केवल सीमावर्ती जिलों बल्कि पूरे बिहार में बसपा के दलित और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के कोर वोटबैंक को एकजुट करने में मदद कर सकता है।
मायावती अपने संबोधन में सामाजिक न्याय, दलितों पर अत्याचार और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। वह मुख्य रूप से आरक्षण बचाओ और दलितों के स्वाभिमान के संदेश के साथ मतदाताओं को अपनी ओर खींचने का प्रयास करेंगी।
जातीय समीकरणों पर पड़ेगा सीधा असर
सीएम योगी और मायावती, दोनों ही बिहार की जटिल जातीय राजनीति में अपने-अपने प्रभाव के लिए जाने जाते हैं। सीएम योगी की रैलिया जहा सवर्ण और उच्च ओबीसी वोटरों को भाजपा के पक्ष में लामबंद करेंगी, वहीं मायावती की मौजूदगी बसपा के कोर दलित वोटबैंक खासकर दलित समुदाय को पार्टी से जोड़े रखेगी। इन दोनों के प्रचार से अन्य दलों, विशेषकर आरजेडी और जेडीयू, के जातीय समीकरणों पर सीधा असर पड़ सकता है, जिससे बिहार का चुनावी परिणाम प्रभावित हो सकता है।