योगी सरकार का नया फैसला: विधायकों और सांसदों पर दर्ज कोविड केस होंगे वापस, 3.5 लाख सामान्य मामले पहले ही बंद

इससे पहले, सरकार आम जनता के खिलाफ दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के साढ़े तीन लाख से अधिक छोटे-मोटे मामलों को खत्म कर चुकी है।

Updated On 2025-12-06 16:11:00 IST

सरकार के इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य अदालतों पर बढ़ते मुकदमों के बोझ को कम करना है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में जनप्रतिनिधियों (विधायकों और सांसदों) के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है।

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सरकार पहले ही प्रदेश के आम नागरिकों पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के करीब साढ़े तीन लाख से अधिक मामलों को खत्म कर चुकी है।

सरकार का मानना है कि ये मामले जनहित में दर्ज नहीं थे और इन्हें वापस लेने से अदालत का समय बचेगा तथा संबंधित लोगों को राहत मिलेगी।

साढ़े तीन लाख से अधिक सामान्य केस हो चुके हैं बंद

राज्य सरकार ने एक व्यापक कदम उठाते हुए कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान दर्ज किए गए सामान्य मामलों में पहले ही बड़ी राहत दे दी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश भर में लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन से संबंधित लगभग 3.5 लाख से अधिक मामले वापस लिए जा चुके हैं।

ये मामले मुख्य रूप से आम जनता के खिलाफ थे, जिन्होंने सामाजिक दूरी, मास्क पहनने या निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया था। सरकार ने महामारी के दौरान लोगों को हुई परेशानियों को देखते हुए यह फैसला लिया था।

जनप्रतिनिधियों पर दर्ज मामलों की वापसी की प्रक्रिया

अब इसी तर्ज पर, जनप्रतिनिधियों यानी वर्तमान और पूर्व विधायकों तथा सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों को भी वापस लेने की तैयारी है। इन मामलों में ज्यादातर वे शिकायतें शामिल हैं जो लॉकडाउन, धारा 144 के उल्लंघन, या कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने से संबंधित थीं।

इन मामलों की वापसी के लिए जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। डीएम की रिपोर्ट के आधार पर विधि विभाग इन मामलों को वापस लेने की औपचारिक कार्रवाई शुरू करेगा।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि केवल उन्हीं मामलों को वापस लिया जाएगा जो सीधे तौर पर कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन से जुड़े हैं और जिनकी प्रकृति गंभीर नहीं है।

कोर्ट का समय बचाने और राहत देने पर जोर

सरकार के इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य अदालतों पर बढ़ते मुकदमों के बोझ को कम करना है। बड़ी संख्या में ये छोटे-मोटे मामले कोर्ट का महत्वपूर्ण समय लेते हैं। जनप्रतिनिधियों पर दर्ज मामलों को वापस लेने से न केवल उन्हें कानूनी प्रक्रियाओं से राहत मिलेगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी आएगी, जिससे गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए अधिक समय मिल सकेगा।

यह कदम सरकार की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत वह अनावश्यक और छोटे-मोटे राजनीतिक या विरोध प्रदर्शन से संबंधित मामलों को वापस ले रही है।


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