मै बिकाऊ माल नहीं: आजम ने बसपा मे शामिल होने की अटकलों पर लगाया पूर्ण विराम-अखिलेश से नाराजगी बरकरार
आजम खान ने बसपा में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वे 'बिकाऊ माल नहीं' हैं। वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के प्रति उनकी नाराजगी साफ दिखी। अखिलेश के मुकदमे वापस लेने के बयान पर उन्होंने कहा कि 'इसकी नौबत नहीं आएगी'
आजम खान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बसपा नहीं ज्वाइन करेंगे
लखनऊ डेस्क : सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने मीडिया से बातचीत में अपने इरादे साफ कर दिए। उन्होंने बसपा में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज किया और कहा कि 'वे बिकाऊ माल नहीं हैं'। साथ ही, उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के प्रति भी तीखे तेवर दिखाए, जिससे उनके और पार्टी के बीच संबंधों में तनाव साफ नजर आया।
जेल से रिहाई और पहला बयान
करीब 23 महीने बाद जेल से बाहर आए आजम खान ने मीडिया के सामने आकर कई अहम सवालों के जवाब दिए। उन्होंने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया और कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। इस दौरान, उन्होंने उन सभी लोगों का भी जिक्र किया, जो मुश्किल वक्त में उनके साथ खड़े रहे। उनकी भाषा में एक दृढ़ता और कड़ापन साफ महसूस किया जा सकता था, जो उनके लंबे संघर्ष को दर्शाता है।
'हम बिकाऊ माल नहीं'
बसपा में शामिल होने की लगातार चल रही चर्चाओं पर आजम खान ने दो टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'हमारे पास एक चरित्र नाम की चीज है, हम बिकाऊ माल नहीं हैं और यह हमने साबित कर दिया है।' यह बयान न सिर्फ उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे अपनी पहचान और सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहते। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी राजनीतिक दल के दबाव में नहीं आएंगे।
अखिलेश यादव के प्रति तीखे तेवर
जब पत्रकारों ने अखिलेश यादव से संबंधित सवाल पूछे, तो आजम खान के तेवर और भी तीखे हो गए। उन्होंने अखिलेश के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार आने पर वे आजम खान के खिलाफ सभी मुकदमे वापस ले लेंगे। आजम खान ने इस पर तंज कसते हुए कहा, 'इसकी नौबत नहीं आएगी।' यह बयान साफ तौर पर दर्शाता है कि उन्हें अखिलेश के वादे पर भरोसा नहीं है और वे अपनी कानूनी लड़ाई खुद लड़ने को तैयार हैं।
दूरी और बातचीत से इनकार
आजम खान ने इस बात से भी इनकार किया कि जेल से रिहाई के बाद उनकी अखिलेश यादव से कोई बात हुई है। उन्होंने कहा कि 'वह छोटे आदमी हैं और अकेले ही जेल से आ गए।' यह बयान अखिलेश यादव से उनकी दूरी को और भी पुख्ता करता है। रामपुर और सैफई के बीच सब कुछ ठीक होने के सवाल पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'आप लोग आग न लगाएं।' यह एक तरह से उनका इशारा था कि वे इस मामले में और ज्यादा बात नहीं करना चाहते।
राजनीतिक मायने
आजम खान के इस बयान के कई गहरे राजनीतिक मायने हैं। यह न सिर्फ सपा के भीतर चल रही अंदरूनी कलह को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आजम खान अब पार्टी के 'मौन सहयोगी' बनकर नहीं रहना चाहते। उनके बयान से यह स्पष्ट है कि वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से काफी नाराज हैं और भविष्य में वे अपनी राह खुद चुन सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा इस स्थिति को कैसे संभालती है और क्या आजम खान और अखिलेश यादव के बीच की दूरी कम हो पाएगी। उनके इस बयान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है, खासकर रामपुर और आसपास के क्षेत्रों में, जहां उनका काफी प्रभाव है।
आजम खान का जेल से बाहर आना और उनके सीधे-सीधे बयान ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे न तो किसी के दबाव में आएंगे और न ही किसी के भरोसे पर बैठे रहेंगे। 'हम बिकाऊ माल नहीं' और 'मुकदमे वापसी की नौबत नहीं आएगी' जैसे उनके बयान भविष्य की राजनीति की दिशा तय कर सकते हैं, जिसमें वे एक स्वतंत्र और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए नजर आ सकते हैं।