अयोध्या: 'मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला' का नक़्शा 31 दिसंबर तक हो सकता है पास, मार्च 2026 से शुरू होगा निर्माण!
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के अनुसार, संशोधित डिजाइन पर निर्माण कार्य मार्च 2026 से शुरू होने की उम्मीद है।
ट्रस्ट ने निर्माण शुरू करने की अनुमानित तारीख मार्च 2026 तय की है।
अयोध्या : अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली नई मस्जिद, जिसका नाम अब 'मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला' रखा गया है, अपने संशोधित और भव्य डिजाइन के साथ सुर्खियों में है। उम्मीद की जा रही है कि मस्जिद परिसर का नया नक़्शा 31 दिसंबर, 2025 तक अयोध्या विकास प्राधिकरण से पास हो जाएगा।
यह नया डिजाइन परिसर के भव्यता को बढ़ाता है, जिसके तहत निर्माण कार्य मार्च 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट, जो इस परियोजना की देखरेख कर रहा है, ने निर्माण प्रक्रिया को गति देने के लिए कमर कस ली है।
भव्यता के साथ संशोधित हुआ डिजाइन और नाम
धन्नीपुर मस्जिद परियोजना में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। पहले इसका डिजाइन थोड़ा पारंपरिक था, लेकिन अब इसे एक भव्य और आधुनिक रूप दिया गया है। ट्रस्ट ने मस्जिद का नाम भी बदल दिया है, इसे अब 'बाबरी मस्जिद' के नाम से नहीं बल्कि 'मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला' के नाम से जाना जाएगा। नया डिजाइन 11 एकड़ के पूरे परिसर को कवर करेगा, जिसमें एक मेडिकल कॉलेज, कैंसर हॉस्पिटल, म्यूजियम, लाइब्रेरी और एक कम्युनिटी किचन शामिल होगा।
नक़्शा पास होने और निर्माण शुरू होने की समय-सीमा
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट के अनुसार, नए डिजाइन का नक़्शा जल्द ही अंतिम मंजूरी के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण को सौंपा जाएगा। ट्रस्ट को विश्वास है कि यह नक़्शा
31 दिसंबर, 2025 तक पास हो जाएगा। एक बार नक़्शा पास हो जाने के बाद, निर्माण कार्य को शुरू करने में कोई बड़ी बाधा नहीं रहेगी। ट्रस्ट ने निर्माण शुरू करने की अनुमानित तारीख मार्च 2026 तय की है।
जुटाई जा रही है निर्माण के लिए निधि
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सबसे बड़ी चुनौती निधि जुटाना है। ट्रस्ट ने दान और फंडिंग के लिए एक मजबूत अभियान शुरू किया है। इस परियोजना की अनुमानित लागत काफी अधिक है, जिसे विभिन्न दानदाताओं और कम्युनिटी आउटरीच के माध्यम से पूरा करने की योजना है।
ट्रस्ट के अधिकारियों ने बताया है कि उन्हें देश और विदेश से अच्छा समर्थन मिल रहा है, और वे उम्मीद कर रहे हैं कि समय पर निधि जुटाकर परियोजना को तय समय-सीमा के भीतर पूरा किया जा सकेगा।