श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने से इनकार; जानें HC ने क्या कहा?
Shri Krishna Janmabhoomi : श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की याचिका खारिज कर दी। पढ़ें कोर्ट की पूरी टिप्पणी और दोनों पक्षों की दलीलें।
शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने से इनकार, इलाहाबाद HC का श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर फैसला
Shri Krishna Janmabhoomi Dispute: मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में शुक्रवार (5 जुलाई 2025) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की मांग की थी। कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
याचिका में क्या मांग की गई थी?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर बनी है। यह मस्जिद मुगल शासक औरंगजेब द्वारा एक पुराने मंदिर को तोड़कर बनाई गई। इसलिए इसे उसी प्रकार विवादित ढांचा घोषित किया जाए, जैसा बाबरी मस्जिद मामले में किया गया था।
मुस्लिम पक्ष की आपत्ति
मुस्लिम पक्ष ने याचिका का जोरदार विरोध करते हुए कोर्ट में अपने तर्क रखे। याचिकाकर्ता का दावा ऐतिहासिक तथ्यों और रिकॉर्ड पर आधारित नहीं है। पहले से चल रहे मुकदमों में ऐसे दावे उठाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। शाही ईदगाह पर कोई नया तथ्य या प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया जो विवादित ढांचे की श्रेणी में इसे ला सके।
कोर्ट का निर्णय
दोनों पक्षों की दलीलों और लिखित आपत्तियों को सुनने के बाद, न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की कोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, याचिका में ऐसे कानूनी आधार और प्रमाण नहीं हैं, जो इसे विवादित घोषित करने के लिए पर्याप्त हों। कोर्ट ने यह फैसला 4 जुलाई को सुनाया है।
केस की पृष्ठभूमि
यह मामला देश के तीन प्रमुख धार्मिक विवादों में से एक है। अयोध्या (राम जन्मभूमि), वाराणसी (ज्ञानवापी), और मथुरा (कृष्ण जन्मभूमि)। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण के जन्मस्थान के मूल गर्भगृह पर बनी है। मुस्लिम पक्ष इसे 1949 के समझौते और ऐतिहासिक रिकॉर्ड के आधार पर अस्वीकार करता है। इस समय मथुरा से संबंधित 15 से अधिक याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं।
इससे पहले क्या हुआ?
- 5 मार्च 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को मुकदमे में केंद्र सरकार और ASI को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी।
- 28 अप्रैल 2025: सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संशोधन को प्रथम दृष्टया उचित ठहराया था।
- 1 अगस्त 2024: हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को एकीकृत कर सुनवाई शुरू की थी।
क्या है आगे की राह?
हिंदू पक्ष ने संकेत दिया है कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के वकीलों का कहना है कि यह मामला केवल एक धार्मिक स्थल का नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक न्याय का भी है। हम आगे की कानूनी प्रक्रिया का उपयोग करेंगे। वहीं मुस्लिम पक्ष ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम हुआ है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला विवाद के एक महत्वपूर्ण पहलू को स्पष्ट रूप से खारिज करता है, लेकिन अन्य लंबित याचिकाएं और मुकदमे अभी भी अदालत में विचाराधीन हैं। यह मामला धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से अत्यधिक संवेदनशील बना हुआ है।