Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में क्यों अलग-थलग पड़े उद्धव ठाकरे? कुर्सी के चक्कर में पलटा गेम, आरोप BJP पर

Maharashtra Politics: शिवसेना के अध्यक्ष रहते हुए उद्धव ठाकरे अपने मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के चलते अपने ही सहयोगियों को नाराज कर दिया। इसके चलते उद्धव ठाकरे आज अलग-थलग नजर आ रहे हैं।

Updated On 2024-09-11 12:26:00 IST
Uddhav Thackeray

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र में कभी मजबूत नेता माने जाने वाले उद्धव ठाकरे आज अलग-थलग नजर आ रहे हैं। शिवसेना के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने अपने मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के चलते अपने ही सहयोगियों को नाराज कर दिया। महाराष्ट्र की राजनीति में एक वक्त ऐसा भी आया जब शिवसेना के पास 105 सीटें थीं, लेकिन उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनने का सपना ही उनके पतन का कारण बन गया।

शिवसेना की टूट और बीजेपी पर आरोप
शिवसेना के टुकड़ों को सहेजने में विफल रहे उद्धव ठाकरे अब दोष बीजेपी पर मढ़ रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें धोखा दिया और शिंदे गुट का साथ दिया। उनके इस बयान के मायने ये हैं, बीजेपी को शिंदे का साथ नहीं बल्कि उद्धव ठाकरे का साथ देना था, ताकि वे सीएम बने रहते। लेकिन हुआ उनकी (उद्धव ठाकरे) अपेक्षा उल्टा।

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उद्धव ठाकरे का ताजा बयान के मायने
दरअसल, शिवसेना जब दो धड़ों में बंटी तो बीजेपी ने शिंदे गुट का साथ दिया और फिर से बीजेपी-शिंदे गुट की सरकार ने शपथ ली। इन सबके बीच एक बात तो ये साफ हो गई कि महाराष्ट्र में उस वक्त कोई भी दल हो, सबको ये पता था कि बिना बीजेपी के सहयोग के सिर्फ सीएम ही नहीं कोई दल सरकार तक नहीं बना सकता था। ऐसे में उद्धव ठाकरे का ताजा बयान इस ओर स्पष्ट इशारा करता है कि उन्होंने शिंदे को इसलिए अधिक महत्व नहीं दिया क्योकिं उन्हें अपेक्षा भाजपा से थी लेकिन बीजेपी ने उन्हें किसी तरह का संकेत नहीं दिया।

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महाविकास अघाड़ी में उद्धव का घटता कद
ऐसे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना ये भी है कि महाराष्ट्र में शिंदे को महत्व ना देकर उद्धव ठाकरे ने उनके विश्वास के साथ खिलवाड़ करने का काम किया। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। हालात ये हैं अब महाविकास अघाड़ी के नेताओं के बीच उद्धव का कद कहां है, ये स्पष्ट देखा जा सकता है। उद्धव गुट के पास आज पार्टी संगठन या फिर सरकार का नेतृत्व करने की कोई क्षमता नहीं रह गई है। यही नहीं उद्धव ठाकरे ने अब महायुति में अपनी वापसी की डोर भी काट दी है।

बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं, इसलिए महायुति को 161 सीटों पर बहुमत मिला था। लेकिन आज उद्धव ठाकरे अलग- थलग पड़ गए हैं। इसकी वजह उनकी मुख्यमंत्री बनने की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ही मानी जा रही है।

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