जिंदा हुआ 'मुर्दा': स्पीड ब्रेकर पर लगा झटका और लौटी सांसें, महाराष्ट्र की हैरान करने वाली घटना

Dead Man Comes Alive: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्पीड ब्रेकर पर झटके से मृत घोषित बुजुर्ग की सांसें दोबारा लौट आईं। यह घटना चमत्कार से कम नहीं है। जानें पूरी कहानी।  

Updated On 2025-01-03 15:20:00 IST
Dead Man Comes Alive:महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्पीड ब्रेकर पर झटके से मृत घोषित बुजुर्ग की सांसें दोबारा लौट आईं।

Dead Man Comes Alive: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। 65 वर्षीय पांडुरंग उल्पे को हार्ट अटैक के बाद मृत घोषित कर दिया गया था। परिवार ने अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली थी। लेकिन जब उन्हें एंबुलेंस से घर लाया जा रहा था, तब स्पीड ब्रेकर पर झटके से उनकी सांसें लौट आईं। यह घटना किसी चमत्कार से कम नहीं है। एंबुलेंस में मौजूद रिश्तेदारों ने देखा कि उनकी उंगलियां और हाथ हिलने लगे।  

अस्पताल में मृत घोषित, फिर मिली नई जिंदगी  
16 दिसंबर को पांडुरंग उल्पे को हार्ट अटैक आया। उन्हें कोल्हापुर के गंगावेश स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिवार के लिए यह खबर दिल तोड़ने वाली थी। पांडुरंग को घर ले जाया जा रहा था ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की जा सके। लेकिन बीच रास्ते में कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को हैरान कर दिया।  

स्पीड ब्रेकर ने बचाई जान  
रास्ते में एंबुलेंस के स्पीड ब्रेकर पर झटके से पांडुरंग की सांसें लौट आईं। रिश्तेदारों ने तुरंत देखा कि उनकी उंगलियां और हाथ हिल रहे थे। बिना समय गंवाए, उन्हें नजदीकी बड़े अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने दोबारा इलाज शुरू किया। 15 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद पांडुरंग पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर लौट आए।

घर वापस लौटे पांडुरंग  
गुरुवार को पांडुरंग को अस्पताल से डिस्चार्ज कर घर लाया गया। परिवार ने इसे भगवान का चमत्कार माना। पांडुरंग ने अपने जीवन को दोबारा पाकर भगवान का शुक्रिया अदा किया। वह अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं।  

पूरे देश में हो रही चर्चा
यह घटना साबित करती है कि जिंदगी और मौत के बीच कुछ ही पल का फासला होता है। पांडुरंग की कहानी न केवल कोल्हापुर बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। उनकी नई जिंदगी ने हर किसी को हैरान कर दिया है। यह घटना उम्मीद और चमत्कार का प्रतीक बन गई है।  

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