नागपुर: आर्टिकल-370 पर CJI बीआर गवई का बड़ा बयान, कहा-अंबेडकर की सोच के खिलाफ था ये अनुच्छेद, सरकार के फैसले को बताया जायज

CJI बीआर गवई ने कहा, अनुच्छेद 370 अंबेडकर की 'एक संविधान' की सोच के विरुद्ध था। नागपुर में संविधान प्रस्तावना पार्क उद्घाटन के दौरान बोले— सुप्रीम कोर्ट ने इसी सोच से प्रेरणा लेकर 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा।

Updated On 2025-06-29 11:24:00 IST

नागपुर: CJI बीआर गवई बोले-आर्टिकल-370 अंबेडकर की 'एक संविधान' सोच के खिलाफ 

CJI BR Gavai on Article 370: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने अनुच्छेद-370 को संविधान निर्माता डॉ अम्बेडकर की सोच के खिलाफ बताया है। उन्होंने शनिवार (29 जून 2025) को नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर एक संविधान और एक राष्ट्र की वकालत करते थे। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला आर्टिकल-370 उनकी इस सोच के विपरती था।

सीजेआई बीआर गवई शनिवार को नागपुर में संविधान प्रस्तावना पार्क के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अनुच्छेद 370 और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय पर अपनी राय व्यक्त की। बताया कि बाबा साहेब अंबेडकर ने कभी किसी राज्य के लिए अलग संविधान का समर्थन नहीं किया। उन्होंने हमेशा अखंड भारत और एक संविधान के सिद्धांत पर बल दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर क्या कहा है?
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई उस 5 जजों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 11 दिसंबर 2023 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को वैध ठहराया था। कोर्ट ने इस फैसले में कहा है कि अनुच्छेद-370 अस्थायी प्रावधान था। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान वहां लागू हो सकते हैं। राष्ट्रपति द्वारा 370 हटाने का आदेश संवैधानिक रूप से वैध है। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का निर्णय भी सही है। 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के आदेश भी दिए गए थे।

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से हटाया अनुच्छेद 370
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था। इसके चार साल बाद दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने 476 पेज के अपने फैसले में सरकार के इस कदम को पूरी तरह वैध बताया था। CJI गवई का बयान एक बार फिर स्पष्ट करता है कि भारत का संविधान सभी राज्यों पर समान रूप से लागू होता है। अंबेडकर की सोच हमेशा इसी विचार को मजबूत करती रही है।  

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