संविधान बड़ा या संसद: CJI बीआर गवई ने दिया जवाब; बुलडोजर एक्शन पर सख्त टिप्पणी; जानें क्या कहा ?

CJI बीआर गवई ने कहा- संविधान सर्वोच्च है, संसद भी इसके अधीन है। न्यायपालिका नागरिकों के अधिकारों की संरक्षक है, फैसले जनता की राय से प्रभावित नहीं।

Updated On 2025-06-26 15:30:00 IST

CJI बीआर गवई का बड़ा बयान: संविधान सर्वोपरि, संसद भी इसके अधीन है। 

Indian Constitution Supreme : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने बुधवार (25 जून 2025) को एक अहम बयान देते हुए कहा, भारत का संविधान सर्वोपरि है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) संविधान के अधीन हैं। CJI गवई सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश हैं। बुधवार को उन्होंने यह बात अपने गृह नगर अमरावती में आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित हुए कही।

CJI बोले-संसद नहीं, संविधान सर्वोच्च

  1. CJI बीआर गवई ने कहा, कुछ लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरी राय में संविधान सर्वोच्च है। संसद को संशोधन का अधिकार है, पर वह संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती।
  2. CJI की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब विधायी और न्यायिक शक्तियों के बीच सीमाओं को लेकर बहस चल रही है। उन्होंने कहा कि जज को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना चाहिए।
  3. न्यायपालिका की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, हम सिर्फ ताकतवर नहीं हैं, हम पर एक कर्तव्य भी है। नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना। लोगों की राय हमारे निर्णयों को प्रभावित नहीं करनी चाहिए। इसलिए हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा न कि यह सोचकर फैसला लेना कि लोग क्या कहेंगे।

CJI बोले- मैं बुलडोजर न्याय के खिलाफ
CJI गवई ने बुलडोजर न्याय के खिलाफ दिए अपने चर्चित फैसले का जिक्र करते हुए कहा, मैंने हमेशा संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का साथ दिया है। आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है और उसे बिना उचित प्रक्रिया के छीना नहीं जा सकता। यह बयान विध्वंस कार्रवाई और बिना नोटिस के अतिक्रमण हटाने पर चल रही बहस के बीच आया है।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का यह बयान भारत में संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की पुन: पुष्टि करता है। यह संदेश उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो लोकतंत्र में कानून के शासन की असली परिभाषा को समझते हैं।

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