नर्मदापुरम में संगोष्ठी: रामायण में छिपा है हाईवे से GPS तक का ज्ञान, इंजीनियर और वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
नर्मदापुरम में श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास की शोध संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने बताया कि रामायण में आधुनिक इंजीनियरिंग, जीपीएस, नगर नियोजन और जीवन प्रबंधन के सूत्र पहले से मौजूद थे।
नर्मदापुरम: होम साइंस कॉलेज में रामायणकालीन इंजीनियरिंग और जीवन प्रबंधन पर व्याख्यान।
नर्मदापुरम। श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास ने मंगलवार, 12 अगस्त को नर्मदापुरम के शासकीय गृह विज्ञान महाविद्यालय में मासिक शोध संगोष्ठी आयोजित की। इसमें इंदौर के वरिष्ठ अभियंता श्रीनिवास कुटुम्बले और नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आदित्य शुक्ल ने रामायणकालीन इंजीनियरिंग और जीवन प्रबंधन पर अपने विचार रखे। प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन और डिप्टी कलेक्टर डॉ. बबीता राठौर भी मौजूद रहीं।
वरिष्ठ अभियंता श्रीनिवास कुटुम्बले ने बताया, वाल्मीकि रामायण का अध्ययन करने पर पता चलता है कि युगों पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों को वह तकनीकी ज्ञान था, जिसे आज आधुनिक विज्ञान खोज रहा है। रामायण धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से तो हर घर में पढ़ी जाती है और रोम-रोम में बसी हैं, लेकिन व्यापक दृष्टिकोण से इन ग्रंथों का अध्ययन हो तो बहुत से विषय सामने आएँगे, जो विश्व का मार्गदर्शन करेंगे।
अयोध्या से लंका तक नगर नियोजन
श्रीनिवास कुटुम्बले ने बताया कि वाल्मीकि रामायण में इंजीनियरिंग, नगर नियोजन तथा भवन निर्माण, भूगर्भ शास्त्र, गंगा अवतरण, हाईवे निर्माण, कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट-प्रीफैब निर्माण-इवेंट मैनेजमेंट और मनोरंजन, टेंट नगरी, एल-1 पॉइंट, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, सेतु बंधन, आर्टिफिशियल इमेजिंग, वैमानिक इंजीनियरिंग समेत 12 विषयों का समावेश है।
रामायण में अयोध्या, किष्किंधा और लंका शहर का वर्णन पढ़ते समय ऐसा लगता है मानो किसी भी आधुनिक श्रेष्ठ नगर का वर्णन हम पढ़ रहे हैं। श्री भरत की चित्रकूट यात्रा के समय सड़क निर्माण तथा उसमें प्रयोग कॉन्क्रीट का उल्लेख। सेतुबंधन के समय वर्णित यंत्र का प्रयोग पढ़ते समय आश्चर्य होता है। आधुनिक निर्माण का वर्णन हम पढ़ रहे हैं ऐसा आभास होता है।
उस काल में भी था जीपीसी सिस्टम
श्रीनिवास कुटुम्बले ने कहा, प्रयागराज में मुनि के द्वारा किया गया अलौकिक आतिथ्य और कुछ समय में सभी सुविधाओं का निर्माण करना, गंगावतरण की प्रक्रिया का वर्णन, हंस युक्त पुष्पक विमान, सीताजी को खोजने के लिए किया गया चतुर्दिक दीपो का वर्णन आज के जीपीएस से मेल खाता है।
श्रीनिवास कुटुम्बले ने कहा, रावण ने माता सीता को श्रीरामचंद्र का कटा हुआ मस्तक दिखाया, इंद्रजीत द्वारा निर्माण की गई सीताजी की प्रतिकृति अद्भुत वैज्ञानिक अविष्कार थे। उस समय में कृत्रिम छवि निर्माण कला की परिपूर्णता अचंभित करने वाली है। उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक स्थल वाल्मीकि रामायण से साफ-साफ दर्शाते हैं कि देवभूमि भारत कितना महान था। हमारी इस सांस्कृतिक वैज्ञानिक विरासत का यह एकत्रित सप्रमाण प्रतिपादन अत्यंत प्रशंसनीय है।
युवा श्रीराम से सीखें जीवन और समय प्रबंधन
डॉ. आदित्य शुक्ल ने कहा कि जीवन प्रबंधन में श्रीरामचंद्र जी” विषय पर कहा कि वर्तमान युग में युवा जीवन और समय प्रबंधन को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं। ऐसे में हमें श्रीरामचंद्र जी से जीवन और समय दोनों के प्रबंधन के गुर सीखने चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीराम का जीवन आदर्श चरित्र, कर्तव्यनिष्ठा, धैर्य और संगठन क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
चरित्र पर आधारित श्रीराम के प्रबंधन सूत्र
डॉ. आदित्य शुक्ल ने हर परिस्थिति में संतुलित निर्णय लिए, चाहे वह पारिवारिक, सामाजिक या राज्य संबंधी हों। श्रीराम की नीति एवं कार्यप्रणाली में आधुनिक प्रबंधन के सभी सिद्धांत जैसे योजना, विश्लेषण, क्रियान्वयन, नियंत्रण, समन्वय, प्रेरणा और दिशा-निर्देशन इत्यादि सभी विध्यमान हैं। श्रीराम के प्रबंधन सूत्र चरित्र पर आधारित हैं। वे हमें बताते हैं कि सफलता के मार्ग पर चलते हुए कठिन परिस्थितियों में भी न्याय, सत्य, धर्म, मर्यादा और करुणा का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
डॉ. आदित्य शुक्ल ने अपने व्याख्यान में श्रीराम का प्रेम, सत्यप्रियता, संकल्प के प्रति उनका दृष्टिकोण एवं कर्म की प्रेरणा जैसे अनुकरणीय गुणों को जीवन प्रबंधन के संदर्भ में जोड़कर बताया।