रण-संवाद 2025: चुनौती देने वालों को करारा जवाब देगा भारत; राजनाथ सिंह ने साझा की रक्षा रणनीति

रण-संवाद 2025: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की रक्षा नीति और युद्ध संवाद का महत्व बताया। जानिए भारत की सुरक्षा रणनीति और तैयारियों से जुड़ी प्रमुख बातें।

Updated On 2025-08-27 11:06:00 IST

रण-संवाद 2025: महू में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का युद्ध नीति पर व्याख्यान

Rajnath Singh Speech in Mhow: मध्‍य प्रदेश के महू में आयोजित रण-संवाद 2025 कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की युद्ध नीति और संवाद की सांस्कृतिक महत्ता पर गहरा प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, भारत कभी आक्रामक राष्ट्र नहीं रहा, लेकिन वर्तमान वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए रक्षा तैयारियों को मजबूत करना बेहद जरूरी है।

रक्षा मंत्री ने रण-संवाद के नाम पर कहा, 'रण' यानी युद्ध और 'संवाद' यानी बातचीत, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। महाभारत का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे भगवान कृष्ण ने युद्ध को रोकने के लिए संवाद की भूमिका निभाई। यह दर्शाता है कि हमारी संस्कृति में युद्ध और संवाद कभी भी अलग नहीं थे, बल्कि एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत को अपनी रक्षा क्षमता, तकनीकी उन्नति और प्रशिक्षण पर निरंतर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, साझेदार देशों के साथ संवाद और सहयोग भी बढ़ाना होगा। ताकि, किसी भी चुनौती का जवाब पूरी ताकत से दिया जा सके।

भारत का रक्षा उत्पादन 1.5 लाख करोड़ 

राजनाथ सिंह ने कहा, हमारी सरकार ने कई नीतिगत सुधार किए हैं। स्वदेशी डिज़ाइन, विकास और विनिर्माण को बढ़ावा देने मजबूत कदम उठाए हैं। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अब एक सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन रही है। पिछले दस वर्षों में हमारा रक्षा उत्पादन 46,425 करोड़ से बढ़कर रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। निजी क्षेत्र का योगदान 33,000 करोड़ से अधिक हो गया है।

डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़कर 24 हजार करोड़ पहुंचा 

भारत का रक्षा निर्यात दस साल पहले 1,000 करोड़ से कम था, लेकिन अब बढ़कर 24,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। यह केवल व्यापार या उत्पादन की बात नहीं है; यह भारत की बदलती वैश्विक पहचान का प्रतीक है। 

रण-संवाद 2025 जैसे मंच पर इस तरह के विचार न केवल भारत की रणनीतिक सोच को मजबूती देते हैं, बल्कि यह देश की रक्षा नीति में संवाद की भूमिका को भी समझाते हैं।

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