राजा भभूत सिंह: सतपुड़ा की वादियों में अंग्रेजों के खिलाफ फूंका बिगुल, तात्या टोपे के साथ मिलकर लड़ी लड़ाई

राजा भभूत सिंह, तात्या टोपे के सहयोगी और सतपुड़ा के वीर योद्धा के रूप में याद किए जाते है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ गौरिल्ला युद्ध किया।

Updated On 2025-06-02 16:28:00 IST

Raja Bhabhut Singh 

Raja Bhabhut Singh : मध्यप्रदेश की पावन धरती पर अनेक वीरों ने आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी। इन्हीं में एक नाम है राजा भभूत सिंह का, जिन्होंने सतपुड़ा की वादियों में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका और महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी।

राजा भभूत सिंह को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तात्या टोपे के विश्वसनीय सहयोगी के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने अंग्रेजों की पकड़ से दूर रहकर गौरिल्ला युद्ध पद्धति से ऐसा मोर्चा संभाला कि अंग्रेज सेना को कई बार मुंह की खानी पड़ी।

सतपुड़ा की वादियों में आजादी की चिंगारी
राजा भभूत सिंह ने सतपुड़ा के जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अपने जनजातीय समाज को एकजुट किया और अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की अगुवाई की। वे सतपुड़ा की पहाड़ियों और जंगलों के चप्पे-चप्पे से भलीभांति परिचित थे, जिसका उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बेहतरीन उपयोग किया।

तात्या टोपे के साथ मिलकर लड़ी आजादी की लड़ाई
अक्टूबर 1858 के अंतिम सप्ताह में, राजा भभूत सिंह ने तात्या टोपे के साथ मिलकर नर्मदा नदी पार की और ऋषि शांडिल्य की तपोभूमि साँडिया के पास स्वतंत्रता संग्राम की योजना बनाई। पचमढ़ी की वादियों में दोनों सेनानियों ने 8 दिनों तक रणनीति बनाई और युद्ध की तैयारी की।

अंग्रेजों की नाक में दम
राजा भभूत सिंह के नेतृत्व में जनजातीय सेना ने गौरिल्ला युद्ध शैली अपनाई। वे अचानक हमला करते और फिर पहाड़ियों में लुप्त हो जाते, जिससे अंग्रेज सेना भ्रमित और भयभीत रहती। अंग्रेजों को हराने के लिए मद्रास इन्फेंट्री जैसी टुकड़ियां भेजनी पड़ीं, परंतु राजा भभूत सिंह ने देनवा घाटी में अंग्रेजी सेना को करारी शिकस्त दी।

शिवाजी महाराज जैसी रणनीति
इतिहासकारों की मानें तो राजा भभूत सिंह न केवल एक योद्धा, बल्कि जनजातीय समाज के प्रेरणास्त्रोत थे। 1860 तक उन्होंने अंग्रेजों से निरंतर संघर्ष किया। उनकी युद्ध तकनीक छत्रपति शिवाजी महाराज की रणनीति से मेल खाती थी। जो किअंग्रेजों के लिए पूरी तरह अनजान और घातक थी।

पचमढ़ी में राजा भभूत सिंह को दी जाएगी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री मोहन यादव की पहल पर 3 जून को पचमढ़ी में आयोजित कार्यक्रम में राजा भभूत सिंह के शौर्य, पराक्रम और बलिदान को याद किया जाएगा। यह आयोजन राज्य सरकार की 'विरासत से विकास' नीति के तहत जनजातीय नायकों को सम्मान देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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