Pradeep Mishra: भगवान चित्रगुप्त पर विवादित टिप्पणी, पंडित प्रदीप मिश्रा ने मांगी माफी, कायस्थ समाज में आक्रोश

शिवपुराण कथा के दौरान चित्रगुप्त और यमराज पर की गई टिप्पणी को लेकर विरोध झेल रहे पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर में सार्वजनिक माफी मांगी। कायस्थ समाज ने आंदोलन और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

Updated On 2025-06-17 20:45:00 IST

पंडित प्रदीप मिश्रा ने भगवान चित्रगुप्त पर विवादित टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी मांगी। 

Pradeep Mishra Chitragupt controversy : मशहूर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को एक बार फिर अपने विवादित बयान के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी। मामला महाराष्ट्र के बीड़ जिले में शिवपुराण कथा के दौरान भगवान चित्रगुप्त और यमराज पर की गई टिप्पणी से जुड़ा है। कायस्थ समाज में इसे लेकर जबरदस्त आक्रोश था।

कायस्थ समाज ने इसे अपने आराध्य देव का अपमान बताते हुए आंदोलन और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। जिसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा ने मंगलवार को सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में प्रेस वार्ता कर माफी मांगी। कहा, यदि मेरी वाणी से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा चाहता हूं। शिव महापुराण कभी किसी के दिल को दुख नहीं पहुंचाती। वह सदैव जगत कल्याण की बात करती है।

ये है चित्रगुप्त विवाद
14 जून को बीड़ (महाराष्ट्र) में कथा के दौरान प्रदीप मिश्रा ने यमराज और चित्रगुप्त से संबंधित प्रसंग सुनाया था। इसमें उनके द्वारा उपयोग की गई भाषा को आपत्तिजनक बताया गया। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कायस्थ समाज ने इसे अपने आराध्य देव का अपमान बताया।

कायस्थ समाज की चेतावनी
कायस्थ समाज ने भोपाल सहित पूरे मध्य प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। साथ ही 10 दिन में माफी मांगने का अल्टीमेटम दिया था। कुछ नेताओं और संतों ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रदीप मिश्रा के बहिष्कार और कानूनी कार्रवाई की मांग की।

संत सच्चिदानंद ने की कड़ी निंदा
संत सच्चिदानंद ने एक वीडियो में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए यह तक कह दिया कि प्रदीप मिश्रा व्यास पीठ पर बैठने लायक नहीं हैं। उनका अंत समय आ चुका है। भगवान उसे दंड देंगे। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि अगर मैंने उसे सजा नहीं दी तो मैं अपने अस्तित्व को समाप्त कर दूंगा।

विवाद के बाद माफी
विरोध के बढ़ते स्वर के बीच पंडित मिश्रा ने सफाई देते हुए कहा कि यह किसी विशेष समाज के विरुद्ध नहीं था, बल्कि कथा प्रसंग में देवताओं के क्रम के अनुसार यह बात आई थी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं था।

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